हमारे शास्त्रों में कई सारे ऐसे उपाय बताये गए हैं जिनका प्रयोग करना सिर्फ हमारे स्वास्थ्य के लिए ही नहीं बल्कि देवी-देवताओं के कृपा प्राप्त करने में मदद करता हैं।  आज हम भोजन करने से सम्बंधित कुछ पुरानी मान्यताओं के बारे में जानेंगे।

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दैवीय शक्ति अर्थात ऐसी शक्ति जो उस परमात्मा के पास है। जिसका सिर्फ हम अनुभव कर सकते हैं। इस शक्ति का अनुभव करने के दो तरीके हैं: ईश्वर में श्रद्धा तथा विश्वास। इन दो तरीकों से हम ईश्वर को प्राप्त कर सकते हैं। ईश्वर को प्राप्त करने का एक ही तरीका है वो है अध्यात्म। कई लोग ईश्वर के आशीर्वाद के साथ उनका सानिध्य भी पाना चाहते हैं, लेकिन ऐसे कम लोग होते है जिन्हें ईश्वर का सानिध्य प्राप्त होता है। आज हम कुछ ऐसे संकेतों के बारे में जानेंगे जिससे हम खुद समझ सकते हैं की दैवीय शक्ति हमारे साथ है।

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पेड़-पौधे हमारे जीवन के लिए बहुत ही महत्वपूर्ण है। ये जिस प्रकार हम सभी के जीवन के लिए महत्वपूर्ण है उसी प्रकार इसे घर के लिए भी शुभ फलदाई माना जाता है। लेकिन यदि इन्हीं पौधे को हम सही दिशा और घर के सही हिस्से में नहीं लगाया जाए तो ये अशुभता प्रदान करता है। आज हम वास्तु शास्त्र के अनुसार ऐसे ही पेड़-पौधे के बारे में जानेंगे जो घर-परिवार के लिए शुभ और अशुभ है।

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आज के समय में हम सभी का जीवन आसानी से चलता रहे, इसके लिए हम सब कितने सारे प्लानिंग करते हैं। इसमे से कुछ बड़े प्लान करते हैं तो कुछ दिन के अनुसार। लेकिन ज्योतिष के अनुसार हम सब कितनी भी कोशिश कर ले हमारे स्वाभाव की एक चीज नहीं बदली जा सकती, वो है हमारा जीने का तरीका। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार सभी बारह राशियों के लोगों का स्वाभाव अलग-अलग होता है। इसलिए आज हम मीन राशि से लेकर मेष राशि, प्रत्येक के जीवन के मकसद और लाइफ को जीने का नजरिया के बारे में जानेंगे।

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प्रकृत्ति, मनुष्य का आपस में गहरा नाता पौराणिक कल से चलता आ रहा  है। ऋषि-मुनियो ने मनुष्य और प्रकृत्ति के बीच के सम्बन्ध को बड़ी गहराई के साथ बताया है। आज हम आपको बतायगे की कौन ग्रहो की शांति के लिए कौन से पशु-पक्षी की सेवा करनी चाहिए।

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जनेऊ संस्कार, हिन्दू धर्म के १६ संस्कारो में से एक जो सभी संस्कारो में सबसे महत्वपूर्ण माना जाता है। यह परंपरा धार्मिक दर्ष्टि से ही नहीं, बल्कि वैज्ञानिक दर्ष्टि से भी बहुत महत्वपूर्ण है। जनेऊ एक ऐसी परंपरा है, जिसके बाद कोई भी पुरुष पारम्परिक तौर से किसी भी पूजा या धार्मिक कामों में भाग ले सकता है। वेदों में भी जनेऊ पहनने की हिदायद दी गई है। प्राचीन काल में जनेऊ पहनने के बाद ही शिक्षा प्राप्त करने का अधिकार मिलता था। जनेऊ संस्कार को ही ‘उपनयन’ संस्कार कहते है। ‘उपनयन’ का अर्थ है, पास या निकट ले जाना मतलब  ब्रम्हा (ईश्वर) और ज्ञान के पास ले जाने से है।
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३० मई को पुष्य नक्षत्र सूर्योदय से लेकर शाम ०५:२५ बजे तक रहेगा। पुष्य नक्षत्र मंगलवार को होने के कारण ये मंगल पुष्य योग कहलाएगा। जिन लोगों की कुंडली में मंगल का बुरा प्रभाव है, वे लोग यदि इस दिन कुछ उपाय करेंगे तो इस दोष में कमी आ सकती है।

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मंगल ग्रह शक्तिशाली है पर यह विनाशकारी ग्रह भी माना गया है। इसलिए जब भी मंगल ग्रह राशि परिवर्तन करता है तो हमें सावधान हो जाना चाहिए। इस बार मंगल ग्रह वृषभ राशि से मिथुन राशि में प्रवेश करेगा। आज हम जानेगे मंगल ग्रह का किस राशि पर क्या प्रभाव होगा।

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ॐ नमः शिवाय” एक ऐसा मंत्र जिसके नाम मात्रा से सभी बाधाएं ख़त्म हो जाती है। इसकी महिमा हमारे पुराणों में बताई गयी है। प्रणव मंत्र “ॐ” के साथ “नमः शिवाय”(पंचाक्षर मंत्र) का मेल करने से षड्क्षर मंत्र का निर्माण होता है। इसलिए इसे षड्क्षर मंत्र के नाम से जाना जाता है। आज हम “ॐ नमः शिवाय” मंत्र के अर्थ और महत्व के बारे में जानेंगे।

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मंत्र एक ऐसा भाग जो हमेशा फलदायी होता है। हमारे शास्त्रों में कई सारे मंत्र उपस्थित है जिनका प्रयोग हम जप के लिए, पूजा करने के दौरान, हवन के दौरान इत्यादि स्थानों पर करते हैं। सभी मन्त्रों के अलग-अलग प्रभाव है। आज हम ऐसे ही कुछ मन्त्रों के बारे में जानेंगे जिसका प्रयोग हम यदि रोजाना करें तो ये हमारे एकाग्रता को बनाये रखने में और सफलता प्रदान करने में मदद करता है।

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25 मई अर्थात गुरुवार का दिन इस दिन शनि जयंती के साथ-साथ अमावस्या का दिन भी है। अमावस्या के दिन चंद्र देव दिखाई नहीं देते इसलिए इस दिन रात्रि पूरी अंधकारमय होती है। हमारी पुरानी परम्पराओं के अनुसार हमेशा अमावस्या के दिन रात्रि में घर के कुछ मुख्य स्थानों पे दीपक को प्रज्वलित करके रौशनी करनी चाहिए। ऐसा करने से घर में स्थित नकारात्मक ऊर्जा प्रवेश नहीं करती। इसलिए आज हम जानेंगे की किन स्थानों पे अमावस्या के दिन दीपक को प्रज्वलित करना चाहिए।

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सत्यनारायण पूजा हमारे हिन्दू धर्म में एक महत्वपूर्ण पूजा में से एक पूजा है। यह व्रत सबसे महत्वपूर्ण और प्रतिष्ठित व्रत में से एक व्रत है। इस पूजा के दौरान हम भगवान श्री हरी विष्णु के सत्य रूप की पूजा की जाती है। ये पूजा सामान्यतः किसी खास त्यौहार या पूर्णिमा के दिन किया जाता है लेकिन भगवान विष्णु के सत्य स्वरुप की पूजा मनोकामना की पूर्ति के लिए भी की जाती है। आज हम जानेंगे की किस प्रकार सत्यनारायण की पूजा करनी चाहिए और इसके कथा का क्या महत्व है?

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