२३ जून को शनि राशि परिवर्तित कर रहा है और २४ जून अर्थात शनिवार के दिन अमावस्या है। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार ऐसा संयोग बहुत ही शुभ माना गया है। शनिवार की अमावस्या का महत्त्व बहुत अधिक है। जिसे शनिश्चरी अमावस्या के नाम से जाना जाता है। आज हम जानेंगे किन राशि को कौन से उपाय करना चाहिए इस शनिवार की अमावस्या के दिन।
२३ जून शुक्रवार के दिन शनि वक्री होकर वृश्चिक राशि में प्रवेश करने वाला है जो इस राशि में २५ अगस्त शुक्रवार तक वक्री रहेगा। इस समय के दौरान शनि २ महीनों तक टेढ़ी चाल से चलेगा। जिसके कारन कई राशियों पर शुभ तो कुछ राशियों पर अशुभ प्रभाव रहेंगे। आइये आज हम जाने किन राशियों पर शुभ और किन राशियों पर अशुभ प्रभाव रहेगा।
आयुर्वेद माना जाता है की इसकी शुरुआत ऋगवेद से चली आ रही है। हमारे वेदों में कई सारे औषधियों तथा जल, सूर्य, अग्नि, शल्य चिकित्सा इत्यादि का वर्णन किया गया है। इन सभी चिकित्साओं को पूरा करने के लिए कई सारे वैद्य भी थे जैसे: ब्रह्मा, आश्विन। आज हम कुछ ऐसे औषधियों के बारे में जानेंगे जो हमारे बुद्धि शक्ति को बढ़ाएगा।
हिन्दू पंचांग के अनुसार ये आषाढ़ मास का महीना है और इस महीने के कृष्ण में होने वाली एकादशी को योगिनी एकादशी के नाम से जाना जाता है। ये एकादशी २० जून को है अर्थात मंगलवार के दिन। इस बार एकादशी मंगलवार को होने के कारण इस दिन श्री हरी की उपासना के साथ-साथ यदि हनुमानजी के उपाय किये जाए तो सभी बढ़ाएं तुरंत ख़त्म होती है। ज्योतिषाचार्य के अनुसार यदि पुरानी परम्पराओं से श्री हनुमान जी की पूजा की जाये तो श्री हरी के साथ-साथ हनुमान जी भी खुश होते हैं। इसलिए आइये जानें उन उपायों के बारे में।
हमारे शास्त्रों और पुराणों के अनुसार सप्ताह का प्रत्येक दिन किसी न किसी खास भगवान को समर्पित है। और प्रत्येक भगवान का सम्बन्ध किसी खास रंग से माना जाता है। ऐसे में यदि प्रत्येक दिन के अनुसार उनसे सम्बंधित कोई एक खास वास्तु को घर में रखेंगें तो कई तरह के लाभ प्राप्त हो सकते हैं। यदि बार-बार कोशिश करने से सफलता न मिल रही हो और काम बिगड़ते जा रहे है तो आज हम जानेंगे वार के अनुसार कौन सी चीज घर में लाना शुभ है।
सूर्य ने आज राशि स्थान परिवर्तन किया है। आज से अर्थात 15 जून से लेकर 15 जुलाई तक सूर्य मिथुन राशि में रहेगा। इसके कई लाभ मिलेंगे, जैसे: प्रोमोशन हो सकता है, सैलरी बढ़ सकती है। आज हम जानेंगे सूर्य के राशि परिवर्तन से किन राशियों को फायदा होगा और किन्हें नुकसान।
महामृत्युंजय मंत्र, एक ऐसा मंत्र है जिसके प्रभावों और शक्तियों की व्याख्या हमारे कई शास्त्रों और पुराणों में मिलता है। ये मंत्र भगवान शिव का सबसे प्रभावशाली मंत्र है। ये मंत्र इतना प्रभावशाली है की इस मंत्र के पाठ से मनुष्य की सारी बाधाओं और परेशानियों का नाश होता है। इस मंत्र का रोजाना रुद्राक्ष की माला से जप करने से होने वाले असमय मृत्यु भी दूर हो जाती है। आज हम जानेंगे इस महा मंत्र के प्रभावों के बारे में।
रत्न की अंगूठी जिसका धारण हम ज्योतिषाचार्य के सलाह पर धारण करते हैं। ये रत्न कई तरह और कई नामों से जाने जाते हैं। कौन से रत्न किसे धारण करना चाहिए ये जातक की कुंडली को देखकर बताया जाता है। लेकिन कुछ लोग कछुए वाली अंगूठी भी पहनते हैं। लेकिन क्या हमें पता है इसे धारण करने के फायदे क्या हैं? आज हम जानेंगे की क्यों कछुए की अंगूठी धारण करना चाहिए तथा इसके फायदे क्या है?
कई बार हमारे कुंडली में या तो कुछ ग्रह कमजोर होते हैं या अच्छी स्थिति में नहीं होते हैं। और हमें ये पता भी नहीं होता है। उसे जानने के लिए हमें अपनी कुंडली को दिखाना पड़ता है। वो भी तब जब हमें कई मुसीबतें का सामना करना पड़ता है। आज हम जानेंगे बिना कुंडली के किस प्रकार जानें हमारे कुंडली में कौन से ग्रह अशुभ स्थिति में है और उसके लिए क्या उपाय किये जायें।
सौरमंडल में देवगुरु बृहस्पति ग्रह को सबसे मजबूत ग्रहों माना जाता है। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार यदि ये ग्रह किसी भी जातक की कुंडली में अच्छे स्थिति में हो तो उस जातक के जीवन पर बहुत बड़ा प्रभाव होता है। यह ग्रह उस जातक को धन, सुख तथा सौभाग्य प्रदान करता है। बृहस्पति ग्रह ६ फरवरी २०१७ को वक्री हुआ था और अब वो ९ जून २०१७ को शाम के ७ बजकर २७ मिनट पे मार्गी हो रहा है। ये दिन ज्येष्ठ पूर्णिमा का दिन भी है, जो की एक बेहद ही शुभ और प्रभावशाली संयोग है। इसलिए आज हम जानेंगे किन राशियों के लिए ये कितना लाभकारी है।
9 जून को ज्येष्ठ पूर्णिमा है। हमारे हिन्दू धर्म में ज्येष्ठ के महीने को काफी शुभ माना जाता है। शास्त्रों के अनुसार यदि इस महीने में किये गए दान-पुण्य और पूजा-पाठ सभी का सर्वधिक महत्व है। इस महीने में यदि पवित्र नदियों में स्नान किया जाये तो बहुत लाभकारी सिद्ध होता है। इसीलिए इस महीने की पूर्णिमा भी बहुत महत्वपूर्ण है। इस दिन किये गए सारे उपाय देवी-देवताओं की कृपा प्रदान करते हैं। आज हम शुक्रवार अर्थात 9 जून के दिन क्या उपाय कर सकते हैं उसके बारे में जानेंगे।
संध्या वंदन- सूर्य तथा तारों से रहित दिन और रात की संधि को हमारे मुनियों ने संध्याकाल माना है। हमारे धर्म ग्रन्थ वेद, पुराण, रामायण,महाभारत, गीता और सभी ग्रंथों में संध्या वंदन की महिमा और महत्त्व का वर्णन किया गया है। इसके द्वारा हम प्रकृति तथा ईश्वर के प्रति कृतज्ञता प्रकट करते हैं। जिससे हमारे अंदर सकारात्मकता का विकास होता है। इससे हमारी सभी मनोकामनाएं पूर्ति होती है और सभी प्रकार के रोग तथा शोक का नाश होता है। आज हम संध्या वंदन के बारे में जानेंगे।