प्रकृत्ति, मनुष्य का आपस में गहरा नाता पौराणिक कल से चलता आ रहा  है। ऋषि-मुनियो ने मनुष्य और प्रकृत्ति के बीच के सम्बन्ध को बड़ी गहराई के साथ बताया है। आज हम आपको बतायगे की कौन ग्रहो की शांति के लिए कौन से पशु-पक्षी की सेवा करनी चाहिए।

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जनेऊ संस्कार, हिन्दू धर्म के १६ संस्कारो में से एक जो सभी संस्कारो में सबसे महत्वपूर्ण माना जाता है। यह परंपरा धार्मिक दर्ष्टि से ही नहीं, बल्कि वैज्ञानिक दर्ष्टि से भी बहुत महत्वपूर्ण है। जनेऊ एक ऐसी परंपरा है, जिसके बाद कोई भी पुरुष पारम्परिक तौर से किसी भी पूजा या धार्मिक कामों में भाग ले सकता है। वेदों में भी जनेऊ पहनने की हिदायद दी गई है। प्राचीन काल में जनेऊ पहनने के बाद ही शिक्षा प्राप्त करने का अधिकार मिलता था। जनेऊ संस्कार को ही ‘उपनयन’ संस्कार कहते है। ‘उपनयन’ का अर्थ है, पास या निकट ले जाना मतलब  ब्रम्हा (ईश्वर) और ज्ञान के पास ले जाने से है।
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३० मई को पुष्य नक्षत्र सूर्योदय से लेकर शाम ०५:२५ बजे तक रहेगा। पुष्य नक्षत्र मंगलवार को होने के कारण ये मंगल पुष्य योग कहलाएगा। जिन लोगों की कुंडली में मंगल का बुरा प्रभाव है, वे लोग यदि इस दिन कुछ उपाय करेंगे तो इस दोष में कमी आ सकती है।

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मंगल ग्रह शक्तिशाली है पर यह विनाशकारी ग्रह भी माना गया है। इसलिए जब भी मंगल ग्रह राशि परिवर्तन करता है तो हमें सावधान हो जाना चाहिए। इस बार मंगल ग्रह वृषभ राशि से मिथुन राशि में प्रवेश करेगा। आज हम जानेगे मंगल ग्रह का किस राशि पर क्या प्रभाव होगा।

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ॐ नमः शिवाय” एक ऐसा मंत्र जिसके नाम मात्रा से सभी बाधाएं ख़त्म हो जाती है। इसकी महिमा हमारे पुराणों में बताई गयी है। प्रणव मंत्र “ॐ” के साथ “नमः शिवाय”(पंचाक्षर मंत्र) का मेल करने से षड्क्षर मंत्र का निर्माण होता है। इसलिए इसे षड्क्षर मंत्र के नाम से जाना जाता है। आज हम “ॐ नमः शिवाय” मंत्र के अर्थ और महत्व के बारे में जानेंगे।

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मंत्र एक ऐसा भाग जो हमेशा फलदायी होता है। हमारे शास्त्रों में कई सारे मंत्र उपस्थित है जिनका प्रयोग हम जप के लिए, पूजा करने के दौरान, हवन के दौरान इत्यादि स्थानों पर करते हैं। सभी मन्त्रों के अलग-अलग प्रभाव है। आज हम ऐसे ही कुछ मन्त्रों के बारे में जानेंगे जिसका प्रयोग हम यदि रोजाना करें तो ये हमारे एकाग्रता को बनाये रखने में और सफलता प्रदान करने में मदद करता है।

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25 मई अर्थात गुरुवार का दिन इस दिन शनि जयंती के साथ-साथ अमावस्या का दिन भी है। अमावस्या के दिन चंद्र देव दिखाई नहीं देते इसलिए इस दिन रात्रि पूरी अंधकारमय होती है। हमारी पुरानी परम्पराओं के अनुसार हमेशा अमावस्या के दिन रात्रि में घर के कुछ मुख्य स्थानों पे दीपक को प्रज्वलित करके रौशनी करनी चाहिए। ऐसा करने से घर में स्थित नकारात्मक ऊर्जा प्रवेश नहीं करती। इसलिए आज हम जानेंगे की किन स्थानों पे अमावस्या के दिन दीपक को प्रज्वलित करना चाहिए।

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सत्यनारायण पूजा हमारे हिन्दू धर्म में एक महत्वपूर्ण पूजा में से एक पूजा है। यह व्रत सबसे महत्वपूर्ण और प्रतिष्ठित व्रत में से एक व्रत है। इस पूजा के दौरान हम भगवान श्री हरी विष्णु के सत्य रूप की पूजा की जाती है। ये पूजा सामान्यतः किसी खास त्यौहार या पूर्णिमा के दिन किया जाता है लेकिन भगवान विष्णु के सत्य स्वरुप की पूजा मनोकामना की पूर्ति के लिए भी की जाती है। आज हम जानेंगे की किस प्रकार सत्यनारायण की पूजा करनी चाहिए और इसके कथा का क्या महत्व है?

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शनि जयंती जो शास्त्रों के अनुसार वैशाख मास की अमावस्या को मनाया जाता है। इस वर्ष ये पर्व 25 मई, गुरुवार के दिन है। माना जाता है की यदि इस दिन वो लोग पूजा करें जिनके ऊपर शनि की ढय्या अर्थात साढ़ेसाती का प्रभाव है तो शनि के साढ़ेसाती का प्रभाव कम होता है। इसलिए आज हम राशि अनुसार उन उपयों के बारे में समझेंगें जिनसे इस दोष का प्रभाव कम होता है।

 

१) मेष राशि:

इस राशि के जातक को सुन्दरकाण्ड या हनुमान चालीसा का पाठ करना चाहिए।

 

२) वृषभ राशि:

शास्त्रों के अनुसार यदि इस राशि के जातक के कुंडली में शनि के कोई प्रभाव है तो जातक को शनि अष्टोत्तर शत नामावली का पाठ करना चाहिए।

 

३) मिथुन राशि:

शास्त्रों के अनुसार यदि इस राशि के जातक के कुंडली में शनि के कोई प्रभाव है तो जातक शनि देव को काली उड़द का दान करें। इससे शनि के प्रभाव कम होते हैं।

 

४) कर्क राशि:

इस राशि के जातक को शनि के प्रभाव कम करने के लिए राजा दशरथ कृत शनि स्त्रोत का पाठ करना चाहिए।

 

५) सिंह राशि:

इस राशि के जातक को किसी भी मंगलवार के दिन श्री राम भक्त हनुमानजी के मंदिर में हनुमान जी को चोला चढ़ाएं।

 

६) कन्या राशि:

इस राशि के जातक को शनि देव के बीज मंत्र का उच्चारण करना चाहिए।

 

७) तुला राशि:

इस राशि के जातक को शनि मंदिर में शनि देव को सरसों के तेल से अभिषेक करें।

 

८) वृश्चिक राशि:

इस राशि के जातक को प्रतिदिन सुबह चीटियों को आता डालना चाहिए।

 

९) धनु राशि:

इस राशि के जातक को पीपल के पेड़ के निचे 11 दीपक जलना चाहिए।

 

१०) मकर राशि:

इस राशि के जातक को शनिदेव के वैदिक मन्त्रों का उच्चारण करना चाहिए।

 

११) कुंभ राशि:

इस राशि के जातक को ज्योतिष की सलाह के अनुसार नीलम रत्न को धारण करना चाहिए।

 

१२) मीन राशि:

कुष्ट रोगियों की जितनी हो सके यथा संभव मदद करना चाहिए, इस राशि के जातक को।

 

 

ये समस्त जानकारियां शास्त्र के अनुसार है|

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जप माला, इसका प्रयोग जप करने के लिए जरुरी माना जाता है क्योंकि शास्त्रों के अनुसार यदि कोई जप बिना माला के किये जाये तो वो व्यर्थ होते हैं। आज हम शिव पुराण के अनुसार जानेंगे कितने दानों की माला जप करने के लिए उत्तम है और उसे किस ऊँगली से फेरनी चाहिए।

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तिरुपति बालाजी भारत के सबसे प्रसिद्ध तीर्थस्थलों में से एक है। यह पवित्र स्थान आंध्र प्रदेश के चित्तूर जिले में स्थित है। इस मंदिर में प्रत्येक साल लाखों श्रद्धालु श्री तिरुपति बालाजी के दर्शन के लिए इस पवित्र स्थान पे आते हैं। आज हम तिरुपति बालाजी के मन्त्रों के बारे में जानेंगे और इस मंत्र से होने वाले फायदों के बारे में भी।

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कालाष्टमी जिसे हम काला अष्टमी के नाम से जाना जाता है। ये प्रत्येक माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को मनाया जाता है। इस दिन भगवान काल भैरव की पूजा की जाती है। आइये आज हम जाने इसकी शुरुआत कैसे हुई और किस प्रकार इस दिन व्रत किये जाते हैं।

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