तिरुपति बालाजी भारत के सबसे प्रसिद्ध तीर्थस्थलों में से एक है। यह पवित्र स्थान आंध्र प्रदेश के चित्तूर जिले में स्थित है। इस मंदिर में प्रत्येक साल लाखों श्रद्धालु श्री तिरुपति बालाजी के दर्शन के लिए इस पवित्र स्थान पे आते हैं। आज हम तिरुपति बालाजी के मन्त्रों के बारे में जानेंगे और इस मंत्र से होने वाले फायदों के बारे में भी।
तिरुपति बालाजी मंदिर समुद्र तल से 3200 फीट की ऊंचाई पर स्थित है जो की तिरुमला की पहाड़ियों पर स्थित है। शास्त्र अनुसार तिरुपति बालाजी भगवान नारायण के दूसरे रूप मने जाते हैं। इस मंत्र को इसलिए पढ़ना चाहिए क्योंकि यह मंत्र एक ऐसा सूत्र है जो जागरूकता की संवेदनशीलता को बढ़ाता है।
तिरुपति बालाजी मंत्र:
ॐ श्री वेंकटेश्वराये नमो नमः।
श्रीमन नारायण नमो नमः।।
तिरुमल तिरुपति नमो नमः।
जय बालाजी नमो नमः।।
अर्थ:
बालाजी मंत्र का अर्थ है भगवन वेंकटेश्वर अर्थात तिरुपति बालाजी को शत-शत नमन।
शास्त्रों के अनुसार वेंकेट अर्थात “पापों का नाश”, वाम अर्थात पाना जो की संस्कृत शब्द है। इसे यदि हम दूसरे शब्दों में कहें तो सभी पाऊँ को काटकर प्रतिरोधक क्षमता की शक्ति को मजबूत करना।
मंत्र का महत्व:
इस मंत्र के उच्चारण से हमारे प्राण में ऊर्जा का संचार होता है। यह मंत्र संवेदनशीलता के माध्यम से ध्वनि, ताल, स्वर तथा मुख के संशोधित आध्यात्मिक महत्व को दर्शाता है। यह के ऐसी ध्वनि कम्पन है जिससे हमारे अंदर स्थित मन की मोह-माया और भ्रम दूर हो जाते हैं।
इस मंत्र को दोहराने मात्र से हमारे मन जागरूकता के गहरे स्तर पर शांत होता है। यदि कोई मनुष्य इस मंत्र का उच्चारण नहीं कर सकता उस मनुष्य को सिर्फ इसे शांत पूर्वक सुनना चाहिए। इसे सुनने मात्र से हमारा मन खुद ही गहरे ध्यान मुद्रा में चला जाता है।
मंत्र से लाभ:
१) इस मंत्र से अलगाव और भय की भावनाओं का नाश होता है।
२) ये हमारे अंदर स्थित रचनात्मकता को बढ़ाता है। इससे शरीर में स्थित दर्द और अवसाद को मन से दूर भगाता है।
३) यदि किसी को निद्रा अच्छी नहीं हो रही हो या कोई बहुत परेशान हो तो उन्हें इस मंत्र का उच्चारण करना चाहिए।