जप माला, इसका प्रयोग जप करने के लिए जरुरी माना जाता है क्योंकि शास्त्रों के अनुसार यदि कोई जप बिना माला के किये जाये तो वो व्यर्थ होते हैं। आज हम शिव पुराण के अनुसार जानेंगे कितने दानों की माला जप करने के लिए उत्तम है और उसे किस ऊँगली से फेरनी चाहिए।
शिव पुराण:
हमारे सभी शास्त्रों में से ये एक महत्वपूर्ण ग्रन्थ है। इस शास्त्र में जप माला से सम्बंधित एक श्लोक उल्लेखित है।
अष्टोत्तरशंत माला तत्र स्यावृत्तमोत्तमा।
शतसंख्योत्तमा माला पचशद्भिस्तु मध्यमा।।
अर्थ:
इसका अर्थ है 108 दाने की माला जप करने के लिए सबसे अच्छा है। वही 100 दाने की माला जप करने के लिए अच्छा है तथा 50 दाने की माला जप करने के लिए मध्यम है।
इच्छा अनुसार माला के जप का उपाय:
१) यदि आर्थिक समस्या हो या धन का नुकसान हो रहा हो तो जप करते वक्त मध्यमा अर्थात मिडिल फिंगर का प्रयोग जप करने के लिए करना चाहिए।
२) जिस मनुष्य को अपने शत्रुओं का भय रहता हो या अपने दुश्मन से परेशान रहता हो ऐसे मनुष्य को तर्जनी अर्थात इंडेक्स फिंगर से माला का जप करना चाहिए।
३) मोक्ष और सुखी जीवन जीने के लिए अंगूठे से जप की माला का प्रयोग करना चाहिए। इससे सुखी जीवन और मोक्ष की प्राप्ति होती है।
४) शास्त्र अनुसार यदि घर में हमेशा क्लेश या अशांति बना रहता है तो ऐसे मनुष्य को जप करते वक्त जप माला को अनामिका यानि रिंग फिंगर से जप करना चाहिए।
ये समस्त जानकारियां शास्त्र के अनुसार है|
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