शनि जयंती जो शास्त्रों के अनुसार वैशाख मास की अमावस्या को मनाया जाता है। इस वर्ष ये पर्व 25 मई, गुरुवार के दिन है। माना जाता है की यदि इस दिन वो लोग पूजा करें जिनके ऊपर शनि की ढय्या अर्थात साढ़ेसाती का प्रभाव है तो शनि के साढ़ेसाती का प्रभाव कम होता है। इसलिए आज हम राशि अनुसार उन उपयों के बारे में समझेंगें जिनसे इस दोष का प्रभाव कम होता है।

 

१) मेष राशि:

इस राशि के जातक को सुन्दरकाण्ड या हनुमान चालीसा का पाठ करना चाहिए।

 

२) वृषभ राशि:

शास्त्रों के अनुसार यदि इस राशि के जातक के कुंडली में शनि के कोई प्रभाव है तो जातक को शनि अष्टोत्तर शत नामावली का पाठ करना चाहिए।

 

३) मिथुन राशि:

शास्त्रों के अनुसार यदि इस राशि के जातक के कुंडली में शनि के कोई प्रभाव है तो जातक शनि देव को काली उड़द का दान करें। इससे शनि के प्रभाव कम होते हैं।

 

४) कर्क राशि:

इस राशि के जातक को शनि के प्रभाव कम करने के लिए राजा दशरथ कृत शनि स्त्रोत का पाठ करना चाहिए।

 

५) सिंह राशि:

इस राशि के जातक को किसी भी मंगलवार के दिन श्री राम भक्त हनुमानजी के मंदिर में हनुमान जी को चोला चढ़ाएं।

 

६) कन्या राशि:

इस राशि के जातक को शनि देव के बीज मंत्र का उच्चारण करना चाहिए।

 

७) तुला राशि:

इस राशि के जातक को शनि मंदिर में शनि देव को सरसों के तेल से अभिषेक करें।

 

८) वृश्चिक राशि:

इस राशि के जातक को प्रतिदिन सुबह चीटियों को आता डालना चाहिए।

 

९) धनु राशि:

इस राशि के जातक को पीपल के पेड़ के निचे 11 दीपक जलना चाहिए।

 

१०) मकर राशि:

इस राशि के जातक को शनिदेव के वैदिक मन्त्रों का उच्चारण करना चाहिए।

 

११) कुंभ राशि:

इस राशि के जातक को ज्योतिष की सलाह के अनुसार नीलम रत्न को धारण करना चाहिए।

 

१२) मीन राशि:

कुष्ट रोगियों की जितनी हो सके यथा संभव मदद करना चाहिए, इस राशि के जातक को।

 

 

ये समस्त जानकारियां शास्त्र के अनुसार है|

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जप माला, इसका प्रयोग जप करने के लिए जरुरी माना जाता है क्योंकि शास्त्रों के अनुसार यदि कोई जप बिना माला के किये जाये तो वो व्यर्थ होते हैं। आज हम शिव पुराण के अनुसार जानेंगे कितने दानों की माला जप करने के लिए उत्तम है और उसे किस ऊँगली से फेरनी चाहिए।

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तिरुपति बालाजी भारत के सबसे प्रसिद्ध तीर्थस्थलों में से एक है। यह पवित्र स्थान आंध्र प्रदेश के चित्तूर जिले में स्थित है। इस मंदिर में प्रत्येक साल लाखों श्रद्धालु श्री तिरुपति बालाजी के दर्शन के लिए इस पवित्र स्थान पे आते हैं। आज हम तिरुपति बालाजी के मन्त्रों के बारे में जानेंगे और इस मंत्र से होने वाले फायदों के बारे में भी।

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कालाष्टमी जिसे हम काला अष्टमी के नाम से जाना जाता है। ये प्रत्येक माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को मनाया जाता है। इस दिन भगवान काल भैरव की पूजा की जाती है। आइये आज हम जाने इसकी शुरुआत कैसे हुई और किस प्रकार इस दिन व्रत किये जाते हैं।

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वास्तु शास्त्र जो हमें घर के निर्माण से लेकर उस घर में किस स्थान पे वास्तु को रखना शुभ और फायदेमंद होगा उसको बताता है। प्रत्येक घर में एक भाग मंदिर के लिए होता है। इसलिए मंदिर के निर्माण के समय भी कुछ नियमों का पालन करना बेहद आवश्यक है। वास्तु के अनुसार आज जानेंगे किस दिशा में मंदिर की स्थापना करना चाहिए तथा किस दिशा में देवी-देवता की की मूर्ति होना शुभ फल प्रदान करने वाला होता है।

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ज्योतिष विद्या जिसके द्वारा किसी भी व्यक्ति के स्वभाव को समझने तथा उनके भविष्य के रहस्य को सुलझाने में प्रयोग होता है। मनुष्य के जन्म के समय और उस तिथि के द्वारा उसके कुंडली का निर्माण किया जाता है। हस्तरेखा के द्वारा भी किसी व्यक्ति के वर्तमान को समझा जा सकता है। ऐसे ही भारतके प्राचीन विद्याओं में एक और विद्या है समुद्र शास्त्र। आइये आज हम जानते हैं किस प्रकार व्यक्ति के शारीरिक बनावट, शरीर में स्थित चिन्ह या उसके हाव-भाव से उस व्यक्ति के भविष्य और उसका वर्तमान जान सकते हैं।

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जब भी हम घर का निर्माण करते हैं तब हम कई सारी चीजों को देखते और समझते हैं ताकि हमारा घर सबसे मजबूत और अच्छा हो। लेकिन शास्त्रों के अनुसार घर में उपयोग किये गए रंग भी हमारे घर के सकारात्मक और नकारात्मक ऊर्जा के लिए जिम्मेदार होते हैं। वैसे घर में रंगों का प्रयोग हम कई तरीकों से करते हैं। जैसे घर के दीवारों से लेकर पर्दों तक, घर में राखी गई वास्तु से लेकर फर्श का रंग भी वास्तु के अनुसार बेहद महत्वपूर्ण है। इसलिए आज हम घर में किस तरह के फर्श का उपयोग करें, आज जानेंगे।

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आज वैशाख माह की पूर्णिमा है। शास्त्रों में बताया गया है की प्रत्येक पूर्णिमा के दिन यदि किसी पवित्र नदी में स्नान किया जाए तो स्नान करने वाले को अक्षय पुण्य प्राप्त होता है एवं किये गए पापों का प्रभाव कम होता है। आइये आज हम जाने उन उपायों के बारे में जिसके द्वारा हम देवी-देवताओं के आशीष को प्राप्त कर सकते हैं।

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कल यानि की 10 मई को वैशाख माह की पूर्णिमा है। इस पूर्णिमा को बुद्ध पूर्णिमा के नाम से जाना जाता है। मान्यता अनुसार भगवान बुद्ध (बौद्ध धर्म के संस्थापक)  का जन्म वैशाख माह में हुआ था। इसलिए इस पूर्णिमा को बुद्ध पूर्णिमा के नाम से जाना जाता है।

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10 मई को वैशाख महीने की पूर्णिमा है जिस दिन बुधादित्य योग का महासंयोग बन रहा है। ये दिन बहुत ही महत्वपूर्ण है क्योंकि ऐसा योग 297 वर्षों के बाद आ रहा है। ये योग शास्त्रों के अनुसार बहुत ही महत्वपूर्ण माना गया है क्योंकि ऐसे संयोग बहुत ही दुर्लभ होते हैं। शास्त्रों के अनुसार इस दिन पुण्य स्नान, दान-पुण्य और लुक शुभ चीजों की खरीदी के लिए उत्तम है। आइये आज हम इस पूर्णिमा के बारे में जानते हैं।

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6 मई यानि शनिवार के दिन इस बार एकादशी है जिसे मोहिनी एकादशी के नाम से जाना जाता है। इस बार एकादशी शनिवार होने के कारन इस दिन श्री हरी की उपासना के साथ-साथ यदि शनि के उपाय किये जाए तो उत्तम साबित हो सकता है। ज्योतिषाचार्य के अनुसार इस शनिवार किये गए उपायों से शनि के दोष कम होते हैं। आइये आज हम इसी उपायों के बारे में जानेंगे।

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जीवन में कभी न कभी कोई न कोई समस्या जरूर आती है। इस संसार में ऐसा कोई मनुष्य नहीं जो परेशानियों का शिकार न हुआ हो। इन समस्याओं को या तो कुछ लोग अपना भाग्य समझकर बैठ जाते हैं। लेकिन हमारे शास्त्रों में सभी समस्या का समाधान उपलब्ध है। चाहे हम इसे तत्न्त्रिक उपायों के द्वारा करें या वैदिक उपायों के द्वारा। आर्थिक तंगी से आज के समय में ज्यादा लोग परेशान हैं। धन प्राप्ति के लिए हम हर संभव उत्तम उपाय करते हैं। इसलिए आज हम धन का संचय और उसकी प्राप्ति के लिए कनकधारा स्त्रोत के पाठ के बारे में जानेंगे।

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