काशी जहाँ आत्मा को मोक्ष की प्राप्ति होती है। इसे शास्त्र के अनुसार मोक्ष की नगरी कहा जाता है क्योंकि काशी भगवान शिव की सबसे प्रिय नगर है और इसकी रक्षा स्वयं महादेव करते है। लेकिन आज हम जानेंगे की क्यों श्री कृष्ण ने महादेव की इस प्रिय नगर को सुदर्शन चक्र से जलाकर राख कर दिया।

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सूर्य देव की पूजा वैसे तो प्रत्येक दिन करनी चाहिए। लेकिन रविवार का दिन सूर्य देव की पूजा करने के लिए उत्तम माना गया है। इस दिन उन्हें जल अर्पित करने, मन्त्र का जप करने से बल-बुद्धि, वैभव, तेज, पराक्रम, समाज और परिवार में मान-सम्मान प्राप्त होता है। आज हम जानेंगे किस प्रकार रविवार के दिन सूर्य को अर्ध्य प्रदान करें।

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मृत्यु हमारे जीवन का सबसे बड़ा सत्य। मृत्यु के पश्च्यात हमारे शरीर में स्थित आत्मा उस शरीर को त्याग देती है। लेकिन शरीर त्यागने के पश्च्यात आत्मा का न कोई उद्देश्य होता है और न उनके पास कोई शरीर। आज हम जानने की कोशिश करेंगे महात्मा बुद्ध के द्वारा बताये गए आत्मा के बारे में।

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शुक्रवार माँ लक्ष्मी का दिन। शास्त्रों के अनुसार यदि इस दिन माँ लक्ष्मी की आराधना किया जाय तो माँ लक्ष्मी प्रसन्न होती है तथा घर में सुख- समृद्धि बनी रहती है। आज हम जानेंगे ऐसे कुछ उपायों के बारे में।

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आज से हिन्दू पंचांग के दूसरे महीने वैशाख की शुरुआत हो चुकी है। हमारे शास्त्रों में इस महीने को सबसे महत्वपूर्ण महीना माना जाता है। वैशाख का यह महीना 12 अप्रैल बुधवार से लेकर 10 मई, बुधवार तक रहेगा। आइये जानें इस महीने क्या उपाय करें ताकि त्रिदेव प्रसन्न हो सकें।

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कई तरह के मंत्र तथा यंत्र का उपयोग हम तंत्र शास्त्र के अनुसार करते हैं। यदि इन यंत्रों को सिद्ध कर के उपयोग किया जाय तो मनचाही सफलता प्राप्त की जा सकती है। प्रत्येक देवी-देवता एवं ग्रहों के लिए विशेष यंत्र होते हैं जो देवी-देवता को प्रसन्न करने के लिए और ग्रहों को अनुकूल बनाने के लिए करते हैं।आइये आज हम जानें किस यंत्र का प्रयोग करना शुभ और लाभकारी होता है।

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आज हम आपको मध्यप्रदेश के गड़ियाघाट माताजी के मंदिर के बारे में बताएँगे जो अपने एक अनोखी घटना के लिए जाना जाता है। जी हाँ कालीसिंध नदी के किनारे स्थित माताजी के इस मंदिर में दिये पानी से जलाये जाते हैं, उसे जलाने के लिए घी या तेल की जरुरत नहीं होती। आइये जानें इसके बारे में।

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गायत्री मंत्र हमारे भारतीय संस्कृति का सनातन और अनादि मंत्र है। ये मंत्र पुरे ब्रह्माण्ड और उसमे स्थित सारे जीवों के कल्याण का सबसे बड़ा स्रोत है। शास्त्रों के अनुसार इस मंत्र का उच्चारण खुद देवता भी करते है। आइये आज हम गायत्री मंत्र के महत्त्व के बारे में जानेंगे।

 

हमारे पुराणों के अनुसार परम पिता ब्रह्म देव को आकाशवाणी हुई और उस आकाशवाणी में उन्हें गायत्री मंत्र प्राप्त हुआ। जिसके कारण वे इस संसार का निर्माण कर सकें। इस मंत्र की व्याख्या के लिए ही ब्रह्म देव ने चार वेदों की रचना किये। जिस कारण गायत्री माँ को वेद माता के नाम से जाना जाता है। शास्त्रों में इसे एक पंक्ति के द्वारा वेदों का सार बताया गया है: सर्ववेदानां गायत्री सारमुच्यते।

 

मंत्र के सम्बन्ध में कहा गया है:

नास्ति गंगासमं तीर्थ न देव: केशवात पर:।

गायत्र्यास्तु परं जप्यं न भूतो न भविष्यति।

 

गायत्री मंत्र का महत्त्व:

जिस प्रकार माँ गंगा के सामान कोई तीर्थ नहीं, श्री कृष्ण के सामान कोई देव नहीं, उसी प्रकार गायत्री मंत्र से श्रेष्ठ और उत्तम कोई जप करने योग्य न कोई मंत्र है और न होगा।

शास्त्र अनुसार यदि कोई पुरे श्रद्धा पूर्वक गायत्री मंत्र का जप करता है उसे शारीरिक, भौतिक, और आध्यात्म के पथ में आने वाले सारे बाधाएं ख़त्म होती है। उनके अंदर नै शक्ति और ऊर्जा का संचार होता है। हमारे अंदर आत्मबल, सयंम, बुद्धि, प्रेम, नम्रता, और शांति की बढ़ोत्तरी होती है।
देवी भागवत में भी कहा गया है की नृसिंह, सूर्य, वराह, तांत्रिक और वैदिक मंत्रों के अनुष्ठान गायत्री मंत्र का जप किए बिना पूरा नहीं होता है। श्री कृष्ण ने खुद गीता में बताया है की “गायत्री छंद समाहन” जिसका अर्थ है मन्त्रों में गायत्री मंत्र हूँ मैं। इसीलिए इसके उच्चारण से देव सम्बंधित शरीरस्थ नाड़ियों में  प्राणशक्ति का प्रभाव होने लगता है और रक्त का संचार होने लगता है। इससे शरीर में स्थित सारे रोगों का नाश होता है।

 

ये समस्त जानकारियां शास्त्र के अनुसार है|

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भारत अपने रीती-रिवाज और परम्पराओं के लिए पूरी दुनिया में प्रसिद्ध है। हमारे संस्कृति में ऐसे ही कई रीती-रिवाज हैं जिसको हम अपने मनोकामना की पूर्ति के लिए करते हैं।जिसे हमारे पूर्वजों ने बनाया। आज हम ऐसे ही कुछ मंदिरों के बारे में जानेंगे जो अपने अनोखी परम्परों के बारे में जानेंगे।

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मंदिर एक ऐसा स्थान जहाँ कभी भी क्यों न जाएँ मन को शांति जरूर मिलती है। इसी कारण से लोग मंदिर जाते हैं। लेकिन क्या आपको पता है की क्यों हम मंदिर में नंगे पैर जाते हैं, क्यों पूजा करने के दौरान घंटी को बजाई जाती है , पूजा के बाद क्यों परिक्रमा किया जाता है? आज हम ऐसे ही कुछ नियम के वैज्ञानिक कारण जानेंगे।

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२९ मार्च से हिन्दू नव वर्ष की शुरुआत हो चुकी है यानि की विक्रम संवत २०७४ शुरू हो चूका है। मंगल जिसके राजा है(कुछ पंचांग के अनुसार बहुध और कुछ पंचांग में शुक्र को राजा संबोधित किया गया है। ) तथा जिसके मंत्री गुरु है।  आइये आज हम जानें हिन्दू नववर्ष के अनुसार हमारी राशियां क्या कहती है?

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आज नवरात्री का चतुर्थ दिन है। आज के दिन देवी कुष्मांडा की पूजा की जाती है। आइये आज हम जानेंगे की क्यों देवी की पूजा की जाती है और इनके नाम का अर्थ क्या है?

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