त्रिदेवों को प्रसन्न करने के लिए वैशाख महीने करें ये उपाय

आज से हिन्दू पंचांग के दूसरे महीने वैशाख की शुरुआत हो चुकी है। हमारे शास्त्रों में इस महीने को सबसे महत्वपूर्ण महीना माना जाता है। वैशाख का यह महीना 12 अप्रैल बुधवार से लेकर 10 मई, बुधवार तक रहेगा। आइये जानें इस महीने क्या उपाय करें ताकि त्रिदेव प्रसन्न हो सकें।

वैशाख महीने के बारे में पुराण में लिखा है:

न माधवसमो मासों न कृतेन युगं समम्।

न च वेदसमं शास्त्रं न तीर्थं गंगया समम्।।

इसका अर्थ है वैशाख मास के सामान कोई भी महीना नहीं, सत्ययुग के सामान कोई भी युग नहीं, वेद के जैसा कोई शास्त्र नहीं और गंगा के सामान कोई तीर्थ नहीं।

 

त्रिदेवों को प्रिय है वैशाख मास:

हमारे शास्त्रों में उल्लेखित है की ब्रह्म देव ने इस महीने को हिन्दू पंचांग में सभी महीने से उत्तम महीना बताया है। श्री हरी के भक्तों के लिए ये महीना अपने आराध्य को प्रसन्न करने का सबसे खास मास में से एक है। इस महीने प्रातः काल उठकर सूर्य को अर्ध्य अर्पण करके, श्री हरी का ध्यान करना चाहिए और तत्पश्च्यात किसी को जल का दान करना चाहिए। केवल इस दान मात्र से सभी तीर्थ जानें का और सभी दानों से भी ज्यादा पुण्य की प्राप्ति होती है। जो मनुष्य प्याऊ लगता है उसे विष्णुलोक की प्राप्ति होती है।

 

श्री हरी की इस तरह करें आराधना:

हिन्दू पंचांग एक साल में बारह महीने होते है और हर एक महीने के स्वामी अलग-अलग होते है, जो सभी देवों में से एक होते है तथा उनके आराधना करने की विधिउ भी अलग-अलग होती है। इसी अनुसार वैशाख महीने के स्वामी श्री कृष्ण है। शास्त्रों के अनुसार सूर्यदेव के मेष राशि में आने पे भगवान मधुसूदन के नित्य दिन वैशाख मास में आराधना करना चाहिए। और उनकी पूजा करना चाहिए। आराधना करने के दौरान इस मंत्र का जप करें।

मधुसूदन देवेश वैशाखे मेषगे रवौ।

प्रात:स्नानं करिष्यामि निर्विघ्नं कुरु माधव।।

अर्थ: है मधुसूदन, मैं मेष राशि में सूर्य की स्थिति होने पे, वैशाख महीने प्रातः काल उठकर में स्नान करूँगा। आप इसे बिना किसी बाधा के पूरा कीजिएगा।

 

तत्पश्च्यात इस मंत्र से सूर्य को अर्घ्य दें-

वैशाखे मेषगे भानौ प्रात:स्नानपरायण:।

अर्ध्य तेहं प्रदास्यामि गृहाण मधुसूदन।।