जानें गायत्री मंत्र को क्यों माना गया है प्रभावशाली?

गायत्री मंत्र हमारे भारतीय संस्कृति का सनातन और अनादि मंत्र है। ये मंत्र पुरे ब्रह्माण्ड और उसमे स्थित सारे जीवों के कल्याण का सबसे बड़ा स्रोत है। शास्त्रों के अनुसार इस मंत्र का उच्चारण खुद देवता भी करते है। आइये आज हम गायत्री मंत्र के महत्त्व के बारे में जानेंगे।

 

हमारे पुराणों के अनुसार परम पिता ब्रह्म देव को आकाशवाणी हुई और उस आकाशवाणी में उन्हें गायत्री मंत्र प्राप्त हुआ। जिसके कारण वे इस संसार का निर्माण कर सकें। इस मंत्र की व्याख्या के लिए ही ब्रह्म देव ने चार वेदों की रचना किये। जिस कारण गायत्री माँ को वेद माता के नाम से जाना जाता है। शास्त्रों में इसे एक पंक्ति के द्वारा वेदों का सार बताया गया है: सर्ववेदानां गायत्री सारमुच्यते।

 

मंत्र के सम्बन्ध में कहा गया है:

नास्ति गंगासमं तीर्थ न देव: केशवात पर:।

गायत्र्यास्तु परं जप्यं न भूतो न भविष्यति।

 

गायत्री मंत्र का महत्त्व:

जिस प्रकार माँ गंगा के सामान कोई तीर्थ नहीं, श्री कृष्ण के सामान कोई देव नहीं, उसी प्रकार गायत्री मंत्र से श्रेष्ठ और उत्तम कोई जप करने योग्य न कोई मंत्र है और न होगा।

शास्त्र अनुसार यदि कोई पुरे श्रद्धा पूर्वक गायत्री मंत्र का जप करता है उसे शारीरिक, भौतिक, और आध्यात्म के पथ में आने वाले सारे बाधाएं ख़त्म होती है। उनके अंदर नै शक्ति और ऊर्जा का संचार होता है। हमारे अंदर आत्मबल, सयंम, बुद्धि, प्रेम, नम्रता, और शांति की बढ़ोत्तरी होती है।
देवी भागवत में भी कहा गया है की नृसिंह, सूर्य, वराह, तांत्रिक और वैदिक मंत्रों के अनुष्ठान गायत्री मंत्र का जप किए बिना पूरा नहीं होता है। श्री कृष्ण ने खुद गीता में बताया है की “गायत्री छंद समाहन” जिसका अर्थ है मन्त्रों में गायत्री मंत्र हूँ मैं। इसीलिए इसके उच्चारण से देव सम्बंधित शरीरस्थ नाड़ियों में  प्राणशक्ति का प्रभाव होने लगता है और रक्त का संचार होने लगता है। इससे शरीर में स्थित सारे रोगों का नाश होता है।

 

ये समस्त जानकारियां शास्त्र के अनुसार है|

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