चन्द्रमा यदि हमारे कुंडली में अशुभ स्थिति में हो तो कई तरह की समस्या का सामना करना पड़ता है। ज्योतिष शास्त्र में चन्द्रमा को मन का करक माना गया है। आई हम जानेंगे किस प्रकार अपने कुंडली में चन्द्रमा को मजबूत कर सकते हैं।

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श्रावण माह के कृष्ण पक्ष की एकादशी को कामिका एकादशी के नाम से जाना जाता है, जो की 19 जुलाई 2017 अर्थात बुधवार को है। इस दिन भगवान श्री हरी की पूजा और उनकी भक्ति का सर्वश्रेष्ठ समय होता है। इस व्रत के पुण्य से मनुष्य को सभी पापों से मुक्ति मिलती है। आज हम जानेंगे किस प्रकार इस एकादशी को किया जाये।

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आज सोमवार है, इसलिए आज हम विल्व पत्र के बारे में जानेंगे। बिल्व पत्र को शिवद्रुम के नाम से जाना जाता है। शास्त्रों के अनुसार इस पेड़ का बहुत महत्वपूर्ण और पवित्र माना गया है। यह पेड़ सम्पन्नता का प्रतिक है और समृद्धि देने वाला है। कहा जाता है की जिस घर में इसका पेड़ होता है उस जगह कभी भी किसी चीज की कमी नहीं होती है।

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सावन की शुरुआत हो चुकी है। कहा जाता है यदि इस सावन के समय में कोई भी सच्चे मन और भक्ति के साथ भगवान भोलेनाथ की पूजा करता है उसकी सारी मनोकामनाएं पूर्ति होती है। आज हम जानेंगे राशि अनुसार किस प्रकार भगवान शिव की आराधना करना हमारे लिए सबसे ज्यादा फलदाई होगा।

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मौली धागा, जिसे हम पूजा के दौरान ब्राह्मण के द्वारा हम अपने कलाई पर बांधते हैं। हमारे धर्म में इस धागे का बहुत महत्त्व है। जो भी मनुष्य पूजा या किसी यज्ञ में बैठता है उसे इस धागे को अपनी दायीं या बाईं कलाई पर बांधना होता है। इस धागे को बांधने से धर्म लाभ के साथ-साथ स्वास्थ्य लाभ भी मिलता है। आज हम जानेंगे की क्यों मौली धागा बांधा जाता है और इसके क्या लाभ है?

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जया पार्वती व्रत जो की 6 जुलाई को है, जो १२ जुलाई 2017 को समाप्त होगा। यह व्रत माँ जया को समर्पित है जो माँ पार्वती का रूप है। 5 दिनों तक चलने वाला यह व्रत, प्रायः गुजरात में मनाया जाता है। इन पांच दिनों तक महिलाएं और कुंवारी कन्या व्रत रखती हैं। कुंवारी कन्या अच्छा पति पाने के लिए और शादी-शुदा महिलाएं अपने पति की लम्बी आयु के लिए। आज हम इस व्रत को करने की विधि के बारे में जानेंगे।

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देवशयनी एकादशी आषाढ़ शुक्ल पक्ष की एकादशी को कहा जाता है। शास्त्र अनुसार भगवान श्री हरी चार महीने तक योग निद्रा में जाते हैं। चातुर्मास हिन्दू कैलेंडर के अनुसार इसी दिन से शुरू होता है जो चार महीने तक होता है। इन चार महीनों में किसी भी प्रकार के मांगलिक कार्य नहीं किये जाते हैं। इस समय सिर्फ भगवान की भक्ति करने की सलाह दी जाती है। इस बार देवशयनी एकादशी 4 जुलाई मंगलवार के दिन है। आज हम जानेंगे इस पूजा को करने की विधि और कथा।

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