क्या है पुनर्जन्म का रहस्य और इसके क्या प्रभाव होते है इस जन्म पर

आज हम आपको बताएँगे की हमे क्यों और किस प्रकार से पूर्व जन्मों के फल प्राप्त होते हैं| हम पूर्व जन्म मे क्या किया और उसके क्या परिणाम हमे इस जन्म मे मिलेंगे| ये सारी चीज़ें हम आज आपको बताएँगे|

किसी भी जीव हो या मनुष्य सभी को अपने पुराने कर्म और पाप-पुण्य को परिणाम भुगतना पड़ता है| मनुष्य की जब मृत्यु होने वाली होती है तब उस समय जो कुंडली बनती हैं, उसे पुण्य-चक्र कहतें हैं| ये इस लिए बनाई जाती हैं क्योंकि इससे मनुष्य के अगले जन्म की जानकारी पता चलती हैं की उसका जन्म कब और कहाँ होगा|

हमारे शास्त्र के अनुसार यदि मरण कल मे लग्न मे सूर्य या मंगल हो तो जातक की गति मृत्यु-लोक मे, गुरु हो तो देवलोक मे, चंद्रमा या शुक्र हो तो पितृ-लोक और बुध या शनि हो तो नरक लोक की और होता है| यदि बारहवें स्थान मे शनि, राहु या केतु की युति अष्टमेश के साथ होता है, तो जातक को मृत्यु-लोक की प्राप्ति होती हैं और यदि बारहवें स्थान मे शुभ ग्रह हो, तो द्वादशेश बलवान हो जाता है जिससे मोक्ष की प्राप्ति होती हैं|

 

हम सिर्फ़ ये जानते हैं की पत्रिका हमारे विवाह या किसी दोष की जानकारी बताती हैं लेकिन अगर हम आपको बताते हैं की किस पत्रिका हमारे पूर्व जन्म की जानकारी भी देती हैं| पत्रिका मे गुरु, शनि और राहु ग्रह की स्थिति हमारे अंदर व्याप्त जो अंतर आत्मा हैं उसका संबंध पूर्व कर्म के द्वारा प्राप्त फल या प्रभाव बताती हैं|

 

१) गुरु ग्रह यदि लग्न मे स्‍थापित हो तो ये पूर्वजों के स्नेह और आशीर्वाद को दर्शाता हैं| ऐसे व्यक्ति को महसूस भी होता है उनके आसपास होने का जब वो पूजा करतें है| अगर ऐसा हो रहा है तो उस व्यक्ति को प्रत्येक अमावस्या के दिन दूध का दान करना चाहिए|

२) यदि दूसरे तथा आठवें स्थान मे अगर गुरु ग्रह है तो ये बात दर्शाता हैं की व्यक्ति पिछले जन्म मे संत या संत-प्रवृत्ति का  हैं या कुछ अधूरी और अतृप्त इच्छाएँ बाकी रह गई हैं, जिस कारण-वश उन्हें फिर से जन्म लेना पड़ा| हो सकता है ऐसे व्यक्ति पे बुरी आत्माओं का साया हो सकता हैं| इसलिए ऐसे व्यक्ति को हमेशा पूजा करना चाहिए और पुण्य करना चाहिए|

३) गुरु अगर तीसरे स्थान पे व्याप्त हो तो यह समझा जाता है की पूर्व जन्म मे कोई स्त्री थी जिनके आशीर्वाद से सुखमय जीवन व्यतीत होता है और अगर उनके श्राप हो तो उन्हें शारीरिक, मानसिक या आर्थिक रूप से परेशानियाँ होती हैं ऐसे लोगों को माँ भगवती की पूजा करनी चाहिए|

४) गुरु यदि चौथें स्थान मे अगर है तो ये बात दर्शाता हैं की व्यक्ति पूर्वजों मे से वापस आया हैं और जन्म लिया हैं | ऐसे व्यक्ति पे हमेशा पूर्वजों का आशीर्वाद होता हैं और शापित होने पर उस व्यक्ति को बहुत सारे कष्ट झेलने पड़तें हैं| ऐसे व्यक्ति को प्रत्येक वर्ष पूर्वजों के स्थान पे जाकर पूजा करनी चाहिए|

५) गुरु नवें स्थान मे हो तो उस व्यक्ति पे हमेशा बुजुर्गों का आशीर्वाद हमेशा रहता हैं| ऐसा व्यक्ति संत के समान विचारों वाला होता हैं और माया का त्यागी भी होता है| जैसे-जैसे उनकी उम्र बढ़ती हैं उसी प्रकार उनका ज्ञान भी बढ़ता जाता है|अगर ऐसा व्यक्ति किसी को बद्दुआ देता है तो उसकी बद्दुआ कम भी करती हैं|

६) गुरु अगर दसवें स्थान पे हो तो ऐसा व्यक्ति पूर्व जन्म के संस्कार से औत-प्रोत रहता हैं उसके अंदर बचपन से संत-प्रवृत्ति, धार्मिक विचार, उस परम-पिता परमेश्वर मे अटूट विश्वास रहता हैं| अगर दसवें, नवें या ग्यारहवें स्थान पर शनि या राहु भी हो तो, ऐसे व्यक्ति को धार्मिक स्थान या किसी न्यास का पदाधिकारी बनाया जाता हैं| अगर दुष्ट-प्रवृतियों के कारण वश अगर वो व्यक्ति बेईमानी, झूठ और भ्रष्ट से आर्थिक उन्नति करता भी हैं तो वो अंत मे भगवान के प्रति समर्पित हो जाता हैं|

७) ग्यारहवें स्थान पे गुरु होना ये दर्शाता है की व्यक्ति पूर्व जन्म मे तंत्र-मंत्र और गुप्त विधयाओं का जानकार होगा | ऐसे व्यक्ति को मानसिक अशांति हमेशा रहती हैं| राहु के कारण उसे विशेष परेशानियों का सामना करना पड़ता हैं| ऐसे व्यक्ति को माँ काली की पूजा करनी चाहिए|

८) बारहवें स्थान पे गुरु, गुरु के साथ राहु या शनि का योग हो तो व्यक्ति के पूर्व जन्म ये बतलता हैं की उसने पूर्व जन्म मे किसी मंदिर या धार्मिक स्थान को तोड़ने का काम किया है| इसलिए ऐसे व्यक्ति को इस जन्म मे हमेशा मंदिर या धार्मिक स्थान का कम करके पुण्य कामना चाहिए|