आज हम आपको आपकी मृत्यु से संबंधित कुछ बातें बताएँगे की किस प्रकार आप जाने की आपकी मृत्यु निकट है| क्योंकि कोई भी हो सभी को अपने मृत्यु के संकेत और पूर्वाभास होता है| कहा जाता है की परविज्ञान के मदद से हम जान सकते हैं की कब हमारी मृत्यु हो सकती है| हमारी मृत्यु के संकेत हमारे जन्म से संबंधित है जैसे सामान्य तौर पे हमे अपनी मृत्यु के संकेत नौ महीने पहले से होने लगते हैं लेकिन अगर कोई अपने माँ के गर्भ मे ७ महीने रहा हो तो उसे उसकी मृत्यु के संकेत ७ महीने पहले ही होने लगते हैं| हमारे शास्त्र मे मृत्यु पूर्वाभास के कई तरीके बताए गये हैं| इसलिए हम आपको मृत्यु पूर्वाभास के कुछ संकेत के बारे मे बताएँगे जो आपको आपके मृत्यु के संकेत को बताएगा |
१) हमें हमेशा ही एक अनाहत नाद सुनाई देती है जब हमारे कान बंद होते हैं| अगर व्यक्ति को कान बंद करने के बाद सुनाई देने वाला अनाहत नाद ना सुनाई दे तो ये मृत्यु आने के पूर्वाभास होता हैं |
२) समय बीतने के साथ-साथ अगर किसी व्यक्ति के नाक की नोक दिखने मे कठिनाई हो रही है तो इसका मतलब उस व्यक्ति के आँखें धीरे-धीरे ऊपर के और चढ़ने लगी हैं| और मृत्यु के समय प्रत्येक व्यक्ति की आँखें ऊपर की और चढ़ जाती हैं इसलिए अगर ऐसा होंने लगे तो उस व्यक्ति की मृत्यु निकट है |
३) जब किसी की मृत्यु होने वाली होती है उसके कुछ समय पूर्व उसे आसमान मे मौजूद आकाशीय पिंड खंडित होते हुए दिखता है| उसे लगता है की सारी चीज़ें दो भागों मे विभक्त होने लगी हैं, जबकि ऐसा कुछ भी नही हो रहा होता है|
४) व्यक्ति को महसूस होता है की उसके सामने कोई अनजान व्यक्ति है जो उसे धुँधला दिखता है |
५) जब किसी मनुष्य की परछाई एक पल के लिए उसका साथ छोड़ दे तो उसकी मृत्यु हस्त नक्षत्र मे होने वाली है और निकट है |
६) किसी मनुष्य के जीवन सफ़र पूरा होने पर अगर उसे अपने पूर्वजों के साथ रहने का आभास होने लगे तो ये घटना हमेशा मृत्यु के दो दिन पहले महसूस होती है |
७) अगर दर्पण पे अपना चेहरा ना दिखकर अगर किसी मनुष्य को किसी और का चेहरा दिखने लगे तो उसकी मृत्यु २४ घंटे के भीतर होने वाली होती हैं |
८) अगर मृत्यु से पूर्व मानव शरीर से अजीब सी गंध आने लगे तो उसे मृत्यु गंध का नाम दिया जाता है |
९) अगर आपके दोनों स्वर चलने लगे तो आपका अंत निकट है क्योंकि प्रत्येक व्यक्ति का हमेशा एक ही स्वर चलता हैं, अगर आप जानना चाहतें हैं किस प्रकार ये पहचान करें तो अपनी नासिका के नीचे अपनी तर्जनी अंगुली पानी से भिगोकर रखें, आपको केवल एक ही नासिका छिद्र से वायु प्रवाह अनुभव होगा, इसे हे स्वर का चलना कहते हैं| इसलिए अगर दोनो स्वर चलना शुरू हो जाएँ तो आपकी मृत्यु निश्चित है| वैसे ये अनुभव लगभग दो से तीन दिन पूर्व प्रकट होता है |
पहले के समय प्रत्येक साधारण मनुष्य को अपने साथ-साथ दूसरे के मृत्यु का पूर्वाभास हो जाता था| लेकिन जब से सरस्वती नदी विलुप्त हुई है तब से हम सिर्फ़ अपने ही मृत्यु का पूर्वाभास महसूस कर सकतें हैं| ऐसा इसलिए क्योंकि सरस्वती नदी के विलुप्त होने से सुसुरुवा नाडी जो सिर के पीछे से ऊपर सिर के मध्य होती है वो सो गयी है| इसलिए इंसान पूर्वाभास या पूर्वानुमान अपना लगा सकता हैं| दूसरे के पूर्वानुमान लगाने के लिए योग विधि से हमें उस नाडी को जगाना पड़ेगा|
हमारी भविष्य जानने वाली नाडी फिर से जाग सकती हैं क्योंकि सरस्वती नदी माँ धरती के अंदर ही अंदर चलाये मान है|
मृत्यु के ठीक-ठीक भविष्यवाणी- पतंजलि सक्रिय वा निसक्रिय या लक्षणात्मक वा विलक्षणात्मक- इन दो प्रकार के कर्मों पर संयम और नियंत्रण पाने के बाद मृत्यु की ठीक-ठाक भविष्य जान सकतें हैं|