जाने क्यों नारियल को हनुमान जी के मुख द्वार पे रखने से हो जातें है दो टुकड़े ?

आज हम आपको हनुमान जी के ऐसे मूर्ति स्वरूप के बारे मे बताएँगे जो नारियल को खुद ही दो भागों मे तोड़ देती है|

गुजरात के बोटाद शहर के नज़दीक सारंगपुर मे स्थित लोकप्रिय हनुमान मंदिर हैं जो खुद ही अपने आप मे अनूठा है| यहाँ पे भक्तों की हमेशा ही भीड़ उपस्थित रहती है| यहाँ पे कहा जाता है की हनुमान जी को नारियल चढ़ाने से भक्तों की सारी मनोकामनाएँ पूरी होती है| इस मूर्ति की खास विशेषता ये है की जब भक्त हनुमान जी को नारियल का भोग लगाने के लिए जब उनके मुख द्वार पे नारियल को रखते हैं तो नारियल दो भागों मे विभक्त हो जाता है खुद ही| नारियल का आधा भाग हनुमान जी की मूर्ति के हाथ द्वारा निकल जाता है और दूसरा हिस्सा भगवान को अर्पित हो जाता है|

मंदिर के महंत श्री लाल भाई के अनुसार इस प्रतिमा को एक खास कारण के लिए बनाया गया है| मंदिर को साफ और स्वच्छ रखने के उद्देश्य को पूर्ति करने के लिए बनाया गया है| हम जानते हैं की मंदिरों मे नारियल को फोड़ने के लिए कितनी दिक्कत होती है और इधर-उधर फोड़ने से मंदिरों मे बहुत गंदगी होती हैं और गंदगी होने के कारण मंदिर का माहोल बहुत ही खराब हो जाता है| इसलिए इस मूर्ति की निर्माण इस प्रकार किया गया है ताकि भक्त अपना भोग भी लगा सकें और मंदिर मे गंदगी भी नही फैले|

 

महंत श्री लाल भाई ने बताया की वास्तव मे हनुमान जी की प्रतिमा मे एक प्रकार का मशीन लगाया गया है जिससे हमेशा नारियल दो भागों मे विभक्त हो जाता है| इसका निर्माण इस प्रकार किया गया है की जब नारियल भक्त के द्वारा हनुमान जी के मुख-द्वार पे रखा जाता है  तब नारियल अंदर जाता है और अंदर जातें ही मशीन के द्वारा नारियल दो हिस्सों  मे हो जाता है |

 

एक टुकड़ा मूर्ति के हाथों के द्वारा बाहर के और आ जाता है जो भक्त को प्रसाद के रूप मे मिल जाता है और दूसरा हिस्सा मंदिर प्रशासन भोग के रूप मे स्वीकार कर लेते हैं|

 

भले ही ये मूर्ति प्रकृति रूप से अपना काम नही कर रही हैं लेकिन फिर भी यहाँ आए सारे भक्त-गण की इच्छा पूरी हो जाती है क्यों की कहा जाता है की जिस प्रकार हम अपने घर को साफ रखते हैं, माँ लक्ष्मी को अपने घर मे बुलाने के लिए उसी प्रकार हमें मंदिर की भी सफाई रखनी चाहिए तभी तो उस जगह पे भगवान का वास होगा| इसलिए इस प्रकार के मंदिर की स्थापना की गई ताकि भक्त अपने प्रसाद को चढ़ा सकें और मंदिर भी साफ रहें|