श्री गणेश के तीन मंदिर, कहीं बढ़ रहे आकार तो कहीं है चोट के निशान

हिन्दू शास्त्रों में श्री गणेश की पूजा सर्वप्रथम किये जातें हैं। श्री गणेश के कई मंदिर है पुरे भारत वर्ष में, जिनमें से कई मंदिर ऐसे हैं जो अपने चमत्कारों और अपने इतिहास के कारण बहुत प्रसिद्ध है। आज हम ऐसे ही ३ मंदिरों के बारे में जानेंगे जो अपने अनोखे चमत्कार और उनसे जुडी पुराणी कहानियों के लिए प्रसिद्ध है।

 

१) रणथंभौर गणेश मंदिर:

 

ranthambore-ganesh-temple

हिन्दू शास्त्रों के अनुसार किसी भी शुभ काम को करने से पहले श्री विघ्नहर्ता की पूजा करना अच्छा माना जाता है, लेकिन भारत में एक ऐसा मंदिर भी है जहाँ भगवान श्री गणेश को हर शुभ काम से पहले चिठ्ठी भेजकर निमंत्रण दिया जाता है। ये गणेश मंदिर राजस्थान के सवाई माधौपुर से १० किलो मीटर दूर रणथंभौर के किले में स्थापित है।

 

अधिकांश लोग अपने घर में होने वाले प्रत्येक मांगलिक कार्यों का पहला कार्ड इस मंदिर में भगवान को अर्पण करते हैं। उस कार्ड पे निम्न पता लिखा जाता है – श्री गणेश जी, रणथंभौर का किला, जिला : सवाई माधौपुर(राजस्थान)। वहां के डाकिये बहुत ही प्रेम पर्वक उस कार्ड को श्री गणेश मंदिर में स्थापित करते हैं। उस मंदिर के पंडित उस निमंत्रण कार्ड को श्री लंबोदर के श्री चरणों में रख देते हैं।

 

२) कनिपक्कम गणेश मंदिर (आंध्रप्रदेश):

 

Kanipkkam_Ganpati

श्री विघ्नहर्ता का एक ऐसा मंदिर जहाँ पूजा करने वाले सभी भक्तों के कष्ट तुरंत दूर होते हैं। इस मंदिर के कई खास बातें हैं।

  • प्रथम ये विशाल मंदिर चित्तूर में एक नदी के बीचो-बीच स्थित है।
  • दूसरी बात श्री विनायक की मूर्ति का आकार प्रत्येक दिन बढ़ता ही जा रहा है। प्रमाण के तौर पे उनका पेट और घुटना है जो खुद-ब-खुद बड़ा आकार ले रहा है। श्री गणेश भक्त श्री लक्ष्माम्मा ने उन्हें एक कवच भेंट किया जो इसके आकार के कारण अब पहनना मुश्किल हो गया है।
  • तीसरी बात, किसी भी गलती न करने के लिए भक्त नदी में स्नान भी करते हैं। इसके पीछे एक पौराणिक कथा है की एक बार संखा और लिखिता दोनों भाई कनिपक्कम की यात्रा पे निकले। लंबी यात्रा करने से लिखिता को बहुत तेज भूख लगी। रस्ते में उन्हें एक आम का पेड़ दिखा। वो आम तोड़ कर खाना चाहा लेकिन उसके भाई संखा ने उसे बहुत मना किया, लेकिन वो नहीं माना।

           इसके बाद संखा ने उसकी शिकायत वहां के पंच से कर दिया जिसके सजा स्वरूप लिखिता के दोनों हाथ काट लिए गए। कहते है बाद में दोनों भाइयों ने उस हाथ को कनिपक्कम में इसी नदी में दोनों हाथों को डाल दिया। इसलिए इसे बहुदा नदी कहते हैं, जिसका अर्थ होता है आम आदमी के हाथ। नदी में हाथों को डालने से ही लिखिता के दोनों हाथ पुनः जुड़ गए।

 

३) श्री गजानन का उच्ची पिल्लयार मंदिर (तमिलनाडु):

 

Ucchi-Pillayar-Ganesh-Temple

श्री विनायक का यह मंदिर तिरुचिरापल्ली (त्रिचि) नामक स्थान पर रॉक फोर्ट पहाड़ी की चोटी पर बसा हुआ है, जो तमिलनाडु में है। इस मंदिर की सुंदरता के साथ-साथ इसकी खासियत इस मंदिर से जुड़ी पौराणिक कथाओं से भी है। पौराणिक कथाओं के अनुसार इस मंदिर की कहानी रावण के भाई विभीषण से जुड़ी है।

रावण के वध के बाद, श्री राम ने अपने भक्त विभीषण को श्री हरी के एक रूप रंगनाथ की मूर्ति प्रदान किया था। विभीषण राक्षस कुल के होने के कारण सभी देवता नहीं चाहते थे की वो मूर्ति विभीषण के साथ लंका जाये। उस मूर्ति के पीछे एक मान्यता थी की वो प्रतिमा जिस जगह पे एक बार स्थापित किया जाए वो उस जगह ही स्थापित हो जाएगी।
रस्ते में बालस्वरूप श्री गणेश दिखें। विभीषण उस प्रतिमा को उस बालक के हाथों में देकर नाड में स्नान करने चले गए। जब विभीषण वापस आये तो उन्होंने उस मूर्ति को जमीन पे रखा देखा। उसने बहुत कोशिश किया लेकिन उस मूर्ति को वो पुनः उठाने में असफल रहा तथा वो बहुत क्रोधित हो गया। अतः वो उस बालक को ढूंढते हुए वो पर्वत के शिखर पे आ गए जहाँ वो बाल रूप धारण किये श्री गणेश को देखकर क्रोधित हो गए और क्रोध पूर्वक उन्होंने गणेश के सिर पे वार कर दिया। तब गणेशा ने उन्हें असली रूप का दर्शन दिया। दर्शन पाकर विभीषण ने उनसे क्षमा माँगा और वहां से चले गए। तब से ही श्री विनायक उसी पर्वत की चोटी पे ऊँची पिल्लयार के रूप में विराजमान हैं। अभी भी विभीषण के द्वारा किये गए वार का निशान इस जगह स्थापित श्री गणेश की प्रतिमा पे उपस्थित है।