हम हमेशा मंदिर तो जाते हैं, लेकिन फिर भी हमें मंदिर मे पूजा करने के बाद भी कुछ अच्छा नहीं होता हमारे साथ| इसलिए आज हम आपको बताएँगे की क्यों और किस कारण वश हमें पूजा करने का फल प्राप्त नहीं होता|
हमारे जीवन मे बहुत लोग मिलते हैं जिसमे से कुछ लोग हमें सकारात्मक ऊर्जा देते हैं और कुछ लोग अपने कर्मों और अपनी गलत आदतों के कारण नकारात्मक ऊर्जा देते हैं| और हमारे शास्त्रों के अनुसार जब भी हम पूजा करने के लिए मंदिर जा रहें हैं तो पूजा करते वक्त और भगवन के दर्शन करते वक्त हमेशा अपने मन को शांत रखना चाहिए| अगर हमारा मन विचलित होगा तो उसका फल भी हमें नहीं मिलेगा| धर्म ग्रन्थ मे श्रीरामकृष्ण परमहंस ने ऐसे ही पांच लोगों के बारे मे बताया हैं जिसके साथ कभी भी मंदिरों मे प्रवेश नहीं करना चाहिए और न ही कभी भी उनके साथ पूजा करना चाहिए|
चलिए उन पांच लोगों के बारे मे जानें:
१) जो मनुष्य निंदा करता हो:
किसी की भी निंदा करना आज के समय मे ये आम बात हैं | निंदा मनुष्यों का सबसे बड़ा दोष होता है| ऐसे मनुष्य जो हमेशा किसी न किसी की निंदा करते हैं बुराई करते रहते हैं| ऐसे मनुष्य के साथ कभी भी न ही पूजा करनी चाहिए और न ही कभी भी इनके साथ मंदिरों मे जाना चाहिए, क्योंकि ऐसे मनुष्य हमेशा किसी की बुराई करते रहते हैं और अपने आस-पास के वातावरण मे उपस्थित सकारात्मक ऊर्जा को नष्ट कर देते हैं| इसकारण से आस-पास सिर्फ नकारात्मक ऊर्जा बढ़ जाती हैं| इसलिए जब भी हम मंदिर जाएँ या कभी हम पूजा कर रहें है तो ध्यान रहें की इस प्रकार के मनुष्य हमारे साथ उपस्थित न हो|
२) नास्तिक व्यक्ति:
नास्तिक मतलब ऐसे लोग जो भगवान और धर्म मे न ही आस्था रखते हैं और न ही उनपे विश्वास करते हैं| इसलिए ध्यान रहें की जब भी हम पूजा कर रहें हो या मंदिर जा रहे हों तो ऐसे मनुष्य से दुरी बनाए रखें| क्योंकि ऐसे मनुष्य को धर्म-ज्ञान, भगवान भक्ति से कोई भी मतलब नहीं होता है| ऐसे मनुष्य के आस-पास होने से हमारा भी पूरा ध्यान नहीं होता भक्ति मे|
३) अपने अंदर ईर्ष्या और जलन की भावना रखने वाले:
कुछ लोग ऐसे होते हैं जो किसी की हो रही उन्नति को देखकर हमेशा जलन करते रहते हैं और अपने मन मे ईर्ष्या की भावना रखते हैं| और जो लोग ईर्ष्या और जलन करने वाले होते हैं, वो निश्चित रूप से छल-कपट करने वाले, धोका देने वाले और पापी होते है| अगर हम कभी भी ऐसे मनुष्य से बात करते हैं या मिलते हैं तो हमारा मन भी अशांत हो जाता है| और अगर हम अशांत मन से भगवान की भक्ति करें तो उनसे मिलने वाला सकारत्मक ऊर्जा का कोई भी प्रभाव हम पे नहीं होगा और न ही फल की प्राप्ति होगी|
४) क्रोध करने वाला:
हमें पता हैं की जो अत्यधिक क्रोध करता हैं या गुस्सा करता हैं उसे हमारे शास्त्रों के अनुसार दानव माना जाता है| क्योंकि हमारे शास्त्रों मे जितने भी पौराणिक गाथा हैं उन सभी गाथाओं मे हमने सुना हैं की दानव हमेशा अपने अहंकार और गुस्से के कारण ही पराजित हुए और अपने स्वभाव के कारण ही मृत्यु को प्राप्त हुए| इसलिए ध्यान रहे देव पूजा या दर्शन के दौरान ऐसे व्यक्ति को कभी भी हम अपने साथ न रखें, लेकिन जब उनका मन शांत हो या उनका गुस्सा ख़त्म हो गया हो तब हम उन्हें अपने साथ ले जा सकते हैं|
५) लालची:
जो मनुष्य लालची स्वभाव के होते है वो दुष्ट प्रवृत्ति वाले होते हैं | ऐसे मनुष्य हमेशा दूसरों की वस्तु को प्राप्त करने के बारे मे सोचते रहते हैं| ऐसे मनुष्य के साथ रहने से ही हमारे सरे पुण्य कर्म नष्ट हो जाते हैं| इसलिए ध्यान रहें की कभी भी देव आराधना के समय ऐसे मनुष्य हमारे आस-पास न रहें| और अगर हैं तो इस बात का भी ध्यान रहें की हमें उन पे न ही संदेह करना चाहिए और न ही उनके प्रति घृणा भाव रखना चाहिए| उन्हें आप शांत मन से जानें के लिए बोले |