जानें क्या है दक्षिणा का अर्थ तथा क्यों दी जाती है दक्षिणा?

दक्षिणा यह शब्द सुनते ही हमारे दिमाग में सबसे पहले आता है ब्राह्मण को दिया जाने वाली चीजें, जो पूजा संपन्न होने के बाद या किसी धार्मिक या ज्योतिषी सलाह के बाद दिया जाता है। सिर्फ इतना ही इस शब्द का मतलब हमें समझ में आता है। इसलिए आज हम दक्षिणा का अर्थ क्या है और क्यों दिया जाता है दक्षिणा ये जानेंगे।

 

दक्षिणा का महत्त्व:

ये शब्द आज के समय में खो सा गया है। आज के लोग दक्षिणा को सिर्फ एक मूल्य समझते हैं जो कार्य संपन्न करने पर दिया जाता है। सबसे बड़ी बात ये की आज के समय में सभी चीजें व्यवसाय बन चूका है। इस कारण से भी लोग सिर्फ दक्षिणा शब्द का अर्थ केवल ब्राह्मण तक ही सिमित हो चूका है।

                 इस शब्द का सही अर्थ पुराने ज़माने में था। जब दक्षिणा गुरु को उनके शिष्य के द्वारा दी जाती थी। शिष्य गुरुकुल में निवास करते थे तथा गुरु से शिक्षा प्राप्त करते थे, तत्पश्च्यात शिखा पूरी होने के बाद घर लौटते वक्त गुरु को धन्यवाद देने के लिए उन्हें दक्षिणा दी जाती थी। इस शब्द का अर्थ सिर्फ सोने, चाँदी, या किसी धन जेवरातों को देना नहीं था, बल्कि शिष्य ख़ुशी पूर्वक जो भी देता था उन्हें उनके गुरु ख़ुशी पूर्वक स्वीकार करते थे।

 

दक्षिणा सामग्री:

दक्षिणा में क्या देना है ये पूर्व निर्धारित नहीं था। बल्कि उन्हें जो भी शिष्य द्वारा दिया जाता था गुरु उन्हें ख़ुशी पूर्वक स्वीकार करते थे। कई बार गुरु और उनके परिवार की सेवा भी दक्षिणा स्वरुप मानी जाती थी। इसकी कोई सिमा नहीं थी। इसके उदाहरण स्वरुप कह सकते हैं: जब गुरु द्रोण के द्वारा गुरु दक्षिणा मांगे जाने पे एकलव्य ने हँसते हुए अपने अंगूठा तक गुरु दक्षिणा में दे दिया था।

 

धार्मिक उद्देश्य:

यदि हम धार्मिक उद्देश्य की बात करें तो क्या दक्षिणा का अर्थ यही की जब कोई ब्राह्मण हमें ज्योतिष सलाह देता है या धार्मिक कर्म-कांड संपन्न कराने में सहयोग देता है। नहीं, इसके शब्द का मतलब भी है।

                 यदि हम दक्षिणा को धर्म यज्ञ से जोड़कर बात करें तो हमारे ग्रंथों के अनुसार यज्ञ को सविता तथा दक्षिणा को सावित्री माना गया है। जिसका अर्थ है इन दोनों को अन्योन्याश्रित माना जाना चाहिए। यज्ञ के बिना न ही दक्षिणा होती है और न ही दक्षिणा के बिना यज्ञ होता है। ये एक दूसरे के पूरक है। यज्ञ के द्वारा हम “सविता” को प्रसन्न करते हैं तथा दक्षिणा देकर हम उनकी पत्नी “दक्षिणा सावित्री” उन्हें देते हैं।