क्या है ७ चक्रों का रहस्य और इनके फायदे ?

योग एक ऐसी प्रक्रिया जिससे न ही हमारा शरीर स्वास्थ्य रहता है बल्कि हमारा मन भी शांत और एकाग्र रहता है। योग के अनुसार यदि हमें एक आदर्श जीवन जीना है तो हमें अपने अंदर स्थित 7 चक्रों को जागृत करना और उसपे नियंत्रण करना होगा। आज हम इन्हीं 7 चक्रों के बारे में जानेंगे।

 

मनुष्य शरीर में स्थित 7 चक्र:

हमारे शरीर में वैसे तो 114 चक्र उपस्थित हैं, लेकिन मुख्य रूप से 7 चक्रों को प्रमुखता दी गई है।

१) प्रथम चक्र, “मूलाधार चक्र” जो गुदा और जन्नेंद्रिय के बीच स्थित होता है।इसे आधार चक्र के नाम से जाना जाता है। यदि हम इस स्थान पर ध्यान लगाएं तो वीरता और आनंद भाव की प्राप्ति होती है। ध्यान लगते समय इस चक्र पे “लं” मन्त्र का उच्चारण करें।

 

२) द्वितीय चक्र “स्वाधिष्ठान चक्र” जो मूलाधार चक्र के ऊपर तथा नाभि के नीचे स्थित होता है। इस चक्र का सम्बन्ध हमारे शरीर में स्थित जल तत्व से होता है। इस चक्र के जाग्रत होने पे शारीरिक समस्या और विकार, आलस्य, अविश्वास इत्यादि दुर्गुणों का नाश होता है| ये विकार जल तत्व के ठीक न होने से होते हैं। इस चक्र पे ध्यान के लिए इसके मूल मंत्र “वं” का उच्चारण करें।

 

३) “मणिपुर चक्र” हमारा तृतीय चक्र है। जो नाभि के ठीक ऊपर स्थित होता है। यदि हमारे अंदर ज्यादा तृष्णा, ईर्ष्या, भय, इत्यादि चीजें हैं तो मणिपुर चक्र के जागृत नहीं होने से होता है। इस चक्र पे ध्यान के लिए इसके मूल मंत्र “रं” का उच्चारण करें। यदि हम योगिक क्रिया के द्वारा उत्पन्न ऊर्जा को इस चक्र में एकत्रित करें तो इससे हम कर्मयोगी हो जाते हैं।

 

४) चतुर्थ चक्र “अनाहत चक्र” जो हमारे ह्रदय में स्थित होता है। इस चक्र को जागृत करने के लिए अपने ह्रदय पे ध्यान लगाते हुए “यं” का उच्चारण करें। इससे कपट, चिंता, मोह तथा अहंकार जैसी चीजों का नाश होता है।

 

५) हमारे कंठ में स्थित “विशुद्ध चक्र” पाचवां चक्र है। इसे जागृत करने के लिए इसके मूल मन्त्र “हं” का उच्चारण करें इससे वाणी शुद्ध होतीहै तथा संगीत विद्या सिद्ध होती है।

 

६) हमारे दोनों भोहों के बीच स्थित “आज्ञा चक्र” छठा चक्र है। इस जागृत करने के लिए “ॐ” मन्त्र का उच्चारण करें। इससे मनुष्य को देव शक्ति की सिद्धि प्राप्ति होती है। इससे आत्म ज्ञान आदि चीजें प्राप्त होती है।

 

७) हमारे मस्तिष्क के मध्य भाग में स्थित “सहस्रार चक्र” सातवां चक्र है। इस चक्र को जागृत करने में कई परेशानियां आती है। लेकिन इस चक्र के जागृत करने से परम आनंद की प्राप्ति होती है। उसे सुख-दुःख इन चीजों का कोई फर्क नहीं पड़ता।

 

किस प्रकार करें अभ्यास:

यदि ये चक्र जागृत हो चुकें हैं तो इनका एक साथ अभ्यास करें। अभ्यास करने के लिए लेट जाएँ तथा चक्रों के स्थान पे क्रिस्टल या चमकीले पत्थर को रखें। तत्पश्च्यात धन करें और महसूस करें की वो चक्र गोल चक्रों में परिवर्तित हो रहें है। और ध्यान लगाते हुए इसे अपने लक्ष्य के अनुसार व्यवस्थित करें। लेकिन ध्यान रहें इस प्रक्रिया के दौरान खुद पे नियंत्रण रखें। अपने भावनाओं, इच्छाओं, वासनाओं पे नियंत्रण करते हुए अपने आस-पास स्थित प्राकृतिक शक्तियों को अनुभव करें।

 

 

ये समस्त जानकारियां शास्त्र के अनुसार है|

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