जानें किन नियमों को पालन करके महिलाएं हनुमान जी की पूजा कर सकती हैं

हमारे शास्त्रों में पूजा करने के कई सारे नियम और उनसे जुड़े मान्यताएं हैं। उन नियम और मान्यताओं में एक मान्यता है की स्त्री या कुंवारी कन्याएं हनुमान जी की पूजा नहीं कर सकती हैं। वे उनके मूर्ति को स्पर्श नहीं कर सकती। आज हम जानेंगे की स्त्री हनुमान जी की पूजा क्यों नहीं कर सकती।

 

हमारे हिन्दू धर्म में पुरे ३३ करोड़ (३३ कोटि ) देवी देवता हैं और उन सबकी पूजा करने और उन्हें प्रसन्न करने के अलग-अलग नियम हैं। लेकिन यदि हम स्त्रियों की बात करें तो किस देवी-देवता की पूजा नहीं करनी चाहिए, ऐसा कोई भी नियम नहीं है, हमारे शास्त्रों में।

शास्त्रों के अनुसार स्त्रियों को संकटमोचन हनुमान की पूजा करने के लिए कोई भी माना नहीं है। वे हनुमान जी की पूजा कर सकती हैं, लें कुछ नियम हैं जिन्हें स्त्रियों को पालन करना चाहिए, हनुमान जी की पूजा के दौरान।

 

नियम

शास्त्रों के अनुसार स्त्रियाँभी पुरुषों की तरह श्रीहनुमान जी की उपासना कर सकती हैं और उन्हें प्रसाद का भोग चढ़ा सकती हैं। केवल उन्हें लंबे अनुष्ठान करने में प्राकृतिक बढ़ाएं आ सकती हैं। यदि वो चाहें तो १०० हनुमान चलीसा का पाठकर सकती हैं। इसके लिए उन्हें प्रतिदिन ५ से १० पाठ हनुमान चलीसा का २० से १० दिन में कर सकते हैं।

 

स्त्रियाँ हनुमान पूजा में क्या कर सकती हैं:

१) वो चाहें तो उनकी पूजा के दौरान दिये जला सकती हैं। हनुमान चलीसा, हनुमानाष्टक, संकट-मोचन,सुन्दरकाण्ड का पाठ भी कर सकती हैं। धुनि रमा सकती है गूगुल की।

२) अपने हाथों से प्रसाद को बना के उन्हें अर्पण कर सकती हैं।

 

पूजा में क्या नहीं कर सकती:

१) स्त्रियाँ लंबे अनुष्ठान नहीं कर सकती हैं, इसके पीछे उनका राजस्वला होना और परिवार के प्रति घरेलू उत्तरदायित्व निभाना मुख्य कारण है।

२) वे आचमन नहीं कर सकती। स्त्रियाँ पंचामृत स्नान भी नहीं कर सकती हनुमान जी को। वस्त्र भी अर्पण नहीं कर सकती हैं।

३) स्त्रियाँ बजरंग वाण का पाठ और अर्ध्य सपर्पित नहीं कर सकती हैं। इसके अलावा हनुमान जी को चरणपादुकाएं  भी अर्पण नहीं कर सकती।

४) स्त्रियों को यज्ञोपवीतं अर्थात जनेऊ को अर्पण करने से  भी मनाही है। वे दंडवत प्रणाम भी नहीं कर सकती हैं।