पंचक जिसे हमारे ज्योतिष में अशुभ माना जाता है। जिसके अन्तर्गत धनिष्ठा, शतभिषा, उत्तरा भाद्रपद, पूर्वा भाद्रपद व् रेवती नक्षत्र आते हैं। इसलिए पंचक के दौरान कुछ विशेष काम करने से माना किया जाता है। इस बार २५ मार्च, शनिवार को प्रातः काल ४ बजे पंचक शुरू होगा जो २९ मार्च, बुधवार को दोपहर ०१:०७ तक रहेगा। शनिवार से शुरू होने के कारण इस पंचक को मृत्यु पंचक कहा जाता है। इसलिए आज हम जानेंगे कौन से काम नहीं करने चाहिए इसके दौरान तथा ये कितने प्रकार के हैं।
पंचक के प्रकार:
राज पंचक:
यदि कोई पंचक सोमवार से शुरू हो रहा है तो उसे राज पंचक के नाम से जाना जाता है। यदि कोई सरकारी काम रुके हुए है तो इन पांच दिनों में इन कामों में सफलता मिलती है। इस पंचक में यदि संपत्ति से जुड़े काम किया जाये तो ये शुभ होता है।
अग्नि पंचक:
मंगलवार से यदि कोई पंचक शुरू हो रहा है तो उसे अग्नि पंचक के नाम से जाना जाता है। यदि आप इन पांच दिनों में अपने हक़ प्राप्त करने के लिए कोर्ट-कचहरी,या कोई विवाद से सम्बंधित कोई काम कर रहे है तो ये पांच दिन इसके लिए शुभ माना जाता है। इस पांच दिनों के दौरान किसी भी प्रकार का कोई मिर्माण कार्य करना, औजार व् मशीनरी के काम को शुरू करना अशुभ माना गया है। इस पांच दिनों में अग्नि का भय होता है।
मृत्यु पंचक:
शनिवार को शुरू होने वाले पंचक को मृत्यु पंचक के नाम से जाना जाता है। इस पंचक के दौरान यानि की पांच दिनों तक कोई भी जोखिम भरे काम करना नुकशानदायक होती है। इस पंचक के प्रभाव से चोट लगना, दुर्घटना होना ये सब होती है।
चोर पंचक:
शुक्रवार के दिन से यदि कोई पंचक शुरू हो तो उसे चोर पंचक के नाम से जाना जाता है। इस पंचक के शुरू होने से लेकर ख़त्म होने के बीच कोई भी यात्रा करना शुभ नहीं माना गया है। इसके प्रभाव में किसी तरह के लेन-देन, व्यापर तथा किसी प्रकार का सौदा करना उचित नहीं माना गया है।
रोग पंचक:
ये पंचक रविवार के दिन शुरू होता है। इस दिन से शुरू होने वाले पंचक के प्रभाव से शारीरिक और मानसिक परेशानियां उत्पन्न होती है। मांगलिक कार्य भी इस पंचक के दौरान नहीं करना चाहिए।
- बचे हुए दो दिन, बुधवार तथा बृहस्पतिवार के दिन शुरू हुए पंचक में इस दिन न करने वाले ५ कामों के आलावा कोई भी काम करना शुभ माना गया है।
न करें ये ५ काम पंचक के दौरान:
१) यदि आप किसी यात्रा पे जा रहें हैं तो ध्यान रहे कभी भी दक्षिण दिशा में यात्रा न करें, क्योंकि दक्षिण दिशा यम की दिशा होती है। इस दिशा में यात्रा करना हानिकारक माना गया है।
२) यदि कोई घर में पलंग या चारपाई बनाई जा रही है तो उसे बनवाना पंचक के प्रभाव में अशुभ माना गया है।
३) यदि पंचक के दौरान रेवती नक्षत्र हो और घर की घाट बनाना बाकि हो तो उसे नहीं बनाना चाहिए, ऐसा विद्वानों का कहना है। क्योंकि इससे घर में धन का नुकसान होता है।
४) यदि पंचक के दौरान जिस समय घनिष्ठा नक्षत्र हो उस समय किसी भी प्रकार की ऐसी वास्तु जैसे घास, लकड़ी इत्यादि जलने वाली वस्तुएं इकठ्ठा नहीं करनी चाहिए।
५) यदि पंचक के दौरान शव के अंतिम संस्कार करने से पहले किसी ज्ञानी पंडित से सलाह जरूर लेनी चाहिए। क्योंकि गरुड़ पुराण के अनुसार पंचक के प्रभाव में यदि हम शव का अंतिम संस्कार करने जा रहे है तो उस समय आटे या कुश से पांच पुतले बनाके अर्थी पे रखना चाहिए तथा इन पांचों का भी पूर्ण विधि अनुसार अंतिम संस्कार करना चाहिए। इससे पंचक दोष का नाश होता है।
शुभ काम जो इस पंचक में कर सकते हैं:
उज्जैन के ज्योतिषाचार्य के अनुसार पंचक में आने वाले शुभ नक्षत्रों में शुभ कार्य कर सकते हैं। उत्तराभाद्रपद नक्षत्र वर के साथ मिलके सर्वार्थसिद्धि योग का निर्माण करता हैं, तथा घनिष्ठा, शतभिषा, पूर्वा भाद्रपद व रेवती नक्षत्र यात्रा, व्यापार, मुंडन आदि शुभ कार्यों में श्रेष्ठ होते हैं।
ये भले ही अशुभ माना जाये लेकिन सगाई, शादी, ये शुभ कार्य हम कर सकते हैं। इस में आने वाले नक्षत्र भाद्रपद, उत्तरा भाद्रपद व् रेवती यदि रविवार को हो तो ये आनंद जैसे २८ योगों में से ३ योग शुभ बनाते हैं, जो निम्न प्रकार से है: चर, स्थिर व् प्रवर्ध। इन योगों में सफलता व् धन लाभ हो सकता है।
पंचक के नक्षत्रों के प्रभाव:
घनिष्ठा नक्षत्र : पंचक के प्रभाव से घनिष्ठा नक्षत्र में अग्नि का भय रहता है।
शतभिषा नक्षत्र: इस नक्षत्र में कलह होने के योग बनते हैं।
पूर्वाभाद्रपद नक्षत्र: ये नक्षत्र रोग कारक नक्षत्र होते हैं।
उत्तराभाद्रपद नक्षत्र: इस नक्षत्र में धन हानि की संभावना होती है।
रेवती नक्षत्र: इस नक्षत्र में नुकसान व मानसिक तनाव होने की संभावना होती है।
ये समस्त जानकारियां ज्योतिष शास्त्र के अनुसार है|
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