कोई जातक चाहे वह स्त्री हो या पुरुष, उसके मांगलिक होने का मतलब है कि उसकी कुण्डली में मंगल अपनी प्रभावी स्थिति में है। शादी के लिए मंगल को जिन स्थानों पर देखा जाता है, वो 1,4,7,8 और 12 भाव हैं। इनमें से केवल आठवां और बारहवां भाव सामान्य तौर पर खराब माना जाता है।
सामान्य तौर का अर्थ है कि विशेष परिस्थितियों में इन स्थानों पर बैठा मंगल भी अच्छे परिणाम दे सकता है। लग्न का मंगल व्यक्ति के व्यक्तित्व को बहुत ज्यादा तेज बना देता है। चौथे का मंगल जातक को कड़ी पारिवारिक पृष्ठभूमि देता है। सातवें स्थान का मंगल जातक को साथी या सहयोगी के प्रति कठोर बनाता है। आठवें और बारहवें स्थान का मंगल आयु और शारीरिक क्षमताओं को प्रभावित करता है। इन स्थानों पर बैठा मंगल अगर अच्छे प्रभाव में है तो जातक के व्यवहार में मंगल के अच्छे गुण आएंगे और खराब प्रभाव होने पर खराब गुण आएंगे। मांगलिक व्यक्ति देखने में कठोर निर्णय लेने वाला, कठोर वचन बोलने वाला, लगातार काम करने वाला, विपरीत लिंग के प्रति कम आकर्षित होने वाला, योजना बनाकर काम करने वाला, कठोर अनुशासन बनाने और उसका पालन करने वाला होता है। वो एक बार जिस काम में जुटे उसे अंत तक करने वाला, नए अनजाने कामों को शीघ्रता से हाथ में लेने वाला और लड़ाई से नहीं घबराने वाला होता है। इन्हीं विशेषताओं की वजह से गैर मांगलिक व्यक्ति ज्यादा देर तक मांगलिक के साथ नहीं रह पाता।
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