जानिए कहा और कैसे मनाई जाती है देश की सर्वश्रेष्ठ होली

आज हम आपको कृष्ण के नगरी मथुरा-वृंदावन की होली के बारे मे बताएँगे और ये भी बताएँगे की क्यों, कब और कितने प्रकार की होली मनाई जाती है| होली एक बहुत बड़ी और महत्वपूर्ण भारतीय त्योहार है और बहुत मज़े करने वाला पर्व है| अगर आप होली मानने की सोच रहें है और होली को अपने कमेरे मे क़ैद करना चाहते हैं तो हम आपको मथुरा और वृंदावन की होली को मानने के लिए कहेंगे| वैसे भारत मे हर एक जगह मे होली की बात ही कुछ और है, लेकिन मथुरा और वृंदावन की होली बहुत लोकप्रिय है और ये होली पूरे 7 दीनो तक चलती है| चलये आज हम आपको वहाँ की होली के बारे मे बताएँगे|

१) बरसाना और नंदगाँव की लठमार होली :

ये पहली होली है जो बहुत अजीब तरीके से खेली जाती है जिसमे स्त्रियाँ पुरुषों का पीछा करती है और उसके बाद उसे लाठी से मारती है| जिसे लठमार होली कहते हैं| लठमार होली इसलिए मनाई जाती है क्योंकि एक बार भगवान श्री कृष्णा बरसाना होली के समय आए और राधा और उनकी सहेलियों को छेड़ने लगे| एक दिन वहाँ की स्त्रियों ने कृष्णा को सबक सिखाने का फैसला किया और उसका पीछा किया और लाठी लेकर भगा दिया। तब से लठमार होली मनाई जाती है|

२) फूलों वली होली, वृंदावन :

होली से पहले एकादशी पर, वृदनवान पर बांके बिहारी मंदिर में एक अनूठी होली मनाई जाती है जो पारंपरिक सूखा या गीला रंग के साथ नहीं मनाया जाता है ,वहाँ फूलोंसे होली मनाई जाती है इसलिए इसे फूलों वली होली ( फूल ‘ होली) के नाम से जाना जाता है| मंदिर के गेट्स शाम 4 बजे के आसपास खुलती है और फूल की होली ठीक उसके बाद शुरू होता है। अन्य होली उत्सव के विपरीत ये होली 15-20 मिनट के दौरान ही मनाया जाता है जहाँ पुजारी कृष्ण के भक्तों पर फूलों की बारिश करते हैं|

३) विधवा की होली :

भारत में विधवाओं ने हमेशा एक कठिन जीवन का नेतृत्व किया है ।उन्हें अक्सर अपने घरों मे नही रखा जाता है बल्कि वाराणसी और वृंदावन में आश्रम में रहने के लिए मजबूर किया जाता है| वे हमेशा सफेद कपड़े पहनती है और रंगों के साथ कभी नहीं खेलती है। कुछ साल बाद पागल बाबा विधवा आश्रम की विधवाओं ने, वृंदावन मे इस नियम को तोड़ने और रंगों के साथ खेलने का फैसला किया| तब से आज तक ये होली भी मनाई ज्ञे लगी|

४) बांके बिहारी मंदिर, वृंदावन में होली :

वृंदावन भगवान कृष्ण की जन्मभूमि माना जाता है इसलिए बांके बिहारी में होली उत्सव का केंद्र है। यहाँ पे मुख्य होली के त्योहार से सिर्फ एक दिन पहले यहाँ होली मनाई जाती है। मंदिर के दरवाजे सभी आगंतुकों के लिए खुल जाता है और सारे लोग प्रभु के साथ खुद ही होली खेलते हैं| पुजारी रंग और पवित्र जल को हवा मे उछाल ते हैं और एक सुर में भगवान श्री कृष्ण के मंत्र का जप करते हैं एक साथ| लट्ठमार होली के विपरीत, इस घटना मे मुख्य रूप से भाग लेने वाले पुरुष ही होते हैं| मंदिर परिसर के अंदर और बाहर दोनों तरफ सिर्फ़ रंग ही रंग खेले जातें हैं और ये असंभव है की आप रंगों से बच सकें|

मंदिर के दरवाजे सुबह 9 बजे खुल जातें है और दोपहर 1:30 बंद हो जातें है|

५) मथुरा में होली जुलूस :

वृंदावन में होली उत्सव दोपहर 2:00 बजे के आसपास खत्म हो जाता है और उसके बाद मथुरा के लिए लोग बाहर निकलते हैं होली के जुलूस मे भाग लेने के लिए| होली का जुलूस विश्राम घाट पर शुरू होता है और होली गेट पे जाके ख़त्म हो जाता हैं| इस जुलूस को देखने के लिए सबसे अच्छा जगह दो स्थलों को जोड़ने वाली गली हैं| होली जुलूस के लिए दस वाहनों को फूलों से सजाया जाता है, और यहां तक ​​कि बच्चे राधा- कृष्ण का भेष बनके इस जुलूस में भाग लेते हैं। दोपहर 3 बजे सबसे अच्छा समय है वहाँ जाने के लिए और वहाँ का एक हिस्सा होने के लिए| हर कोई हर किसी के साथ बिना विरोध किए एक साथ होली खेलते हैं|

६) मथुरा में होली उत्सव :

सबसे बड़ा त्योहार होली मथुरा के ऐतिहासिक द्वारकाधीश मंदिर में खेला जाता है| विश्राम घाट के . जाके और पुजारियों द्वारा भंग बनाने की प्रक्रिया को देखना बहुत अच्छा लगता है| यदि संभव हो तो , कम से कम एक गिलास भंग ज़रूर पीना चाहिए| मंदिर के द्वार सुबह 10 बजे खुल जाता है और वहाँ पहले से ही बहुत बड़ी भीड़ होली खेलते है और जो कोई हिम्मत से सड़क पार करते हैं वे सब लोग रंगों से सरावोर हो जातें हैं| मंदिर के अंदर का वातावरण बिल्कुल अशोभनीय लगता हैं मानो खुद वृदनवान में बांके बिहारी आके होली खेल रहें हैं|

७) दौउजी मंदिर में हुरंगा :

होली के एक दिन बाद दौउजी मंदिर जो लगभग 30 किमी मथुरा के बाहर स्थित हैं| महिलाएँ जिनके परिवार ने मंदिर की स्थापना की , वो पुरुषों के आँख पे पट्टी बाँध कर अपने स्वयं के कपड़े से पीटती हैं| ये परंपरा 500 से अधिक वर्षों से चला आ रहा है, जब कृष्ण मंदिर स्थापित किया गया था ।लोग अपने सभी संकोच को दूर करके और रंगों के साथ खेलते हैं।

होली कैलेंडर 2016: होली समारोह की अनुसूची

 

 

महत्वपूर्ण अवसरोंतारीखदिन
लठमार होली, बरसाना17th March 2016गुरुवार   
लठमार होली, नंदगाओं18th March 2016शुक्रवार   
मथुरा मे होली19th March 2016शनिवार   
वृंदावन के बांके बिहारी मंदिर में होली20th March 2016रविवार   
गोकुल में होली उत्सव21th March 2016सोमवार   
मथुरा के द्वारकाधीश मंदिर22th March 2016मंगलवार   
मंदिर और वृंदावन की गलियों में होली उत्सव23th March 2016बुधवार   
वास्तविक होली उत्सव24th March 2016गुरुवार