हम सभी जानते है की सावन के इस पवित्र महीने मे शिव जी को प्रसन्न करना बहुत ही आसान होता है| शिव जी को कुछ वस्तुए अत्यंत प्रिय है जिनमे उनका त्रिशूल, डमरू एवं रुद्राक्ष शामिल है| रुद्राक्ष के बारे में हम सभी जानते हैं। भगवान शिव इसे आभूषण के रूप में पहनते हैं। रुद्राक्ष के बिना महादेव का श्रंगार ही अधूरा माना जाता है। शिवपुराण की विद्येश्वर संहिता में रुद्राक्ष के 14 प्रकार बताए गए हैं। एकमुखी रुद्राक्ष धारण करने वाला कभी गरीब नहीं होता, उस पर मां लक्ष्मी की कृपा बनी रहती है, ऐसा शिवपुराण में लिखा है।
सावन के पवित्र महीने में हम आपको रुद्राक्ष के प्रकार तथा उससे जुड़ी खास बातें बता रहे हैं। रुद्राक्ष को आकार के हिसाब से तीन भागों में बांटा गया है-
1. उत्तम श्रेणी- जो रुद्राक्ष आकार में आंवले के फल के बराबर हो वह सबसे उत्तम माना गया है।
2. मध्यम श्रेणी- जिस रुद्राक्ष का आकार बेर के फल के समान हो वह मध्यम श्रेणी में आता है।
3. निम्न श्रेणी- चने के बराबर आकार वाले रुद्राक्ष को निम्न श्रेणी में गिना जाता है।
जिस रुद्राक्ष को कीड़ों ने खराब कर दिया हो या टूटा-फूटा हो, या पूरा गोल न हो। जिसमें उभरे हुए दाने न हों। ऐसा रुद्राक्ष नहीं पहनना चाहिए। वहीं जिस रुद्राक्ष में अपने आप डोरा पिरोने के लिए छेद हो गया हो, वह उत्तम होता है।
एक-मुखी रुद्राक्ष
भगवान शिव ने समस्त लोगों के कल्याण के लिए अपने नेत्रों से आंसू के रूप में रुद्राक्ष उत्पन्न किए चूँकि भगवान शिव कल्याण करने वाले देवता हैं इसलिए उनकी आँख से प्रथम आंसू गिरते ही एक मुखी रुद्राक्ष उत्पन्न हुए इसलिए एक मुखी गोल रुद्राक्ष को सबसे महत्वपूर्ण और कल्याणकारी रुद्राक्ष माना गया है |
रुद्राक्ष भगवान शिव के प्रिय आभूषनो मे से एक है एवं एक मुखी रुद्राक्ष को भगवान शिव जी का स्वरूप माना गया है| जहाँ भी इस रुद्राक्ष की पूजा होती है, वहाँ से लक्ष्मी माता दूर नही जा सकती उनका वास उसी घर मे हो जाता है| अतः जो भी एक मुखी रुद्राक्ष की पूजा करता है या इसे धारण करता है लक्ष्मी माँ उसके घर निवास करती है इसलिए वो कभी ग़रीब नही रह सकता|
एक मुखी रुद्राक्ष दो प्रकार के दाने इस धरती पर पाए गए हैं | एक गोल आकार में है और दूसरा काजू के आकार में है लेकिन जो इसमें नेपाल का गोल दाना है उसी को असली एक मुखी और कल्याणकारी रुद्राक्ष माना गया है |
प्राचीन कहानी के अनुसार एक बार त्रिपुर नाम के एक राक्षस ने ब्रह्मा, विष्णु और अन्य देवताओं को तिरस्कृत किया, तो इन देवताओं ने भगवान शंकर से सभी की रक्षा करने को कहा। तब समाधिस्थ शंकर जी ने अपने नेत्र खोले। नेत्रों से जलबिंदु गिरे और वही महारुद्राक्ष के वृक्ष के रूप में बदल गए।
एक मुखी रुद्राक्ष के लाभ
- एक मुखी गोल रुद्राक्ष धारण करने मात्र से ही गंभीर पापों से मुक्ति मिलकर, मन शांत होकर, इन्द्रियां वश में होकर व्यक्ति ब्रह्म ज्ञान की प्राप्ति की तरफ अग्रसर हो जाता है |
- यह इतना प्रभावशाली होता है कि जिस व्यक्ति के पास एकमुखी रुद्राक्ष होता है उसे शिव के समान समस्त शक्तियां प्राप्त हो जाती हैं।
- एकमुखी रुद्राक्ष बेहद शक्तिशाली और दुर्लभ होता है।यह एक दुर्लभ रुद्राक्ष है जो किस्मत वालों को ही मिलता है।
- शरीर में हाई BP इसके धारण करने से धीरे धीरे नियंत्रित होने लगता है और कम दवाई से ही BP शांत रहता है |
- सभी रुद्राक्षों में एक मुखी रुद्राक्ष को सर्वोत्तम स्थान दिया गया है | इसके धारण करने से शत्रुओं के षड़यंत्र से बचा जा सकता है और भक्ति, मुक्ति, युक्ति एवं धन लक्ष्मी की प्राप्ति में भी यह रुद्राक्ष सहायक है |
- एकमुखी रुद्राक्ष सिंह राशि के जातकों के लिए अत्यंत शुभ होता है।
- इस रुद्राक्ष की पूजा जहाँ होती है वहाँ से लक्ष्मी कभी दूर नहीं होती।
- इसे गर्भवती महिलाओं और बच्चों को धारण नहीं करना चाहिए।
एक मुखी रुद्राक्ष धारण करने का मंत्र
वैसे तो एक मुखी गोल रुद्राक्ष को धारण करने का मंत्र “ॐ ह्रीं नमः” है लेकिन शिव का पंचाक्षर बीज मंत्र “ॐ नमः शिवाय” से भी कोई भी रुद्राक्ष धारण किया जा सकता है |