हम सभी कर्म करते है सफलता के लिए एवं अपने कार्य की पूर्ति या किसी मनचाहे वस्तु की प्राप्ति के लिए| परंतु ऐसा बहुत ही काम होता है की सभी को सफलता प्राप्त हो कई लोग सफल हो जाते है कई लोग नहीं| कहावत भी है की कर्म किये जा फल की इच्छा मत कर पर ऐसा करना कोई नहीं चाहता सभी सफलता चाहते है| कल कामिका एकादशी है| अगर आप नीचे बताये गए ये ११ उपये करते है तो आपको सफलता अवश्य मिलेगी|
कल (30 जुलाई, शनिवार) श्रावण मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि है। धर्म ग्रंथों में इसे कामिका एकादशी कहा गया है। मान्यता के अनुसार, इस दिन भगवान विष्णु को प्रसन्न करने के लिए यदि कुछ उपाय किए जाएं तो उनके साथ-साथ माता लक्ष्मी की भी कृपा प्राप्त होती है और उपाय करने की हर मनोकामना पूरी हो सकती है।
- कामिका एकादशी की शाम तुलसी के सामने गाय के घी का दीपक लगाए और ॐ वासुदेवाय नमः मंत्र बोलते हुए तुलसी की ११ परिकृमा करें| इससे घर में सुख-शांति बानी रहती है और संकट नहीं आता|
- धन लाभ के लिए कामिका एकादशी पर भगवान विष्णु के साथ माता लक्ष्मि की भी पूजा करे| इससे आपको फायदा हो सकता है|
- कामिका एकादशी की सुबह स्नान आदि करने के बाद भगवन विष्णु की प्रतिमा का केसर मिले दूध से अभिषेक करें|
- एकादशी की सुबह स्नान आदि करने के बाद श्रीमद्भागवत कथा का पथ करें| इससे भगवन विष्णु प्रसन्न होते है|
- एकादशी पर भगवान विष्णु को खीर का भोग अवश्य लगाए| इसमें तुलसी के पत्ते भी डालें| इससे घर में शांति बनी रहती है|
- कामिका एकादशी पर तुलसी की माला से ॐ नमो वासुदेवाय नमः का जाप करें| मंत्र जाप करते समय पवित्रता का पूरा ध्यान रखें|
- एकादशी पर पीले रंग के फल, कपडे व अनाज भगवान विष्णु को अर्पित करें| बाद ये सभी चीजें गरीबों को दान कर दें|
- पीपल में भगवान विष्णु का वास मन जाता है| एकादशी पर पीपल के वृक्ष पर जल चढ़ाये| इससे क़र्ज़ से मुक्ति मिलती है
- एकादशी पर दक्षिणावर्ती संख की पूजा करने से भी भगवान विष्णु व माता लक्ष्मी प्रसन्न होती है| इससे धन लाभ होता है|
- एकादशी पर भगवान विष्णु की पूजा में पीले फूल अवश्य अर्पित करें| इससे आपकी हर मनोकामना पूरी हो सकती है|
- एकादशी पर सुहागिन स्त्रियों को अपने घर बुलाकर फलाहार करवाये व उन्हें सुहाग की सामग्री भी भेंट करें|
हिंदू धर्म में एकादशी का बहुत महत्व है। श्रावण मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी को कामिका एकादशी कहते हैं। इस बार यह एकादशी 30 जुलाई, को है। इस व्रत से जुड़ी कथा इस प्रकार है-
क्या है कामिका एकादशी की कथा
एक गांव में एक वीर श्रत्रिय रहता था। एक दिन किसी कारणवश उसकी ब्राह्मण से हाथापाई हो गई और ब्राह्मण की मृत्य हो गई। अपने हाथों मारे गए ब्राह्मण की क्रिया उस श्रत्रिय ने करनी चाही। परन्तु पंडितों ने उसे क्रिया में शामिल होने से मना कर दिया। ब्राह्मणों ने बताया कि तुम पर ब्रह्म हत्या का दोष है। पहले तुम इस पाप का प्रायश्चित करो और इस पाप से मुक्त हो जाओ तब हम तुम्हारे घर भोजन करेंगे।
इस पर श्रत्रिय ने पूछा कि इस पाप से मुक्त होने के क्या उपाय है। तब ब्राह्मणों ने बताया कि श्रावण माह के कृष्ण पश्र की एकादशी को भक्तिभाव से भगवान श्रीविष्णु का व्रत एवं पूजन कर ब्राह्मणों को भोजन कराके सदक्षिणा के साथ आशीर्वाद प्राप्त करने से इस पाप से मुक्ति मिलेगी। पंडितों के बताए हुए तरीके से व्रत करने पर रात में भगवान विष्णु ने क्षत्रिय को दर्शन देकर कहा कि तुम्हें ब्रह्म हत्या के पाप से मुक्ति मिल गई है।
इस तरह कामिका एकादशी व्रत करने से क्षत्रिय को ब्रह्महत्या के पाप से मुक्ति मिल गई।
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