कोरोना वायरस – ग्रह नक्षत्र का सम्बन्ध – और बचने के उपाय

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समयनुसार क्रमबद्ध तरीके से समझते हैं –

दिनाकं 26 दिसम्बर 2019,- कहानी सुरु होती है उस दिन से जिस दिन सूर्य ग्रहण लगा, धनु राशी मूल नक्षत्र पर जो सूर्य ग्रहण लगा था उस समय 5 से अधिक ग्रह धनु राशि पर आ गए थे उसका असर ज्योतिष शास्त्र के हिसाब से तीन महीने तक रहेगा | यहाँ तक बृहस्पति ग्रह शनि और सूर्य के प्रभाव में आ गया था, कहते हैं धनु राशि मानव जाती कि रक्षा की राशि है, जिसपर इसका प्रभाव हुआ |

ज्योतिष शास्त्र के अनुसार गुरु, केतु और मंगल के साथ मिलकर पिशाच योग बनता है जिसे विस्फोटक माना जाता है | कहते हैं मंगल काम ही मारना है, कभी युद्ध से कभी महामारी से लोगों को मारने का काम करता है, मंगल को भूमि  पुत्र कहते हैं और हम किसी न किसी प्रकार से इस पृथ्वी को कष्ट पंहुचा रहे हैं जिस से मंगल देव क्रोधित हैं |

इस योग के कारण यह  सारी स्थिति उत्पन्न हुई, इतिहास में जब भी ऐसा योग बना है कुछ न कुछ भयावह हुआ है |

फरवरी -14 के बाद सूर्य मीन राशी में आया तो सरकार एक्शन में आ गयी, वैसे तो इसे अच्छी मानी जाती है लेकिन मीन राशी जो की जल तत्व की राशी है, वैज्ञानिकों का कहना है जैसे-जैसे गर्मी बढ़ेगी वायरस का फैलना कम होता जायेगा | लेकिन सूर्य मीन राशी में जाने के कारण जगह जगह ओले गिर रहे हैं ठण्ड बनी हुई है |

एक और बात है जब- जब गुरु धनु राशि में जाएगी तब तब इकॉनमी में मंदी आती है |

22-मार्च – 30 मार्च  को जब मंगल धनु राशि से निकल जायेंगे और गुरु मकर राशी में प्रवेश करते हुए केतु को अकेले छोड़ जायेगा जिसे से मृत्यु दर कम हो जायेंगे, मगर मंगल और शनि के एक साथ आने के वजह से अस्थिरता कि स्थिति बनी रहेगी |

14-अप्रैल जब सूर्य अपने उच्च राशी मेष राशी में जाएगी तो गर्मी बढ़ेगी और यह वायरस का फैलना कम हो जायेगा |

23-सितम्बर- में जब  राहू गुरु से अलग होगा यह पूरी दुनिया धीरे-धीरे इससे रिकवर करने लगेगी |

उपाय क्या है, इस दौरान हम क्या-क्या कर सकते हैं ? –

इस स्तिथि में हम प्रार्थना कर सकते हैं, कुछ मन्त्रों का पंडित जी द्वारा केतु के प्रकोप से बचने के लिए गणपति का जाप करवा सकते हैं, वातावरण की सुद्धि के लिए हवन करवा सकते हैं, व प्रार्थना कर सकते हैं, विष्णु सहस्रनाम हमें सुनना लाभप्रद होगा |

स्वास्थ्य की बात आती है तो मंगल के लिए रूद्र पूजा करवाना उत्तम रहेगा | और साथ ही स्वयं के स्तर पर हम आयुर्वेद का प्रयोग खुद के रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने के लिए कर सकते हैं और साथ ही योग ध्यान और प्राणायाम भी कर सकते हैं |