माँ लक्ष्मी धन और सुख की देवी है| हमें पता है की माँ लक्ष्मी की पूजा करने से माता प्रशन्न होती है और माँ की पूजा अगर दीवाली के समय पे किया जाए तो धन की बरसा होती है| लेकिन क्या आपको पता है अगर आप ये छ: काम किया तो माता अप्रशन्न भी हो सकती हैं|
महाभारत मे भी इसका वर्णन एक श्लोक के साथ किया गया है:
षड् दोषा: पुरुषेणेह हातव्या भूतिमिच्छता।
निद्रा तन्द्रा भयं क्रोध आलस्यं दीर्घसूत्रता।।
ये छ: बातें इस प्रकार है:
१) निद्रा मतलब नींद| अगर आप ज़्यादा समय सोते हैं तो आप ज़्यादा समय ख़त्म करते है|ज़्यादा सोना दरिद्रता का कारण भी होता है|हमारे पूर्वाज़ो ने कहा है अगर सूर्योदय से पहले उठ जाते है तो घर मे शान्ति और सुख आता है| इसलिए समय पे सोना और उठ्ना चाहिए|
२) तन्द्रा मतलब हापी और कुछ लोग इसे उंघना भी बोलते हैं| अगर आप हापी लेते है तो ये आपके निसक्रियता को दिखता है|
३) भयं मतलब डर अगर आप भयं के साथ कोई काम करते हो तो आप अपना आत्मविश्वास खो देते हो| फिर आप अपनी कुशलता को खो देते हो| आप कुछ सिख नही सकते भयं के साथ|
४) क्रोध मनुष्य का सबसे ख़तरनाक शत्रु है| जब मनुष्य क्रोध करता है तो उसका मन अशांत हो जाता है| और अगर मन अशांत हुआ तो वो कोई भी काम ठीक से नही कर सकता| और अगर ठीक से कम नही किया तो लक्ष्मी कैसे आएगी?
५) आलस्य ये हमीरी सबसे बड़ी समस्या है| अगर आप आलस्य करते हो तो आप हमेशा पीछे रहोगे इस दुनिया मे|
अगर आप चाहते हैं की माँ लक्ष्मी आप पे कृपा करे तो आपको आलस्य का त्याग करना पड़ेगा|
६) दीर्घसूत्रता मतलब टाल-मटोल करना| अगर आप अपने ज़रूरी काम को आज या कल मे टाल कर आनावश्यक काम को करते है तो ये ग़लत आदत है| इससे आपके आवश्यक और ज़रूरी काम पूरे नहीं होंगे| और जब ज़रूरी काम पूरे नही होंगे तो माँ लक्ष्मी की कृपा कैसे होगी?