जाने नर्मदा नदी के उलटी दिशा में प्रवाहित होने का कारण

नर्मदा नदी जिसे मध्यप्रदेश सरकार स्वच्छ और साफ-सुथरा रखने के लिए कई तरीकें उपयोग कर रही है। इसके लिए सरकार ने नर्मदा सेवा यात्रा शुरू किया है। आज हम नर्मदा नदी के बारे में जानेंगे की क्यों नर्मदा नदी हमेशा सभी नदियों की तरह नहीं बल्कि उलटी दिशा में प्रवाहित होती है।

 

14 जनवरी को कई भक्त गण इस नदी में स्नान के लिए आते हैं। 3 फरवरी के दिन नर्मदा जयंती मनाई जाएगी।  

नर्मदा में क्यों नहाया जाता है:

शास्त्रों में कहा गया है की जिस प्रकार गंगा नदी में स्नान करने से मनुष्य या कोई जिव पवित्र होता है, उसी तरह नर्मदा नदी में स्नान करने से मनुष्य तुरंत पवित्र हो जाता है। माता नर्मदा को चिरकुंवारी ने नाम से भी संबोधित किया जाता है। कहा जाता है की माँ गंगा हर एक साल एक बार नर्मदा में स्नान के लिए आती है। नर्मदा नदी का उद्गम स्थान अमरकंटक है। ये अमरकंटक में स्थित मैकाल पर्वत से निकल कर पश्चिम दिशा की और आरब सागर में मिलती है।

 

नर्मदा नदी उलटी दिशा में क्यों बहती है:

शास्त्रों में इससे सम्बंधित कई कहानियां है जो नर्मदा नदी को उलटी दिशा में प्रवाहित होने को दर्शाती है।

१) शास्त्रों के अनुसार माँ नर्मदा की शादी सोनभद्र के साथ तय हुई थी। माँ नर्मदा की एक दासी थी जिसका नाम जुहिला था। जब माँ नर्मदा शादी के मंडप में जा रही थी तो उन्हें सोनभद्र और जुहिला के संबंधों के बारे में पता चला। सोनभद्र और जुहिला दोनों भी नदी है।

ये अपमान देखकर माँ नर्मदा ने मंडप छोड़कर उलटी दिशा में चल पड़ी। सोनभद्र ने उन्हें बहुत बुलाया लेकिन वो वापस नहीं आई। कहा जाता है तभी से नर्मदा सोनभद्र से अलग दिखाई देती है।

 

२) शास्त्रों में नर्मदा को रेवा के नाम से भी जाना जता है और उन्हें राजा मैखल की पुत्री के रूप मे दर्शाया गया है। राजा ने अपनी पुत्री के लिए घोषणा किया की जो भी राजकुमार उनकी पुत्री के लिए गुलबकावली के फूल लेकर आएगा उसका विवाह उनकी पुत्री के साथ होगा।

तभी सोनभद्र ने ये पुष्प सबसे पहले लेक राजा को दिया और उनका विवाह तय हो गया। नर्मदा ने सोनभद्र से कभी भी नहीं मिली इसलिए उन्होंने अपने दासी(जुहिला) के हाथों सोनभद्र को सन्देश भेजा। तब जुहिला ने नर्मदा से राजकुमारी के वस्त्र मांगे और उसे पहनके वो सोनभद्र से मिलने चली गई।

उस वस्त्र को देखकर सोनभद्र को लगा की वही राजकुमारी नर्मदा है। और इधर ये देखकर जुहिला का मन भी डगमगा गया जिसके कारण उसने सोनभद्र का प्रणय निवेदन न ठुकड़ा पाई। ज्यादा समय बीतने के कारण जब जुहिला नहीं आई तो माँ नर्मदा ने खुद ही सोनभद्र से मिलने चल पड़ी। उस जगह जा के जब दोनों को देखा तो माँ नर्मदा बहुत क्रोधित हो गई और उलटी दिशा में चल पड़ी। इसलिए नर्मदा बंगाल सागर के बजाय अरब सागर में मिलती है।
३) सोनभद्र जिसे नद(नदी में पुरुष रूप) कहा जाता है। माँ नर्मदा और सोनभद्र के हर पास-पास थे। उन दोनों का बचपन अमरकंटक की पहाड़ियों में ही बिता। जब दोनों किशोर अवस्था में आये तो लगाव बढ़ा। लेकिन अचानक उनके बीच जुहिला आई जो नर्मदा की सखी थी। सोनभद्र उन्ही के प्रेम में पड़ गया। जब नर्मदा को ये पता चला तो उन्होंने सोनभद्र को समझाया। न समझने पे माँ नर्मदा नाराज हो के दूसरी दिशा में चल पड़ी और कुंवारी रहने की कसम खाई। कहा जाता है की इसलिए सभी प्रमुख नदी बंगाल की खाड़ी में मिलती है और नर्मदा आरब सागर में मिलती हैं।

 

 

ये समस्त जानकारियां शास्त्र के अनुसार है|

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