खर मास ऐसा महीना जब हम ना ही कुछ अच्छे कम की शुरुआत कर सकते हैं और ना ही कुछ खरीद सकतें हैं| आज हम आपको खर मास से संबंधित कुछ जानकारियाँ देंगें और ये भी बताएँगे की क्या करना अच्छा है और क्या आपको नुकसान दे सकता है|
खर मास आज से (१४ मार्च, सोमवार) शुरू हो चुका है, जिसकी अवधि १३ अप्रैल, बुधवार तक रहेगा| ज्योतिष के अनुसार जब वर्ष मे दो बार सूर्य, गुरु की राशि धनु और मिन मे आ जाता है तो उस समय को खर, मल और पुरषोत्तम मास के नाम से जाना जाता है|
हम आपको बताएँगे की क्या नही करना चाहिए और क्या करने से आप अपने किस्मत को चमका सकतें हैं इस खर मास के महीने मे|
क्या नही करना चाहिए :
1. कोई भी नई वस्तुएँ जैसे की घर, कार, इत्यादि ना खरीदे |
2. घर के निर्माण का कार्य को शुरू ना करें और ना ही उस से संबंधित कोई भी समान खरीदें |
3. कोई भी शुभ कार्य जैसे विवाह, गृह-प्रवेश, सगाई ना करें |
क्या करें आप अपने भाग्य को अच्छा करने के लिए:
१)खर मास को पुरषोत्तम मास भी कहा जाता है जो भगवान विष्णु का नाम है, इसलिए इस मास के दोनों एकादशी मे भगवान विष्णु को खीर का भोग लगाएँ और उसमें तुलसी के पत्तों का प्रयोग करें|
२) इस समय पिलें वस्त्र, पीला रंग का अनाज, फल श्री हरी को अर्पण करें और फिर इन चीज़ों को दान कर दें|
३)खर मास मे माँ तुलसी के सामने गाय के घी का दीपक लगाएँ और ॐ नमो भगवते वासुदेवाय नमः मंत्र का जप करते हुए ११ बार परिक्रमा करें| ऐसा करने से घर के सारे संकट और दुख ख़त्म हो जातें हैं और घर मे सुख शांति का वास होता है|
४) ब्रह्म मुहर्त मे उठकर स्नान करके भगवान विष्णु को केसर युक्त दूध का अभिषेक करें और तुलसी के माला से ११ बार ॐ नमो भगवते वासुदेवाय नमः का जप करें|
६) हमारे .ग्रंथों के अनुसार पीपल के वृक्ष मे भगवान विष्णु का वास माना गया है इसलिए अगर आप पीपल के पेड़ मे जल को अर्पण करके गाय के घी का दीपक जलातें है तो आपके ऊपर भगवान विष्णु का आशीर्वाद हमेशा बना रहेगा|
७) खर मास मे प्रत्येक दिन श्री हरी का ध्यान करें और पीले पुष्प अर्पित करें| इससे आपके सारे मनोकामनाएँ पूरी होंगी|
८) दक्षिणावर्ती शंख की पूजा करनी चाहिए इस मास मे| कहा जाता है की दक्षिणावर्ती शंख की पूजा करने से श्री हरी विष्णु के साथ-साथ माता लक्ष्मी भ प्रसन्न होती हैं|
९) सुबह उठकर भागवत कथा को पढ़ें|
१०) अगर आपको अपना प्रमोशन या पदोंउन्नति चाहिए तो खर मास के नवमी तिथि को कन्याओं को अपने घर पे बुला के भोजन कराएँ|