कैसे गूगल चाइल्ड का गुरुकुल टक्कर देता हैं अमेरिका के हावर्ड से लेकर भारत के आईआईटी तक को

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क्या आपको पता हैं हमारे भारत मे एक ऐसी जगह हैं जहाँ आज भी आधुनिक तरीकों से हटकर पुराने समय के गुरुकुल की तरह बच्चों को शिक्षा दी जाती हैं| अमेरिका की हावर्ड विश्वविद्यालय से लेकर भारत के आईआईटी मे भी ऐसा ज्ञान नही दिया जाता की अगर कोई छात्र अपने आखों पे पट्टी बाँध ले या किसी छात्र के आँखों पे पट्टी बाँध दी जाए और उस छात्र को कोई भी प्रकाश की किरण ना दिखाई दे, फिर भी वो सामने रखे हुए वास्तु के बारे मे बता दे और अगर कुछ लिखा हो तो उसे भी वो पढ़ सके| नही ना| लेकिन ये ना ही कोई चौकाने वाली बात हैं और ना ही हैरान होने वाली बात|  क्योंकि ऐसी शिक्षा भारत मे कहीं ओर नही बल्कि हमारे प्रधानमंत्री के गृह राज्य गुजरात के महानगर मे दी जाती हैं|

 

अहमदाबाद के हेमचंद्र आचार्य संस्कृत गुरुकुल मे अगर हम चलें जाएँ तो हमें इस गुरुकुल मे उपस्थित विधार्थीयों की अद्भुत मेधाशक्तियों को देखकर हमारे अंदर स्थित सारे संदेह दूर हो जाएँगे| इस गुरुकुल मे शिक्षा प्राप्त कर रहे लोग आधुनिकता के विधालय से कोसों दूर हैं, मगर उनकी मेधा शक्ति आधुनिक स्कूलों मे पढ़ रहें बच्चों से भी ज़्यादा हैं| वे आधुनिक स्कूलों के बच्चों की मेधा शक्तियों को काफ़ी पीछे छोड़ चुकें हैं और उनसे आगे आ चुके हैं|

 

इसके बहुत से उदाहरण भी हमारे सामने साक्ष्य तौर पे मौजूद हैं| कुछ समय पूर्व टीवी चैनलों पे गूगल चाइल्ड नाम से एक बच्चे को दिखाया गया था| जो कुछ सेकेंड मे ही किसी भी सवाल का उत्तर देता था, जबकि उसकी आयु उसके ज्ञान से परे थी| वो सिर्फ़ 10 वर्ष का था उस वक्त| जब दुनिया को इसके बारे मे पता चला था तो पूरी दुनिया इसके ज्ञान को देखकर हैरान थी| ये बच्चा कोई और नहीं बल्कि गुजरात के इसी गुरुकुल से शिक्षा पाने वाला एक बच्चा है|

 

दूसरा उदाहरण है वो बच्चे का जो दुनिया मे फेमश अपने ज्ञान के कारण ही हुआ| इस बच्चे से इतिहास की कोई भी तारीख पूछ लो, तो वो सवाल ख़त्म होने से पूर्व ही उस तारीख की क्या महत्ता थी, उस तारीख मे कौन-सा दिन था, ये भी बता सकता हैं| इतनी जल्दी तो ना ही कोई आधुनिक  कंप्यूटर बता सकता हैं और ना ही कोई इतिहासकार|

उस गुरुकुल के बच्चों की महत्ता यहीं नही ख़त्म होती| उन बच्चों मे से एक बच्चा ऐसा हैं जो गणित के 50 मुश्किल प्रश्न भी मात्र ढाई मिनट मे समाधान कर देता है| और ये ही नहीं इस गुरुकुल के सब बच्चे संस्कृत मे वार्ता करते हैं, शास्त्रों का अध्यन करते हैं और देशी गाय का दूध पीते हैं| ये बाजार के सामान से बचकर रहते हैं|

 

ये पूर्ण रूप से प्राकृतिक जीवन जीते हैं और इन्हें इस गुरुकुल मे घुड़सवारी, ज्योतिष्, शास्त्रीय संगीत, चित्रकला इत्यादि विषयों पे भी ज्ञान दिया जाता हैं तथा इन्हें ये सारी चीज़ें सिखाई जाती हैं| इस गुरुकुल मे मात्र 100 बच्चे ही रहते हैं और इन्हें पढ़ाने के लिए 300 शिक्षक मौजूद रहते हैं| ये सारे शिक्षक वैदिक पद्धति से बच्चों को पढ़ाते हैं| उन सभी बच्चों की रूचि के अनुसार ही उनका पाठ्यक्रम तैयार किया जाता हैं और यहाँ पे परीक्षा की कोई निर्धारित पद्धति नही हैं|

 

इस गुरुकुल के संस्थापक उत्तम भाई हैं जिन्होने फ़ैसला लिया हैं की यहाँ के बच्चे योग्य संस्कारवान मेधावी हों, जो जहाँ भी जाएँ भारत देश का लोहा मनवा दे| वो जिस जगह भी जाएँ वहाँ के लोग अपने दाँतों तले अंगुली चबाने के लिए मजबूर हो जाएँ और उत्तम भाई खुश हैं क्योंकि उनका सपना पूरा होते जा रहा हैं|

 

इस गुरुकुल के संस्थापक का कहना हैं की भारत की शिक्षा प्रणाली मेकाले की देन हैं, जो भारत को गुलाम बनाने के लिए लागू की गई थी इसकारण वश भारत गुलाम बना और आज तक बना हुआ हैं| ये गुलामी तभी ख़त्म होगी जब भारत का हर युवा प्राचीन गुरुकुल से पढ़कर अपनी संस्कृति और अपनी परंपराओं पर गर्व करेगा तब भारत फिर से विश्व गुरु बनेगा और कहलाएगा|

 

गुरुकुल के संस्थापक का कहना हैं की भारत के सबसे साधारण बच्चों को छांट दिया जाय और उसे 10-10 की टोली मे विभक्त कर दिया जाय, तत्पश्चयात उन्हें 10 सर्वश्रेष्ठ विधालय मे भेजा जाय और उन्हें भी 10 बच्चे दिए जाए| फिर साल के अंत मे मुकाबला हो| तो गुरुकुल के बच्चे दुनिया के सर्वश्रेष्ठ विधालय से निकले बच्चों से कई गुना ज़्यादा मेधावी होंगे और अगर ऐसा ना हुआ तो उनकी गर्दन काट दिया जाय| इसलिए वे भारत सरकार से कहते हैं की भारत सरकार गुलाम बनाने वाले देश के सारे स्कूलों को बंद कर दें और सभी को वैदिक पद्धति से चलने वालें विधालय मे शिक्षा दिया जाय|