कैसे नवरात्री पूजा कि विधि एवम विधान से करें अपना भाग्योदय

नवरात्री हिन्दुओ को बहुत महत्वपूर्ण त्योहार है | लोग इसे हर्षो-उल्लास के साथ मानते है | तो आइये जानते है कि कैसे और कौन से दिन माँ दुर्गा के सभी रूपों कि आराधना करनी चाहिए |

माता दुर्गा की आराधना का त्यौहार इस बार ९ नही बल्कि १० दिन तक मनाया जायेगा | इस बार शारदीय  नवरात्र का आरम्भ १ अक्टूबर, दिन शनिवार से मनाया जायेगा, और इसका समापन १० अक्टूबर, दिन सोमवार को होगा |

नवरात्र में एक दिन की पूजा बढ़ने से देवी की आराधना एक दिन ज्यादा की जाएगी | यह संयोग शुभ और फलदायी होता है | नवरात्र में तृतीय तिथि दो दिन ३ से ४ अक्टूबर तक रहेगी | इसिलए नवरात्री ९ दिन के बजाय १० दिन की होगी | ग्यारहवें दिन यानि ११ अक्टूबर को दशहरा मनाया जायेगा |

नवरात्र में किस तिथि और किस देवी की पूजा की जाएगी-

१. प्रथम दिन – माता शैल पुत्री- हिमालय की पुत्री है माँ शैलपुत्री | नवरात्री की प्रतिपदा तिथि पर माँ शैलपुत्री की पूजा की जाती है | नवरात्र के प्रथम दिन योगीजन अपनी शक्ति मूलाधार में स्थित करते है व योग साधन करते है | माँ शैलपुत्री को अखंड सौभाग्य का प्रतिक भी माना जाता है | प्रथम दिन हमे स्थिरता व शक्तिशाली होने के लिए माँ शैलपुत्री की पूजा करते है इससे जीवन में स्थिरता आती है | स्त्रियों के लिए इनकी पूजा करना ही श्रेष्ठ और मंगलकारी माना जाता है |

द्वितीय  दिन-.माता ब्रह्मचारिणी- माता ब्रह्मचारिणी तप की शक्ति की प्रतिक है | देवी ब्रह्मचारिणी ब्रह्मा शक्ति यानि तप की शक्ति का प्रतिक है | इनकी पूजा करने से भक्त की तप करने की शक्ति बढ़ जाती है और सभी मनोवांछित काम पूरा हो जाता है | माँ हमे ये सन्देश देती है कि जीवन में बिना तपस्या यानि कठोर परिश्रम के सफलता प्राप्त करना असंभव है | बिना कठिन काम के सफलता पाना भगवान कि प्रबंधक के विपरीत है | ब्रह्मशक्ति यानि समझने और तप करने कि शक्ति हेतु इस दिन शक्ति का स्मरण करें |

३. तृतीय दिन- माँ चंद्रघंटा- यह शक्ति माता का शिवदूती स्वरुप है | इनके मस्तिष्क पर घंटे के आकार का अर्धचंद्र है, इसी कारण इन्हें चंद्रघंटा कहा जाता है| असुरों के साथ युद्ध में देवी चंद्रघंटा ने घंटे कि टंकार से असुरों का नाश किया था | नवरात्र के तीसरे दिन इनकी पूजा कि जाती है | इनकी आराधना करने से सांसारिक कष्टों से मुक्ति मिल जाती है |

४ चतुर्थ दिन– माँ कुष्मांडा- चौथे दिन माँ कुष्मांडा कि आराधना करते है | ये देवी रोगों को तुरंत नष्ट करने वाली है | इनकी भक्ति करने वाले भक्तो को धन-धान्य और सम्पदा के साथ-साथ अच्छा स्वास्थ्य भी प्राप्त होता है | माँ के इस रूप ने अपने उदर  से अंड यानि ब्रह्मण्ड को उत्पन्न किया | इसी वजह से इनका ये रूप कुष्मांडा कहलाता है | इनकी उपासना करने से हमारे समस्त रोग व शोक दूर हो जाते है | साथ ही, भक्तों कि आयु, यश, बल, और आरोग्य के साथ-साथ भौतिक और आघ्यात्मिक सुख भी प्राप्त होता है |

५. पंचम दिन– माँ स्कन्द माता-  इस दिन स्कन्द माता कि पूजा करने से भक्तों को सुख-शांति मिलती है | देवासुर संग्राम के सेनापति भगवन स्कन्द कि माता होने कारण माँ दूर्गा के पाचवें स्वरुप को स्कन्द माता के नाम से जानते है | माँ हमे सिखाती है कि जीवन खुद ही अच्छे-बुरे के बीच एक देवासुर संग्राम है व हम खुद सेनापति है,हमे सैन्य संचालन कि शक्ति एलटी रहे | इसलिए स्कन्दमाता कि पूजा करनी चाहिए | इससे शक्ति परम शांति व सुख का अनुभव कराती है |

६ छठा दिन–  माँ कात्यायनी-  इस दिन आदिशक्ति दुर्गा के कात्यायनी स्वरुप कि पूजा करने का विधान है | महर्षि कात्यायन कि तपस्या से खुश होकर आदिशक्ति ने उनके यहाँ पुत्री के रूप में जन्म लिया था इसीलिए वे कात्यायनी कहलाती है | इनकी उपासना से आज्ञा चक्र जाग्रति की सिद्धियां साधक को स्वमेव प्राप्त हो जाती है | वह इस लोक में रहकर भी अलौकिक तेज और प्रभाव से युक्त हो जाता है और उसके रोग, शोक, संताप, भय, आदि सभी नष्ट हो जाते है |

७ सप्तम दिन-माँ कालरात्रि– महाशक्ति माँ दुर्गा का सातवां रूप है कालरात्रि | ये माँ काल का नाश करने वाली है, इसी वजह से इन्हें कालरात्रि कहा जाता है | इस माँ कि आराधना के समय अपने मन को भानु चक्र जो ललाट यानि सिर के मध्य स्थित होना चाहिए | इस आराधना के फलस्वरूप भानु चक्र कि शक्तियां जागृत होती है | माँ कालरात्रि कि भक्ति से हमारे मन का हर प्रकार का भय नष्ट होता है | जीवन कि हर समस्या को पलभर में हल करने कि शक्ति प्राप्त होती है |

८ अष्टम दिन-माँ महागौरी– मन कि शांति मिलती है महागौरी कि पूजा से | आदिशक्ति दुर्गा का आठवां रूप है महागौरी | क्योंकि इनका रंग अत्यंत कि गोरा है इसिलिये इन्हें महागौरी के नाम से जानते है | नवरात्र का आठवां दिन हमारे शरीर का सोम चक्र जागृत करने का दिन है | सोम चक्र उधर्व  ललाट में होता है | महागौरी कि आराधना से सभी सुख स्वतः प्राप्त हो जाता है साथ ही इनकी भक्ति से हमे मन कि शांति मिलती है |

९ नवां दिन-माता सिद्धिदात्री– नवरात्र के अंतिम दिन सिद्धिदात्री कि आराधना करते है | माँ भक्तों को हर प्रकार कि सिद्धि प्रदान करि है | अंतिम दिन भक्तों को पूजा के समय अपना पूरा ध्यान निर्वाण चक्र, जो कि हमारे कपाल के मध्य स्थित होता है, वह लगाना चाहिए | ऐसा करने पर देवी कि कृपा से इस चक्र से सम्बंधित शक्तियां स्वतःही भक्त को प्राप्त हो जाती है | इनके आशिर्वाद के बाद भक्तों का हर काम असंभव नही रह जाता और उसे सभी सुख-समृद्धि  प्राप्त होती है |

दसवें दिन जहाँ काली पूजा या दुर्गा पूजा कि जाती है वहाँ दसवें दिन दुर्गा जी कि प्रतिमा का विसर्जन किया जाता है

 

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