आज हम आपको दान से संबंधित कुछ बातें बताएँगे जो आपके लिए फयदेमंद हो सकता है| दान को हमेशा सभी धर्म और संस्कृति मे इसे बहुत महत्वपूर्ण माना गया है| हिन्दू धार्मिक शास्त्रों के अनुसार दान से इंद्रिय भोगों के प्रति आसक्ति छूटती जाती है। मन की ग्रंथियां खुलती है जिससे मृत्युकाल में लाभ मिलता है। कहा जाता है की मृत्यु आने से पहले अपने सारे गांठें खोलना चाहिए इसका मतलब सीधे अक्षरों मे अपने सारे दुस्कर्मों को ख़त्म करना चाहिए| और दान करके अपने सारे दुष्कर्मों को ख़त्म करना ये सबसे सरल तरीका है| हिंदू धर्म मे विभिन वस्तुओं का दान करके संस्कारों का पालन किया जाता है |
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार किसी भी व्यक्ति के जन्म पत्रिका को देखने के बाद जीवन मे सुख, शांति और इच्छाओं की पूर्ति के लिए दान किया जाता है| ज्योतिष शास्त्र मे प्रत्येक वास्तु के दान के पीछे दान का उद्देश्य,मिलने वाला परिणाम, और उसके पीछे छुपा विज्ञान होता है|अगर हम अपने ज्योतिष् के अनुसार दान करें तो हमें अपने सारे दान का मिलने वाला फल ज़रूर मिलेगा|
हम अपने जन्म कुंडली मे अच्छे ग्रहों को मजबूत करने के लिए और शत्रु ग्रहों को शांत करने के लिए हम दान करतें हैं |
कब और क्यों नही करना चाहिए दान:
१) अपने ग्रहों के विपरीत दान नही करना चाहिए| अगर अपने ऐसा किया तो अच्छे फल के जगह बुरे फल की प्राप्ति होगी |
२) आपके जन्म कुंडली मे अगर कोई ग्रह उच्च राशि मे हो या ग्रह खुद की राशि मे स्थित हो तो उससे जुड़ी चीज़ों का दान नही करना चाहिए |
- सूर्य ग्रह:
लाल या गुलाबी रंग के पदार्थ का दान नही करना चाहिए अगर किसी के जन्म कुंडली मे सूर्य मेष राशि और सिंह राशि मे हो क्योंकि सिंह राशि मे होने से सूर्य स्वराशि मे होता है और मेष मे होने से ये उच्च राशि मे होता है| गुड़, आटा, गेहूं, तांबा आदि चीज़ों का भी दान नहीं करना चाहिए।
- चंद्र ग्रह:
खाने वालें पदार्थों में दूध, चावल एवं आभूषणों में चांदी एवं मोती का दान नहीं करना चाहिए अगर किसी के जन्म कुंडली मे चंद्र वृष राशि और कर्क राशि मे हो क्योंकि कर्क राशि मे होने से चंद्र स्वराशि मे होता है और वृष मे होने से ये उच्च राशि मे होता है| जिस जन्म कुंडली मे चंद्र ग्रह स्वराशि मे हो तो उसे किसी नल, टयूबवेल, कुआं, तालाब अथवा पीने वालें किसी भी वस्तु निर्माण में कभी आर्थिक रूप से सहयोग नहीं करना चाहिए। यह उस जातक के लिए आर्थिक रूप से हानिकारक सिद्ध हो सकता है।
- मंगल ग्रह:
मसूर की दाल, मिष्ठान अथवा अन्य किसी भी मीठे खाद्य पदार्थ का दान नहीं करना चाहिए अगर किसी के जन्म कुंडली मे मंगल मेष या वृश्चिक राशि और मकर राशि मे हो क्योंकि मेष या वृश्चिक राशि मे होने से मंगल स्वराशि मे होता है और मकर मे होने से ये उच्च राशि मे होता है|आपके घर यदि कोई भी मेहमान आए हों तो उन्हें कभी सौंफ खाने को न दीजिए अन्यथा वह व्यक्ति कभी भी किसी भी समय आपके खिलाफ ही कटु वचनों का प्रयोग करेगा। यदि आप मंगल ग्रह के प्रकोप से बचना चाहते हैं तो किसी भी प्रकार का बासी भोजन न तो स्वयं खाएं और न ही किसी अन्य लोगों को खाने के लिए दीजिए|
- बुध ग्रह:
हरे रंग के पदार्थ और हरें रंग के वस्तुओं का दान नहीं करना चाहिए अगर किसी के जन्म कुंडली मे बुध मिथुन राशि या और कन्या राशि मे हो क्योंकि मिथुन राशि मे होने से मंगल स्वराशि मे होता है और कन्या राशि मे होने से ये उच्च राशि मे होता है|
- बृहस्पति ग्रह:
पीले रंग के पदार्थ जैसे सोना, पीतल, तथा केसर, धार्मिक साहित्य या वस्तुओं आदि का दान नहीं करना चाहिए अगर किसी के जन्म कुंडली मे बृहस्पति धनु या मीन राशि या और कर्क राशि मे हो क्योंकि धनु या मीन राशि मे होने से बृहस्पति स्वराशि मे होता है और कर्क राशि मे होने से ये उच्च राशि मे होता है क्योंकि इससे समाज मे सम्मान धीरे-धीरे ख़त्म हो जाता है|
- शुक्र ग्रह:
श्वेत रंग के सुगन्धित पदार्थों का दान नहीं करना चाहिए अगर किसी के जन्म कुंडली मे शुक्र वृष या तुला राशि और मीन राशि मे हो क्योंकि वृष या तुला राशि मे होने से शुक्र स्वराशि मे होता है और मीन राशि मे होने से ये उच्च राशि मे होता है|
इसके अलावा नई खरीदी गयी कोई भी वस्तु और दही, घी, मलाई इत्यादि चीज़ों का दान नही करना चाहिए| अगर ऐसा किया गया तो इससे भौतिक सुखों की कमी होती है|
- शनि ग्रह:
काले रंग के पदार्थों या जीव और कोई भी चीज़ जो काली हो उसका दान कभी भूलकर भी नहीं करना चाहिए। इसके अलावा लोहा, लकड़ी और फर्नीचर, तेल या तेल से जुड़ी सामग्री, मकान से संबंधित मैटीरियल आदि का दान नहीं करना चाहिए।इससे निजी या सामाजिक दोनो रूप से पतन हो सकता है|