जानिये नए घर में जाने से पहले क्यों की जाती है गृह-प्रवेश पूजा

हिन्दू धर्म में वास्तु और पूजा विधियों का काफी महत्व है। कोई भी शुभ कार्य करने से पहले हमेशा शुभ मुहूर्त देखा जाता है। ज्योतिषियों के अनुसार सुखी और खुशहाल जीवन के लिए जरूरी है कि हर काम की शुरुआत शुभ मुहूर्त में की जाए। इसी तरह यदि शुभ मुहूर्त में नए घर में प्रवेश किया जाए तो वह पूरे परिवार को सुख व कल्याण देने वाला साबित होता है।   नया घर बनाने के बाद उसमें प्रवेश करने से पहले जो पूजा की जाती है, उसे ही गृह-प्रवेश पूजा कहा जाता है। इंसान अपना घर बड़ी मेहनत और उम्मीदों से बनाता है। नए घर में दिक्कतों और परेशानियों का सामना न करना पड़े इसलिए ही वास्तु शास्त्र और वेदों में गृह-प्रवेश की पूजा तो जरूरी बताया गया है।…

किस दिन करें गृह-प्रवेश- सोमवार, बुधवार, बृहस्पतिवार (गुरुवार), शुक्रवार तथा शनिवार सर्वाधिक शुभ दिन माने गए हैं. मंगलवार एवं रविवार को कभी भी भूमिपूजन, गृह निर्माण की शुरुआत, शिलान्यास या गृह प्रवेश नहीं करना चाहिए।

शुभ महीना- भारतीय पद्धति के अनुसार फाल्गुन, वैशाख एवं श्रावण महीना गृह निर्माण हेतु भूमिपूजन तथा शिलान्यास के लिए सर्वश्रेष्ठ महीने हैं, जबकि माघ, ज्येष्ठ, भाद्रपद एवं मागर्शीर्ष महीने मध्यम श्रेणी के हैं। यह भी ध्यान रखा जाना चाहिए कि चैत्र, आषाढ़, आश्विन तथा कार्तिक मास में उपरोक्त शुभ कार्य की शुरुआत कदापि न करें। इन महीनों में गृह निर्माण प्रारंभ करने से धन, पशु एवं परिवार के सदस्यों की आयु पर असर गिरता है।

शुभ तिथि- गृह निर्माण हेतु सर्वाधिक शुभ तिथियां ये हैं द्वितीया, तृतीया, पंचमी, षष्ठी, सप्तमी, दशमी, एकादशी, द्वादशी एवं त्रयोदशी तिथियां, ये तिथियां सबसे ज्यादा प्रशस्त तथा प्रचलित बताई गई हैं, जबकि अष्टमी तिथि मध्यम मानी गई है।

शास्त्रों में गृह-प्रवेश ३ तरह के बताये गए है-

 (1) अपूर्व- जब पहली बार बनाए गए घर में प्रवेश किया जाता है, तब की जाने वाली पूजा को अपूर्व गृह प्रवेश पूजा कहा जाता है।

(2) सपूर्व- जब किसी कारणों से या कुछ समय के लिए दूसरे शहर में जाकर रहने की वजह से घर को कुछ समय के लिए खाली छोड़ दिया जाता हैं तब दोबारा वहां रहने से पहले जो पूजा विधि होती है, उसे सपूर्व  गृह प्रवेश कहते हैं।

(3) द्वान्धव- किसी परेशानी या किसी आपदा के कारण जब घर को छोड़ना पड़ता है और उस घर में दोबारा प्रवेश करने पर जो पूजा करवाई जाता है उसे द्वान्धव  गृह प्रवेश कहा जाता है।

(4) वास्तु पूजा- वास्तु पूजा वास्तु देवता के लिए की जाती है। यह पूजा पहली बार घर में प्रवेश करने से पहले घर के बाहर की जाती है। इसमें घर के मुख्य द्वार पर तांबे के कलश में पानी के साथ नौ प्रकार के अनाज और एक रुपये का सिक्का रखा जाता है। फिर एक नारियल को लाल कपड़े से लपेट कर उसे कलश के ऊपर रखा जाता है। उस कलश की पूजा करने के बाद घर के दंपत्ति उस कलश को उठा कर घर के अंदर ले जाते है और हवन कुंड के पास उसकी स्थापना कर देते है।

(5) वास्तु शांति- ग्रह प्रवेश की पूजा में वास्तु शांति का हवन किया जाता है। हवन करने से ग्रहों के हानिकारक प्रभाव और किसी भी प्रकार के नकारात्मक प्रभाव दूर रहते हैं और घर में सुख और शांति बनी रहती हैं। वास्तु शांति की पूजा में वास्तु भगवान के साथ-साथ भगवान गणेश, भगवान सत्यनारायण और देवी लक्ष्मी आदि की भी पूजा की जाती है। पूजा के बाद दक्षिणा और भोजन करवाने का भी विधान है।

 

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