संध्या वंदन-  सूर्य तथा तारों से रहित दिन और रात की संधि को हमारे मुनियों ने संध्याकाल माना है। हमारे धर्म ग्रन्थ वेद, पुराण, रामायण,महाभारत, गीता और सभी ग्रंथों में संध्या वंदन की महिमा और महत्त्व का वर्णन किया गया है। इसके द्वारा हम प्रकृति तथा ईश्वर के प्रति कृतज्ञता प्रकट करते हैं। जिससे हमारे अंदर सकारात्मकता का विकास होता है। इससे हमारी सभी मनोकामनाएं पूर्ति होती है और सभी प्रकार के रोग तथा शोक का नाश होता है।  आज हम संध्या वंदन के बारे में जानेंगे।

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