माँ नर्मदा का सच जिसको जान के आप हो जायेंगे हैरान

प्राचीन धर्म ग्रंथों में जिस रेवा नदी का जिक्र हुआ है वह भारत की एक पवित्र नदी नर्मदा | कहते हैं गंगा में स्नान करने से जो पुण्य प्राप्त होता वह नर्मदा नदी के दर्शन मात्र से ही प्राप्त हो जाता है |

इस नदी का हर कंकड़ शंकर के सामान है, जिसे नर्मदेश्वर महादेव के रोप में पूजा जाता है | नर्मदा के जन्म की कहानी बहुत ही रोचक है और उससे भी रोचक है इस नदी के बनने की कहानी | ऐसी कथा है कि यह भगवान् शिव के पसीने से एक 12 साल की कन्या रूप में उत्पन्न हुई थीं | फिर जीवन ने ऐसा मोड़ लिया की प्यार में इन्हें धोखा मिला और यह उलटी दिशा में बह निकली |

नर्मदा नदी के अबरे में कहा जाता है कि यह राजा मैखल की पुत्री थीं | नर्मदा के विवाह योग्य होने पर मैखल ने उनके विवाह की घोषणा करवाई | साथ ही यह भी कहा कि जो भी व्यक्ति गुलबकावली का पुष्प लेकर आएगा राजकुमारी का विवाह उसी के साथ होगा | तभी राजकुमार सोनभद्र आए और राजा की  गुलबकावली पुष्प कि शर्त पूरी कर दी | इसके बाद नर्मदा और सोनभद्र का विवाह तय हो गया |

रजा मैखल ने राजकुमारी का विवाह तय किया | जब राजकुमारी को सोनभद्र से मिलने की इच्छा हुई तो उसने अपने सखी जुहिला को उनके पास भेजा, लेकिन वह वापस नहीं आयी तो, खुद पता लगाने गयी तो पता चला की जुहिला ने रजा के साथ विवाह कर लिया है, यह देखकर नर्मदा को अत्यंत क्रोध आया और वही से उन्होंने कभी विवाह भी नहीं किया और तब से वह उलटी दिशा में चलने लगीं और नर्मदा अरब सागर में जाकर मिलती है |

नर्मदा जयंती पर मां नर्मदा की पूजा की जाती है। भारत में नर्मदा जयंती को एक त्योहार के रूप में मनाया जाता है। इस त्योहार को मध्य प्रदेश के अमरकंटक मे बड़ी ही धूमदाम के साथ मनाया जाता है। शास्त्रों के अनुसार इसी स्थान से मां नर्मदा की उत्पत्ति हुई थी। यह त्योहार माघ माघ के शुक्ल पक्ष की सप्तमी तिथि के दिन मनाया जाता है। भारत में 7 नदियों को अत्याधिक मान्यता दी गई है। नर्मदा उन्हीं सात नदियों में से ही एक महत्वपूर्ण नदी है।

गंगा की तरह ही नर्मदा में भी स्नान करने से सभी प्रकार के पार धूल जाते हैं। भगवान शिव ने नर्मदा नदी को देवताओं के पाप धोने का वरदान दिया था। इसलिए नर्मदा नदी को अधिक महत्व दिया जाता है। इतना ही नहीं यदि आप कालसर्प दोष से पीड़ित हैं तो नर्मदा जंयती के दिन चांदी के नाग नगिन का जोड़ा नर्मदा नदी में बहाने से कालसर्प दोष हमेशा के लिए समाप्त हो जाता है। मां गंगा की तरह ही मां नर्मदा की पूजा नर्मदा जंयती पर विशेष रूप से की जाती है।


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