पति-पत्नी के बीच का कलह समाप्त करने हेतु वास्तु के कुछ अचूक उपाय

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पति और पत्नी अपना अधिकांश जीवन साथ बिताते हैं, लेकिन सब कुछ अच्छा होने के बावजूद बहुत बार यह देखने मेंं आता है कि उनके बीच बिना किसी उचित कारण के वाद-विवाद तथा मतभेद की स्थिति बनी रहती है, जिसकी वजह से उनका पारिवारिक जीवन अशांत हो जाता है। वैवाहिक जीवन में अगर इस तरह की स्थिति आ रही हो तो वास्तु की दृष्टि से अपने बेडरूम पर एक बार नजर अवश्य डाल लेनी चाहिए। हो सकता है कि बेडरूम वास्तु दोष से प्रभावित हो। वैवाहिक जीवन को खुशनुमा, सुखी और शांतपूर्ण बनाने के लिए अपने बेडरूम को वास्तु अनुरूप बनाना चाहिए। इसके लिये बहुत ज़्यादा खर्चा करने की भी ज़रूरत नहीं है, बस इन छोटी-छोटी बातो का ध्यान रखें –

  • भवन की दक्षिण-पश्चिम दिशा को बेडरूम के लिए उपयुक्त स्थान माना गया है, लेकिन स्थानाभाव होने पर पश्चिम, उत्तर-पश्चिम अथवा दक्षिण दिशा में भी बेडरूम बनाया जा सकता है।
  • बेडरूम की छत का समतल होना आवश्यक है। ढालू छत वास्तु के अनुसार दोषपूर्ण है। यदि बेडरूम की छत ढालू है तो बेड छत की उस दिशा की ओर रखना चाहिए, जहां छत की ऊंचाई कम हो।
  • पति-पत्नी के बीच आपसी प्रेम सम्बन्धों की मजबूती के लिए बेडरूम में दीवारों का रंग गुलाबी अथवा हल्का पीला रखा जाए तो अच्छा रहता है। नीला, लाल, काला या बेंगनी रंग अनावश्यक टकराव और मानसिक तनाव देता है। इसलिए बेडरूम में इन रंगों का प्रयोग नहीं करना चाहिए।
  • बेडरूम में लेंटर की बीम या लोहे की गाटर हो तो बेड को भूलकर भी इनके नीचे नहीं लगाना चाहिए, बल्कि अलग हटकर ही सोने का स्थान बनाना चाहिए।
  • बेडरूम में शयन करते समय किसी भी परिस्थिति में दक्षिण दिशा में पैर नहीं होने चाहिए। इसी प्रकार बेडरूम के मुख्य प्रवेश द्वार की और सिर या पैर करके शयन करना भी दोषपूर्ण माना गया है। पूर्व दिशा में पैर करके शयन करने से सुख समृद्धि तथा पश्चिम दिशा में पैर करके शयन करने से धार्मिक व आध्यात्मिक भावनाओं में वृद्धि होती है।
  • बेडरूम में दर्पण लगी ड्रेसिंग टेबल सिर के सामने नहीं होनी चाहिए। अगर जगह की कमी हो तो शयन करने से पूर्व दर्पण को किसी वस्त्र या चादर से ढक देना चाहिए।
  • बेडरूम में कभी भी झाडू, अंगीठी, तेल का भरा हुआ टिन, कढाही, चिमटा, जल से भरा बड़ा बर्तन, मछली घर, सामान रखने का टोकरा, नशीले पदार्थ, सफ़ेद या पीले रंग के संगमरमर से बनी कोई मूर्ति या वस्तु, पीपल, नीम या गूलर, गूलर के पत्ते या टहनी आदि अन्य अनुपयोगी सामान नहीं रखना चाहिए।
  • बेडरूम में दीवार पर स्वस्थ, सुन्दर और हंसते हुए बच्चे का चित्र, राधा-कृष्ण का सयुंक्त चित्र, खिले हुए गुलाब के जोड़े का चित्र लगाया जाना शुभ होता है। परन्तु सर्प, गिद्ध, उल्लू, बाज, कबूतर, कौआ, बगुला, चीता और युद्ध व राक्षसों के चित्र अथवा मूर्ति नहीं लगानी चाहिए।
  • बेडरूम में रात्रि के समय जलाने के लिए लगाया जाने वाला बल्व सदैव उत्तर-पूर्व दिशा यानि ईशान कोण में ही लगाना चाहिए। शयन करते समय बेडरूम में पूर्ण अन्धकार रखना दोषपूर्ण होता है।
  • बेडरूम की बाहरी दीवारों पर टूट-फूट या दरार नहीं होनी चाहिये। इससे मनमुटाव होता है।
  • शयन कक्ष घर के मध्य भाग में नहीं होना चाहिए। घर के मध्य भाग को वास्तु में बह्म स्थान कहा जाता है। यह बहुत सारी ऊर्जा को आकर्षित करता है, जो कि आराम और नींद के लिए लिए बने शयन कक्ष के लिए उपयुक्त नहीं है।
  • आप अपने बेडरूम में टीवी या कम्प्यूटर नहीं रखें, उससे पति-पत्नी में टेंशन होता है।
  • घर में सीधा प्रवेश शयन कक्ष के मुख्यद्वार से नहीं होना चाहिए। बीच में पार्टीशन या कोई जाली अवश्य होनी चाहिए।

ये समस्त जानकारिया वास्तु शास्त्र के अनुसार है परंतु इनको अपनाने से पहले किसी वास्तु विशेषज्ञ की सलाह लेना आवश्यक है| वास्तु विशेषज्ञ की सलाह ले कर ही इन बताये प्रयोगों को करे|

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