आज नवरात्री का दूसरा दिन है यानि की माँ ब्रह्मचारिणी की पूजा और आराधना का दिन। आज हम माँ ब्रह्मचारिणी के बारे में जानेंगे ।
माँ ब्रह्मचारणी, तप की शक्ति का प्रतिक:
नवरात्री के दूसरे दिन माँ ब्रह्मचारणी की पूजा की जाती है, जो ब्रह्म शक्ति यानि तप की शक्ति का स्वरुप है। माँ ब्रह्मचारणी की आराधना करने से तप करने की शक्ति बढ़ती है। तप करना अर्थात कठोर परिश्रम करना।
माँ ब्रह्मचारिणी के दाहिने हाथों में जप की माला तथा बाएं हाथों में कमंडल सुशोभित है। माँ के दूसरे स्वरुप की आराधना करने से भक्तों और सिद्धों को अनन्त फल प्रदान होता है। देवी के इस स्वरूप की पूजा और साधना से साधक के अंदर कुंडलिनी शक्ति जागृत होती है।
ब्रह्मचारणी मतलब ब्रह्म को धारण करने वाली अर्थात बिना कठोर परिश्रम किये सफलता प्राप्त करना असंभव है। और वो ईश्वर के प्रबंधन के विपरीत है। इसलिए ब्रह्म शक्ति के लिए माँ ब्रह्मचारणी का ध्यान नवरात्री के दूसरे दिन करें तथा उत्पन्न ऊर्जा को शरीर में स्थित स्वाधिष्ठान चक्र में स्थित करें। इससे ये तप और समझने की शक्ति मजबूत होती है। तथा सर्वत्र विजय और सिद्धि की प्राप्ति होती है।
पूजा विधि माँ ब्रह्मचारिणी की:
माँ के पूजा में सर्वप्रथम फूल, अक्षत, रोली, चन्दन, से माँ की पूजा करें तत्पश्च्यात उन्हें दूध, दही, शर्करा, घृत तथा मधु से माँ को स्नान कराएं। उसके बाद माँ को प्रसाद का भोग लगाएं। प्रसाद का अर्पण करने के बाद उन्हें आचमन, फिर पान, सुपारी भेंट करें। स्थापित कलश की पूजा करें। तत्पश्च्यात सभी ग्रहों नगर देवता, कुल देवता, ग्राम देवता इन सबकी आराधना करें।
उसके बाद माँ का ध्यान मन्त्रों के साथ करें:
- ध्यान मन्त्र:
दधांना कर पहाभ्यामक्षमाला कमण्डलम।
देवी प्रसीदतु मयि ब्रह्मiचारिण्यनुत्तमा।।
- मां ब्रह्मचारिणी की उपासना करने का मंत्र:
या देवी सर्वभूतेषु ब्रह्मचारिणी रूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:।।
- ध्यान व् जप करने के बाद माँ की आरती करें।