जब दो लोग एक दूसरे के साथ अपना सम्पूर्ण जीवन व्यतीत करने का फैसला लेते है तब उनके बिच विवाह सम्बन्ध होता है परन्तु आज के मॉडर्न युग में हमने देखा है की बड़ी बड़ी सेलेब्रिटीज़ के अलावा साधरण लोगो का विवाह विच्छेद एक बहुत ही कॉमन बात हो गई है हर दिन एक नए तलाक या पति पत्नी के बिच की झगडे की खबर हम सुनते है| आखिर ग्रहों का ऐसा कौन सा योग होता है जो विवाह विच्चीद का कारण बनता है आइये जानते है हम
अक्सर देखा जाता है ऐसी परिस्थिति हो जाती है एक अच्छा जोड़ा अपनी ज़िन्दगी से तंग आकर तलाक के लिए बाध्य हो कर अदालत का दरवाजा खटखटाता हैं।
इन कारणों से जाती है शादियां अदालत तक
- सप्तम भावस्थ राहू युक्त द्वादशाधिपति से वैवाहिक सुख में कमी होना संभव है। द्वादशस्थ सप्तमाधिपति और सप्तमस्थ द्वादशाधिपति से यदि राहू की युति हो तो दांपत्य सुख में कमी के साथ ही अलगाव भी उत्पन्न हो सकता है।लग्न में स्थित शनि-राहू भी दांपत्य सुख में कमी करते हैं।
- सप्तमेश छठे, अष्टम या द्वादश भाव में हो, तो वैवाहिक सुख में कमी होना संभव है।
- षष्ठेश का संबंध यदि द्वितीय, सप्तम भाव, द्वितीयाधिपति, सप्तमाधिपति अथवा शुक्र से हो, तो दांपत्य जीवन का आनंद बाधित होता है।उचित उपाय करके अपने जीवन को सुखमय बनाये।
- छठा भाव न्यायालय का भाव भी है। सप्तमेश षष्ठेश के साथ छठे भाव में हो या षष्ठेश, सप्तमेश या शुक्र की युति हो, तो पति-पत्नी में न्यायिक संघर्ष होना भी संभव है।
- यदि विवाह से पूर्व कुंडली मिलान करके उपरोक्त दोषों का निवारण करने के बाद ही विवाह किया गया हो, तो दांपत्य सुख में कमी नहीं होती है। किसी की कुंडली में कौन सा ग्रह दांपत्य सुख में कमी ला रहा है। इसके लिए किसी विशेषज्ञ की सलाह लें।
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