आमलकी एकादशी का महत्व :-

एक हजार गौ दान का फल देती हैं आमलकी एकादशी:-

 सब व्रतों से उत्तम और अंत में मोक्ष देने वाला व्रत आमलकी एकादशी व्रत  ही माना गया है इस व्रत के करने से समस्त पाप नष्ट हो जाते हैं। इस व्रत का फल एक हजार गौदान के फल के बराबर होता है। 

भगवान विष्णु ने कहा है जो प्राणी स्वर्ग और मोक्ष प्राप्ति की कामना करते हैं उनके लिए फाल्गुन शुक्ल पक्ष में जो पुष्य नक्षत्र में एकादशी आती है उस एकादशी का व्रत अत्यंत श्रेष्ठ है। इस एकादशी को आमलकी एकादशी के नाम से जाना जाता है।

आमल की एकादशी व्रत प्रत्येक वर्ष फाल्गुन मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को मनाई जाती है। इस बार यह 06 मार्च 2020 को है। जो लोग स्वर्ग और मोक्ष प्राप्ति की कामना रखते हैं, उनको आमलकी एकादशी के दिन आंवले के वृक्ष के नीचे बैठकर भगवान विष्णु की आराधना करनी चाहिए। आंवला का वृक्ष भगवान विष्णु का प्रिय वृक्ष माना गया है, आंवले के वृक्ष में भगवान विष्णु का निवास होता है

भगवान विष्णु ने कहा है जो प्राणी स्वर्ग और मोक्ष प्राप्ति की कामना रखते हैं उनके लिए फाल्गुन शुक्ल पक्ष में जो पुष्य नक्षत्र में एकादशी आती है उस एकादशी का व्रत अत्यंत श्रेष्ठ होता है। इस एकादशी को आमलकी एकादशी के नाम से जाना जाता है।

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