प्रथम सुख-पाने का मुहूर्त धनतेरस

शास्त्रों में सुखों के भी अनेक प्रकारों का उल्लेख है, जैसे

“पहला सुख निरोगी काया, दूज सुख घर में माया |

तीज सुख सूत आज्ञाकारी, चौथा सुख पतिव्रता नारी” ||…

आइये आगे जानते है इनके बारे में…

स्वास्थ्य को प्रथम स्थान पर रखने का कारण यह है कि यदि शरीर स्वस्थ न हो तो अन्य सब सुख व्यर्थ है | स्वस्थ शरीर से ही धन का संग्रहण, संरक्षण, और उपभोग तथा दान सम्भव है |

इसीलिए दीपावली के पांच दिवसीय त्यौहार का श्री गणेश हम धनतेरस अथार्त धनवंतरी के रूप में भगवान समुद्र-मंथन के समय अमृत कलश लेकर प्रकट हुए थे | ये आयुर्वेद एवम  वैधक विधा ( चिकित्सा विधा ) के अधिष्ठाता देवता है |

इस प्रकार पूजन करके धनवंतरी भगवान से आयु एवम आरोग्य का आशिर्वाद प्राप्त करें |

(१) सर्व प्रथम ब्रह्म मुहूर्त में गौमूत्र और गंगाजल से युक्त जल से स्नान करें |

(२) स्वास्थ्य वर्धन, दीर्घायु, और आरोग्य प्राप्ति के लिए धनवंतरी भगवान का पूजन करने का संकल्प लें |

(३) ऐसी मान्यता है कि धनवंतरी भगवान संध्या काल में प्रकट हुए थे अतः संध्या के समय पूजन किया जाना उत्तम है |

(४) जल से भरे घड़े में हरितकी (हड़). सुपारी, हल्दी, धुर्वा, तुलसी, दक्षिणा, लौंग का जोड़ा आदि वस्तुएं डाल कर कलश स्थापना करें |

(५) उपरोक्त कलश में धन्वन्तरि भगवान का अमृत सहित आह्वाहन करें और पूजन करें |

(६) पूजन में आयुर्वैदिक घरेलु ओषधियाँ जैसे आंवला, हड़, हल्दी, तुलसी, बेलपत्र, आदि अवश्य रखें |

(७) धनवंतरी भगवान से दीर्घायु एवम स्वास्थ्य कि प्राथना परिवार सहित करें |

 

 

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ये समस्त जानकारियां जयोतिषीय शास्त्र के अनुसार है परंतु इनको अपनाने से पहले किसी ज्योतिषीय विशेषज्ञ की सलाह लेना आवश्यक है | आपकी कुंडली दिखा कर इन बताये प्रयोगों को करे |

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