हनुमान चालीसा श्री तुलसीदास जी द्वारा रचयीत है, हनुमान चालीसा में प्रभु श्री राम जी के महान भक्त हनुमान जी के कार्यों एवं गुणों का वर्णन किया गया है, जो निम्न चौपाइयों के द्वारा वर्णित हैं | नित दिन हनुमान चालीसा पढ़ने से आप देखेंगे की आपको अपने आप में कॉन्फिडेंस बढ़ता दिखेगा है, पॉजिटिव एनर्जी आती दिखेगी है, अपने कार्य स्थल पर अच्छा मन लगता है, और अपने कार्य क्षेत्र में पदोन्नोती मिलती है | लगातार १०१ दिन तक हनुमान चालीसा पढ़ते रहे आपको सफलता अवश्य मिलेगी, बोलो श्री राम भक्त हनुमान जी की जय…

जय श्री राम

हनुमान चालीसा

                                                     

दोहा

श्रीगुरु चरण सरोज रज निज मनु मुकुरु सुधारि |

बरनऊँ रघुबर बिमल जसु जो दायकु फल चारि ||

बुद्धिहीन तनु जानिके, सुमिरौं पवन कुमार |

बल बुद्धि विद्या देहु मोहि, हरहु कलेश विकार ||

चौपाई

जय हनुमान ज्ञान गुन सागर |

जय कपीस तिहुँ लोक उजागर || १ ||

राम दूत अतुलित बल धामा |

अंजनी पुत्र पवनसूत नामा || २ ||

महाबीर बिक्रम बजरंगी |

कुमति निवार सुमति के संगी || ३ ||

कंचन बरन बिराज सुबेसा |

कानन कुण्डल कुंचित केसा || ४ ||

हाथ बज्र अरु ध्वजा बिराजे |

काँधे मूँज जनेऊ साजे || ५ ||

शंकर सुवन केसरी नंदन |

तेज प्रताप महा जगवंदन || ६ ||

विद्यावान गुनी अति चातुर |

राम काज करिबे को आतुर || ७ ||

प्रभु चरित्र सुनिबे को रसिया |

राम लखन सीता मनबसिया || ८ ||

सूक्ष्म रूप धरि सियहि दिखावा |

विकट रूप धरि लंक जारवा || ९ ||

भीम रूप धरि असुर संहारे |

रामचंद्र जी के काज सवाँरे || १० ||

लाय सजीवन लखन जियाये |

श्री रघुबीर हरषि उर लाये || ११ ||

रघुपति किन्ही बहुत बड़ाई |

तुम मम प्रिय भारत-ही सम भाई || १२ ||

सहस बदन तुम्हरो जस गावै |

अस कही श्रीपति कंठ लगावे || १३ ||

सनकादिक ब्रह्मादि मुनीसा |

नारद सारद सहित अहिंसा || १४ ||

जम कुबेर दिगपाल जहाँ ते |

कवि कोविद कहि सके कहाँ ते || १५ ||

तुम उपकार सुग्रीवहि कीन्हा |

राम मिलाय राज पद दीन्हा || १६ ||

तुम्हरो मंत्र बिभीषण माना |

लंकेश्वर भये सब जग जाना || १७ ||

जुग सहस्त्र जोजन पर भानु |

लिल्यो ताहि मधुर फल जानू || १८ ||

प्रभु मुद्रिका मेलि मुख माही |

जलधि लाँघि गए अचरज नाही || १९ ||

दुर्गम काज जगत के जेते |

सुगम अनुग्रह तुम्हरे तेते || २० ||

राम दुआरे तुम रखवारे |

होत ना आज्ञा बिनु पैसारे || २१ ||

सब सुख लहैं तुम्हारी सरना |

तुम रक्षक काहु को डरना || २२ ||

आपन तेज सम्हारो आपै |

तीनों लोक हाँक तै कापै || २३ ||

भूत पिशाच निकट नहि आवै |

महावीर जब नाम सुनवै || २४ ||

नासै रोग हरे सब पीरा |

जपत निरंतर हनुमत बीरा || २५ ||

संकट तै हनुमान छुड़ावै |

मन क्रम वचन ध्यान जो लावै || २६ ||

सब पर राम तपस्वी राजा |

तिनके काज सकल तुम साजा || २७ ||

और मनोरथ जो कोई लावै |

सोई अमित जीवन फल पावै || २८ ||

चारों जुग परताप तुम्हारा |

है परसिद्ध जगत उजियारा || २९ ||

साधु संत के तुम रखवारे |

असुर निकंदन राम दुलारे || ३० ||

अष्ट सिद्धि नौ निधि के दाता |

अस बर दीन जानकी माता || ३१ ||

राम रसायन तुम्हरे पासा |

सदा रहो रघुपति के दासा || ३२ ||

तुम्हरे भजन राम को पावै |

जनम जनम के दुःख बिसरावै || ३३ ||

अंतकाल रघुवरपुर जाई |

जहाँ जन्म हरिभक्त कहाई || ३४ ||

और देवता चित्त ना धरई |

हनुमत सेई सर्व सुख करई || ३५ ||

संकट कटै मिटै सब पीरा |

जो सुमिरै हनुमत बलबीरा || ३६ ||

जय जय जय हनुमान गुसाईं |

कृपा करहु गुरु देव की नाई || ३७ ||

जो सत बार पाठ कर कोई |

छूटहि बंदि महा सुख होई || ३८ ||

जो यह पढ़े हनुमान चालीसा |

होय सिद्ध सखी गौरीसा || ३९ ||

तुलसीदास सदा हरि चेरा |

कीजै नाथ ह्रदय मह डेरा || ४० ||

दोहा

पनय तनय संकट हरण, मंगल मूरति रूप |

राम लखन सीता सहित, ह्रदय बसहु सुर भूप ||


यज्ञ पर्यावरण की शुद्धि का सर्वश्रेष्ठ साधन है | यह वायुमंडल को  शुद्ध रखता है| इसके द्वारा वातावरण शुद्ध व रोग रहित रहता है| यज्ञ एक ऐसी ओषधि है जो सुगंध भी देती है, तथा वातावरण को रोग Continue reading


जीवन में शुभ के आगमन का प्रतिक है कमल पुष्प जानिए किस प्रकार माँ लक्ष्मी को घर में स्थाई रखने के लिए प्रसन्न करे

कमल का फूल जितना मन मोहक होता है उतनी ही मोहक उसकी सुगंध होती है जो वातावरण को शुद्ध व आनंद से भर देती है | कमल के फूल को हमारे शास्त्रों में भी बड़ा महत्त्व दिया गया है | हमारे धर्म शास्त्रों में  माँ लक्ष्मी को कमला और कमलासना माना जाता है | कमलासना का अर्थ होता है जो कमल पर विराजित हो कमल के फूल को माँ लक्ष्मी की पूजा में खास महत्त्व दिया गया है | आप माँ लक्ष्मी को कमल के फूल चढ़ा कर अपनी मनोकामना को पूरा कर सकते है और सफलता पा सकते है |जीवन में शुभ के आगमन का प्रतिक है कमल पुष्प जानिए किस प्रकार माँ लक्ष्मी को घर में स्थाई रखने के लिए प्रसन्न करे

कमल का फूल जितना मन मोहक होता है उतनी ही मोहक उसकी सुगंध होती है जो वातावरण को शुद्ध व आनंद से भर देती है | कमल के फूल को हमारे शास्त्रों में भी बड़ा महत्त्व दिया गया है | हमारे धर्म शास्त्रों में  माँ लक्ष्मी को कमला और कमलासना माना जाता है | कमलासना का अर्थ होता है जो कमल पर विराजित हो कमल के फूल को माँ लक्ष्मी की पूजा में खास महत्त्व दिया गया है | आप माँ लक्ष्मी को कमल के फूल चढ़ा कर अपनी मनोकामना को पूरा कर सकते है और सफलता पा सकते है |

इस प्रकार करे पूजन जिससे माँ लक्ष्मी सदा के लिए वास करे आपके घर :-

ज्योतिष के जानकारों की माने तो कमल का फूल देवी देवताओ को प्रिय होता है | इस फूल के उपयोग से आपकी कई मनोकामनाये पूरी हो सकती है |

* अगर आप अपने घर में माँ लक्ष्मी का स्थाई वास बनाना चाहते है तो इसके लिए एक नारियल ले  तथा एक लाल ,पीला, नीला और एक सफेद कमल के फूल से माँ लक्ष्मी की पूजा करे और फिर अगले दिन इन फूलो को किसी नदी या तालाब में विसर्जित कर दे और पूजा में चढ़ाये गए नारियल को लाल कपडे में बांध कर तिजोरी में रख दे |

*अगर २७ दिन तक रोज एक कमल का फूललक्ष्मी जी को  अर्पित करे तो अखंड सुख की प्राप्ति होती है |

*किसी भी एक एकादशी को कृष्ण जी को कमल के दो फूल अर्पित करे ऐसा करने से आपकी संतान प्राप्ति की अभिलाषा पूरी होगी |

*कमल के फूल को माँ लक्ष्मी पूजा में खास महत्त्व दिया गया है अगर आप माँ लक्ष्मी को प्रसन्न करना चाहते है तो इनकी पूजा में कमल के फूल का इस्तेमाल करे |

*अपने परिवार के सदस्यो के बीच प्यार बढ़ाने के लिए अपने घर के मंदिर में स्थापित लक्ष्मी माँ की मूर्ति या तस्वीर के सामने एक कमल का फूल अर्पित करे | ऐसा करने से परिवार के लोगो के बीच प्यार बढ़ता है और साथ ही धन – सम्पत्ति बढ़ने लगती है |

*अगर आप अपने जीवन से धन की कमी को हमेशा के लिए दूर करना चाहते है तो माँ लक्ष्मी की नील रंग के कमल के फूल से पूजा करे आप इस फूल का इस्तेमाल किसी को वश में करने के लिए भी कर सकते है |


बैशाख माह हिन्दू नव वर्ष का दूसरा महीना होता है हिन्दू मान्यता अनुसार इस माह से त्रेता युग का आरम्भ हुआ था अत: सम्पूर्ण बैशाख माह अत्यधिक पवित्र और पुण्य Continue reading


प्रदोष काल निर्धारित करने की ३ प्रचलित मान्यताये है-

जिनका आप अपने क्षेत्र और रीती अनुसार अनुसरण करे |

एक मान्यता के अनुसार प्रदोष काल सूर्यास्त के समय से आगे चार घटी अथार्त ९६ मिनिट का होता है |

दूसरी मान्यता के अनुसार सूर्यास्त्र के समय से दूसरे दिन के सूर्य उदय Continue reading




१९ अप्रेल शुक्रवार को चैत्र पूर्णिमा है. यह दिन बहुत ही पवित्र और शुभ माना जाता है | इस दौरान कोई भी नया कार्य करना बहुत शुभ माना Continue reading


बैसाखी अप्रैल में तब मनाया जाता है, जब सूर्य मेष में प्रवेश करता है |

आईये जानते है बैसाखी नाम कैसे पड़ा :-

अधिकांश पर्व-त्यौहार मौसम, मौसमी फसल और उनसे जुडी गतिविधियों से ही सम्बंधित है | Continue reading


कालसर्प योग के बुरे प्रभावों को दूर करने के लिए पूजा-पाठ, मंत्र और जप आदि कार्यो के अलावा कई ज्योतिषीय उपाय भी प्रचलन में हैं। यदि सभी ग्रह राहू या केतुके एक ओर स्थित हों तो कालसर्प योग का निर्माण होता है। राहु- केतु की भावगत स्थिति के आधार पर अनन्तादि 12 प्रकार केकालसर्प योग निर्मित होते हैं। कालसर्प योग के कारण सूर्यादि सप्तग्रहों की शुभफल देने की क्षमता समाप्त हो जाती है। इससे जातक को 42 साल की आयु तक परेशानियां झेलनी पड़ती है। लेकिन दूसरी तरफ किसी की कुंडली में कालसर्प योग होने के बाद भी जातक की उन्नति होती है। आइएजानते है किन परिस्थितियों में कालसर्प योग का असर होता है और किसमें नहीं।

जब राहू और केतु के बीच अन्य ग्रहों की उपस्थिति हो तब ही कालसर्प योग का असर होता है। वहीं जब केतु और राहु के बीच ग्रहों की उपस्थिति हो तब इस योग का असर नहीं होता है।

लग्न या चन्द्रमा राहु अथवा केतु के नक्षत्र में यानि आर्द्रा, स्वाती, शतभिषा, अश्विनी, मघा , मूल में हो  तो तब यह अधिक प्रभावी होता है।

राहु की शनि, मंगल अथवा चन्द्रमा के साथ युति हो तो यह योग अधिक प्रभावी होता है।

अनन्त, तक्षक एवं कर्कोटक संज्ञक कालसर्प योग में क्रमश लग्नेश, पंचमेश, सप्तमेश एवं लग्नेश की युति राहु के साथ हो तो यह योग अधिक प्रभावी

होता है।

कालसर्प योग के साथ-साथ शकट,केमदूम एवं ग्रहों की नीच अस्तंगत, वक्री स्थिति हो तो कालसर्प योग अधिक प्रभावी होता है।

जन्म लेने और फिर उसके बाद करियर के निर्माण के समय यदि राहु की अथवा इससे युति ग्रह की अथवा राहु के नक्षत्र में स्थित ग्रह की दशा हो तो कालसर्प योग का असर अधिक होता है।

अगर आप किसी भी प्रकार की जानकारी चाहते है तो संपर्क करे हमारे विशेषज्ञ पंडित जी से | अगर किसी भी तरह की परेशानी है, जिस से आप मुक्ति चाहते है,या आपके जीवन, कुंडली से सम्बंधित जानकारी चाहते है, तो सलाह ले हमारे जाने माने ज्योतिषीय सलाहकारों से कॉल करे (Call Us) +91 9009444403 या हमे व्हाट्सएप्प (Whatsapp) पर सन्देश (Message) भेजे एवं जानकारी प्राप्त करे |

नोट:- सलाह शुल्क सिर्फ ५०० रुपये| (Consultancy Fee Rs 500)


शिव उपासना के पांच अक्षर हैं – “नमः शिवाय”. शिव जी सृष्टि के नियंत्रक हैं. सृष्टि पांच तत्वों से मिलकर बनी है. इन पांच अक्षरों से सृष्टि के पाँचों तत्वों को नियंत्रित किया जा सकता है. हर अक्षर का अपना अर्थ और महत्व है. जब इन पाँचों अक्षरों को एक साथ मिलाकर जप किया जाता है तो सृष्टि पर नियंत्रण किया जा सकता है.

“न” अक्षर का अर्थ और महत्व क्या है?

– इसका अर्थ नागेन्द्र से है, अर्थात नागों को धारण करने वाले

– न का अर्थ निरंतर शुद्ध रहने से भी है

– इस अक्षर के प्रयोग से व्यक्ति दसो दिशाओं से सुरक्षित रहता है

“म” अक्षर का अर्थ और इसकी महिमा क्या है?

– इसका अर्थ मन्दाकिनी को धारण करने से है

– इस अक्षर का अर्थ महाकाल और महादेव से भी है

– नदियों , पर्वतों और पुष्पों को नियंत्रित करने के कारण इस अक्षर का प्रयोग हुआ

– यह जल तत्त्व को नियंत्रित करता है

“श” अक्षर का अर्थ और इसकी महिमा?

– इसका अर्थ शिव द्वारा शक्ति को धारण करने से है

– यह परम कल्याणकारी अक्षर माना जाता है

– इस अक्षर से जीवन में अपार सुख और शांति की प्राप्ति होती है

“व” अक्षर का अर्थ और इसकी महिमा?

– इसका सम्बन्ध शिव के मस्तक के त्रिनेत्र से है

– यह अक्षर शिव जी के प्रचंड स्वरुप को बताता है

– इसका प्रयोग ग्रहों नक्षत्रों को नियंत्रित करता है

“य” अक्षर का अर्थ और इसकी महिमा?

– इस अक्षर का अर्थ है कि , शिव जी ही आदि, अनादि और अनंत हैं

– यह सम्पूर्णता का अक्षर है

– इसमें शिव को सर्वव्यापक माना गया है

– इस अक्षर का प्रयोग शिव की कृपा दिलाता है

पंचाक्षरी मंत्र या पंचाक्षरी स्तोत्र का पाठ किस प्रकार कल्याणकारी होता है?

– पंचाक्षर मंत्र से हर प्रकार की मनोकामना पूर्ण की जा सकती है

– इसी प्रकार पंचाक्षरी स्तोत्र से शिव कृपा पायी जा सकती है

– पंचाक्षरी स्तोत्र से मन की हर तरह की समस्या दूर की जा सकती है

अगर आप किसी भी प्रकार की जानकारी चाहते है तो संपर्क करे हमारे विशेषज्ञ पंडित जी से | अगर किसी भी तरह की परेशानी है, जिस से आप मुक्ति चाहते है,या आपके जीवन, कुंडली से सम्बंधित जानकारी चाहते है, तो सलाह ले हमारे जाने माने ज्योतिषीय सलाहकारों से कॉल करे (Call Us) +91 9009444403 या हमे व्हाट्सएप्प (Whatsapp) पर सन्देश (Message) भेजे एवं जानकारी प्राप्त करे |

नोट:- सलाह शुल्क सिर्फ ५०० रुपये| (Consultancy Fee Rs 500)


सोमप्रदोष पूजा से महालाभ मिलेगा. इस दिन का महत्व इसलिए बढ़ गया है क्योंकि सोम प्रदोष पूजा के साथ चन्द्रमा मेष राशि में भी है. ज्येष्ठ अधिक मास का सोमवार है. त्रयोदशी तिथि भी है, शुभ संयोग बना है. सोम प्रदोष दिवस पर शिव पूजन से चार लाभ मिलता है-धन ऐश्वर्य का लाभ, पति का सौभाग्य जागेगा, आपको भारी सफलता मिलेगी और कन्याओं का विवाह हो जाएगा. सबसे पहले शिव मंदिर पर जल, दूध, बेलपत्र, धतूरा, चावल और सफ़ेद फूल, तुलसी पत्ते और शहद चढ़ाएं. गर्मी भी है. मिटटी का जल पात्र लेंगें. मटकी, घड़ा या सुराही लेंगे. ठंडा पानी भरकर अगर शिव जी पर चढ़ा दें. हर हर महादेव बोलकर जल चढ़ाएं. शिव जी मनोकामना पूरी करेंगे. ठंडा पानी से राहु केतु और शनि शांत होंगे.

सोमवार प्रदोष की व्रत विधि

सोमवार का व्रत नहाकर  शुरू करें.

सुबह गंगाजल डालकर स्नान करें.

सफ़ेद वस्त्र धारण करें.

शिव मंदिर जाकर, शिवजी को चावल, जल, दूध चढ़ाएं

शिवजी के साथ साथ माता गौरी की भी पूजा करें

शिवजी और गौरी को दूध-चावल की खीर का भोग लगाएं.

पति का सौभाग्य जागेगा, पति दीर्घायु होंगे

और आप भी सुखी हो जाएंगे

महिलाएं मासिक शिवरात्रि के अलावा

सोमप्रदोष का व्रत रखें

और मंदिर में शिव लिंग की

ख़ास पूजा करें

सोमवार को शनि का उत्तरा फाल्गुनी

नक्षत्र भी है

शिव लिंग को पहले दही से मलकर स्नान करवाएं

चंदन का तिलक लगाकर

शिवलिंग का श्रृंगार करें

और इसपर शुद्ध शहद से अभिषेक करें

और माँ पार्वती को सुहाग का लाल सिन्दूर

लाल वस्त्र चढ़ाएं

और बेल फल का भोग लगाएं

अगर आप किसी भी प्रकार की जानकारी चाहते है तो संपर्क करे हमारे विशेषज्ञ पंडित जी से | अगर किसी भी तरह की परेशानी है, जिस से आप मुक्ति चाहते है,या आपके जीवन, कुंडली से सम्बंधित जानकारी चाहते है, तो सलाह ले हमारे जाने माने ज्योतिषीय सलाहकारों से कॉल करे (Call Us) +91 9009444403 या हमे व्हाट्सएप्प (Whatsapp) पर सन्देश (Message) भेजे एवं जानकारी प्राप्त करे |

नोट:- सलाह शुल्क सिर्फ ५०० रुपये| (Consultancy Fee Rs 500)