वास्तु शास्त्र के अनुसार, घर निर्माण से पूर्व जानें घर से जुड़े वास्तु उपाय

वास्तु शास्त्र के अनुसार कई सारे ऐसे उपाय हैं जिनका उपयोग हम करें तो किसी भी वास्तु के दोष का असर हमारे ऊपर नहीं पड़ेगा। वास्तु शास्त्र हमें यह बताता है की घर या व्यवसाय इन जगहों पे किस चीजों को रखना हमारे घर और व्यवसाय के लिए उत्तम होगा। इसलिए आज हम घर और ऑफिस से सम्बंधित वास्तु दोषों के बारे में जानेंगे।

 

यदि कोई घर का निर्माण कर रहा है तो वास्तु शास्त्र के अनुसार कई वास्तु उपाय हैं जिनका पालन करना सर्वोपरि है।

१) पूजा घर:

  • जब भी हम घर का निर्माण कर रहे हो उससमय ये ध्यान रखें की पूजा घर उत्तर-पूर्व दिशा में स्थापित हो अर्थात ईशान कोण में। यदि इस दिशा में ये संभव नहीं हो पा रहा हो तो उत्तर दिशा में भी हम पूजा घर का निर्माण कर सकते हैं।
  • शौचालय कभी भी पूजा घर के ऊपर या निचे या इससे सटा नहीं होना चाहिए।
  • कभी भी भगवान की प्रतिमा की स्थापना पूजा घर में स्थापित नहीं होना चाहिए। क्योंकि जिस तरह मंदिरों में प्राण प्रतिष्ठा के साथ मूर्तियों को रखा जाता है उस तरह हम अपने घर में नहीं रख सकते। इसलिए घर में छोटी मूर्ति या तस्वीर लगा सकते हैं।
  • घर की सीढ़ियों के निचे पूजा घर स्थापित नहीं करना चाहिए।
  • खंडित मूर्ति या चित्र पूजा घर में स्थापित नहीं करना चाहिए।
  • घर के निर्माण के समय बेडरूम और पूजा घर एक ही कमरे में नहीं होना चाहिए।

 

२) घर का शयनकक्ष:

  • घर के मुखिया का कमरा हमेशा दक्षिण-पश्चिम या उत्तर-पश्चिम दिशा में होना चाहिए।
  • मेहमान कक्ष शास्त्र अनुसार उत्तर-पूर्व दिशा में हो तो ये उत्तम है। यदि ऐसा संभव नहीं तो उत्तर-पश्चिम दिशा भी सर्वश्रेष्ठ है।
  • उत्तर-पूर्व दिशा में कभी-भी शयनकक्ष नहीं होना चाहिए।

 

३)रसोई की बात करें तो रसोई घर हमेशा दक्षिण-पूर्व दिशा में होनी चाहिए।

४) स्नान घर और शौचालय दक्षिण-पश्चिम दिशा में होना शुभ माना जाता है।

५) घर की सीढियाँ:

  • ये कभी भी घर के सामने नहीं होनी चाहिए। यानि जब भी कोई मनुष्य घर के अंदर प्रवेश करे तो घर के अंदर की सीढियाँ उस मनुष्य को नहीं दिखना चाहिए।
  • सीढ़ियों के निचे कभी-भी शौचालय, स्नान घर, पूजा मंदिर नहीं होनी चाहिए। गंदगी या कबाड़ भी रखना सीढ़ियों के निचे वास्तु के अनुसार हानि पहुंचा सकती है। इसके निचे अच्छे सामान रख सकते हैं सुसज्जित तरीके से।
  • सीढियाँ पश्चिम दिशा में होनी चाहिए।

६) दरवाजा और लाइट्स:

  • घर के मुख्य दरवाजे कभी भी दक्षिणमुखी नहीं होनी चाहिए। यदि ऐसा है तो घर के दरवाजे के सामने एक बड़ा सा आईना लगा दें।
  • प्रवेश द्वार पे ॐ या स्वस्तिक का चिन्ह बनायें।
  • हमेशा उत्तर-पूर्व दिशा या घर के मंदिर में जल से भरा हुआ कलश रखें।
  • शयनकक्ष में भगवान की मूर्तियां स्थापित नहीं करें।
  • घर में कई सारे कमरे होते हैं इसलिए कमरे की खिड़कियां और दरवाजे पूर्व या उत्तर दिशा में होना चाहिए।
  • लाइट्स हमेशा पूर्व या उत्तर दिशा में होनी चाहिए।

 

ये समस्त जानकारियां वास्तु शास्त्र के अनुसार है|

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