शिव उपासना के पांच अक्षर हैं – “नमः शिवाय”. शिव जी सृष्टि के नियंत्रक हैं. सृष्टि पांच तत्वों से मिलकर बनी है. इन पांच अक्षरों से सृष्टि के पाँचों तत्वों को नियंत्रित किया जा सकता है. हर अक्षर का अपना अर्थ और महत्व है. जब इन पाँचों अक्षरों को एक साथ मिलाकर जप किया जाता है तो सृष्टि पर नियंत्रण किया जा सकता है.

“न” अक्षर का अर्थ और महत्व क्या है?

– इसका अर्थ नागेन्द्र से है, अर्थात नागों को धारण करने वाले

– न का अर्थ निरंतर शुद्ध रहने से भी है

– इस अक्षर के प्रयोग से व्यक्ति दसो दिशाओं से सुरक्षित रहता है

“म” अक्षर का अर्थ और इसकी महिमा क्या है?

– इसका अर्थ मन्दाकिनी को धारण करने से है

– इस अक्षर का अर्थ महाकाल और महादेव से भी है

– नदियों , पर्वतों और पुष्पों को नियंत्रित करने के कारण इस अक्षर का प्रयोग हुआ

– यह जल तत्त्व को नियंत्रित करता है

“श” अक्षर का अर्थ और इसकी महिमा?

– इसका अर्थ शिव द्वारा शक्ति को धारण करने से है

– यह परम कल्याणकारी अक्षर माना जाता है

– इस अक्षर से जीवन में अपार सुख और शांति की प्राप्ति होती है

“व” अक्षर का अर्थ और इसकी महिमा?

– इसका सम्बन्ध शिव के मस्तक के त्रिनेत्र से है

– यह अक्षर शिव जी के प्रचंड स्वरुप को बताता है

– इसका प्रयोग ग्रहों नक्षत्रों को नियंत्रित करता है

“य” अक्षर का अर्थ और इसकी महिमा?

– इस अक्षर का अर्थ है कि , शिव जी ही आदि, अनादि और अनंत हैं

– यह सम्पूर्णता का अक्षर है

– इसमें शिव को सर्वव्यापक माना गया है

– इस अक्षर का प्रयोग शिव की कृपा दिलाता है

पंचाक्षरी मंत्र या पंचाक्षरी स्तोत्र का पाठ किस प्रकार कल्याणकारी होता है?

– पंचाक्षर मंत्र से हर प्रकार की मनोकामना पूर्ण की जा सकती है

– इसी प्रकार पंचाक्षरी स्तोत्र से शिव कृपा पायी जा सकती है

– पंचाक्षरी स्तोत्र से मन की हर तरह की समस्या दूर की जा सकती है

अगर आप किसी भी प्रकार की जानकारी चाहते है तो संपर्क करे हमारे विशेषज्ञ पंडित जी से | अगर किसी भी तरह की परेशानी है, जिस से आप मुक्ति चाहते है,या आपके जीवन, कुंडली से सम्बंधित जानकारी चाहते है, तो सलाह ले हमारे जाने माने ज्योतिषीय सलाहकारों से कॉल करे (Call Us) +91 9009444403 या हमे व्हाट्सएप्प (Whatsapp) पर सन्देश (Message) भेजे एवं जानकारी प्राप्त करे |

नोट:- सलाह शुल्क सिर्फ ५०० रुपये| (Consultancy Fee Rs 500)


सोमप्रदोष पूजा से महालाभ मिलेगा. इस दिन का महत्व इसलिए बढ़ गया है क्योंकि सोम प्रदोष पूजा के साथ चन्द्रमा मेष राशि में भी है. ज्येष्ठ अधिक मास का सोमवार है. त्रयोदशी तिथि भी है, शुभ संयोग बना है. सोम प्रदोष दिवस पर शिव पूजन से चार लाभ मिलता है-धन ऐश्वर्य का लाभ, पति का सौभाग्य जागेगा, आपको भारी सफलता मिलेगी और कन्याओं का विवाह हो जाएगा. सबसे पहले शिव मंदिर पर जल, दूध, बेलपत्र, धतूरा, चावल और सफ़ेद फूल, तुलसी पत्ते और शहद चढ़ाएं. गर्मी भी है. मिटटी का जल पात्र लेंगें. मटकी, घड़ा या सुराही लेंगे. ठंडा पानी भरकर अगर शिव जी पर चढ़ा दें. हर हर महादेव बोलकर जल चढ़ाएं. शिव जी मनोकामना पूरी करेंगे. ठंडा पानी से राहु केतु और शनि शांत होंगे.

सोमवार प्रदोष की व्रत विधि

सोमवार का व्रत नहाकर  शुरू करें.

सुबह गंगाजल डालकर स्नान करें.

सफ़ेद वस्त्र धारण करें.

शिव मंदिर जाकर, शिवजी को चावल, जल, दूध चढ़ाएं

शिवजी के साथ साथ माता गौरी की भी पूजा करें

शिवजी और गौरी को दूध-चावल की खीर का भोग लगाएं.

पति का सौभाग्य जागेगा, पति दीर्घायु होंगे

और आप भी सुखी हो जाएंगे

महिलाएं मासिक शिवरात्रि के अलावा

सोमप्रदोष का व्रत रखें

और मंदिर में शिव लिंग की

ख़ास पूजा करें

सोमवार को शनि का उत्तरा फाल्गुनी

नक्षत्र भी है

शिव लिंग को पहले दही से मलकर स्नान करवाएं

चंदन का तिलक लगाकर

शिवलिंग का श्रृंगार करें

और इसपर शुद्ध शहद से अभिषेक करें

और माँ पार्वती को सुहाग का लाल सिन्दूर

लाल वस्त्र चढ़ाएं

और बेल फल का भोग लगाएं

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