आप सब लोग भली-भाँति यह बात जानते हैं कि प्रत्येक जातक की जन्म कुंडली में यहाँ कुछ शुभ योगों का निर्माण होता है तो वहीं कुछ अषुभ योगों का भी निर्माण होता है जो ग्रहों की चाल से समय-समय पर जातक को शुभ एवं अषुभ फल प्रदान करते हैं| शनि ग्रह धीमी गति, लंगड़ापन, आयु शूद्रत्व, सेवक, चाकरी, पुराने घर, खपरैल, बंधन, कारावास, जीर्ण-शीर्ण अवस्था आदि का कारक ग्रह है जबकि चंद्रमा माता, स्त्री, तरल पदार्थ, सुख, सुख के साथ, कोमलता, मोती, मान-सम्मान, यश आदि का कारकत्व रखता है। Continue reading