मरने से पहले हर किसी को यह चार संदेश और 10 एहसास देते हैं यमराज

सृष्टि के नियम से न सिर्फ इंसान बल्कि भगवान भी बंधे हैं और उन्हें भी इसका पालन करना होता है। इसलिए जब भगवान ने मनुष्य रुप में जन्म लिया तब उन्हें भी अपना शरीर त्यागना पड़ा फिर सामान्य मनुष्य कि बात ही क्या है।  लेकिन मनुष्य के अनुरोध पर यमराज ने मृत्यु से पहले चार संदेश देने का वचन दिया था जिसका पालन आज भी यमराज करते हैं इसके साथ ही मृत्यु बिल्कुल करीब आने पर कुछ एहसास भी दिलाते हैं कि अब वक्त पूरा हुआ अब शरीर त्यागने का समय आ गया है।

आइये जानें यह चार संदेश और संकेत क्या हैं।

सबसे पहले उन चार संदेशों की बात करें जो यमराज सामान्य मृत्यु से पहले हर किसी को भेजते हैं। आपने देखा होगा कि जब उम्र बढ़ने लगती है      तो सबसे पहले क्या होता है। व्यक्ति के बाल सफेद होने लगते हैं। दरअसल इसे पहला संदेश माना जाता है कि अब उम्र बढ़ रही है मोह की दुनिया से बाहर निकलना शुरु करो।

दूसरा संदेश जब कुछ और उम्र बढ़ती है तब प्राप्त होता है इस समय व्यक्ति के दांत गिरने लगते हैं। दांत का गिरना यह बताता है कि व्यक्ति का शरीर कह रहा है मुझे मुक्ति की जरुरत है मेरा मोह अब मत करो।

तीसरा संदेश होता है व्यक्ति की ज्ञानेन्द्रिय कमजोर पड़ जाती है व्यक्ति की सुनने और देखने की क्षमता कम हो जाती है। इस समय यमराज कहते हैं अब दुनिया की बातें सुनना छोड़कर आत्म चिंतन और मनन करो ताकि मुक्ति में परेशानी नहीं आए।

चौथा संदेश होता व्यक्ति की कमर झुक जाती है, शरीर अपना बोझ उठाने में असमर्थ हो जाता है और उसे सहारे की जरुरत पड़ जाती है। यमराज समझाते हैं कि बाहरी सहारा लेने की बजाया अब ईश्वर का सहारा लो वही तुम्हें कर्मों के फल से उत्तम लोक में स्थान दिला सकते हैं। जो मनुष्य यमराज के इन चार संदेशों को नहीं समझता है वही व्यक्ति नर्क में जाकर यमराज से दंड पाता है।

कई बार अल्पायु में भी मृत्यु व्यक्ति के प्राण हर लेते हैं। लेकिन ऐसे में भी 10 संकेत मनुष्य को प्राप्त होते हैं जिन पर गौर किया जाय तो जान सकते हैं कि मृत्यु अब करीब है। पानी में, तेल में, दर्पण में अपनी छवि नही आए या उनकी परछाई विकृत दिखाई देने लगे तो ऐसा माना जाता है कि व्यक्ति के शरीर त्यागने का समय नजदीक आ चुका है। मृत्यु के नजदीक आने पर व्यक्ति की आंखों की रोशनी खत्म हो जाती है और उसे अपने आस-पास बैठे लोग भी नजर नहीं आते जो भी अच्छे या बुरे कर्म किए हैं वह सारे कर्म व्यक्ति की आंखों के सामने से इस प्रकार गुजरते हैं जैसे किसी फिल्म को आप उलटा देख रहे हों यानी जीवन के अंतिम कर्म से लेकर जन्म तक की सभी घटनाएं आंखों के सामने तैरती चली जाती है। जिनके कर्म अच्छे होते हैं उन्हें अपने सामने एक दिव्य प्रकाश नजर आता है और व्यक्ति मृत्यु के समय भी भयभीत नहीं होता। गरुड़ पुराण में बताया गया है कि जब मृत्यु की घड़ी निकट आती है तो यम के दो दूत मरने वाले प्राणी के सामने आकर खड़े हो जाते हैं। जिनके कर्म अच्छे नहीं होते हैं उन्हें अपने सामने यम के भयंकर दूत खड़े दिखते हैं और वह भयभीत होता रहता है। शरीर त्याग करने के अंतिम समय में व्यक्ति की आवाज भी खत्म हो जाती है और वह बोलने की कोशिश करता है लेकिन बोल नहीं पाता है। आवाज घरघराने लगती है जैसे किसी ने गला दबा रखा हो। आत्मा जीवन की सभी घटनाओं को यानी कर्मों को अपने साथ लेकर शरीर को त्याग देती है और यमदूत व्यक्ति के अभौतिक शरीर को अपने साथ लेकर यमराज के दरबार की ओर ले जाते हैं। व्यक्ति के मृत्यु के बाद पापी मनुष्य को ढाई मुहूर्त में यानी लगभग 24 घंटे में यमदूत वायुमार्ग से यमलोक ले जाते हैं। यहां यमराज व्यक्ति के कर्मों का लेखा जोखा करते हैं इसके बाद यमदूत वापस व्यक्ति की आत्मा को लेकर पृथ्वी पर आते हैं।