कुंडली में कालसर्प दोष के संकेत, असर और उपाय

हमारे जीवन में हर समय एक जैसा नहीं होता कभी अच्छा तो कभी बुरा समय आता ही है। जब किसी व्यक्ति का अच्छा समय चल रहा होता है तो उसको चारों तरफ से शुभ समाचार ही प्राप्त होते हैं।

जब बुरा समय चल रहा होता है तो असफलता, बीमारियां और तनाव बढ़ जाता है। ज्योतिष में इसका कारण कुंडली में दोष का होना बताया जाता है। कालसर्प दोष इन्हीं में से एक दोष होता है। कालसर्प योग के कारण सूर्यादि सप्तग्रहों की शुभफल देने की क्षमता समाप्त हो जाती है। इससे जातक को 42 साल की आयु तक परेशानियां झेलनी पड़ती है। लेकिन दूसरी तरफ किसी की कुंडली में कालसर्प योग होने के बाद भी जातक की उन्नति होती है। आइए जानते है किन परिस्थितियों में कालसर्प योग का असर होता है और किसमें नहीं।

ज्योतिष में कालसर्प योग
– जब राहू और केतु के बीच अन्य ग्रहों की उपस्थिति हो तब कालसर्प योग का असर होता है। वहीं जब केतु और राहु के बीच ग्रहों की उपस्थिति हो तब इस योग का असर नहीं होता है।
– लग्न या चन्द्रमा राहु अथवा केतु के नक्षत्र में यानि आर्द्रा, स्वाती, शतभिषा, अश्विनी, मघा , मूल में हो  तो तब यह अधिक प्रभावी होता है। राहु की शनि, मंगल अथवा चन्द्रमा के साथ युति हो तो यह योग अधिक प्रभावी होता है।
– अनन्त, तक्षक एवं कर्कोटक संज्ञक कालसर्प योग में क्रमश लग्नेश, पंचमेश, सप्तमेश एवं लग्नेश की युति राहु के साथ हो तो यह योग अधिक प्रभावी होता है।

संकेत 
जब व्यक्ति को बुरे और डरावने सपने ज्यादा आने लगते हैं तो व्यक्ति की कुंडली में कालसर्प दोष होता है। सपने में सांप देखना कालसर्प दोष की निशानी है।
उपाय
ज्योतिष में कालसर्प दोष होने पर कुछ उपाय बताए गए हैं। अगर किसी की कुंडली में कालसर्प है उसे हर रोज भगवान विष्णु की पूजा करनी चाहिए। इसके अलावा चांदी की नाग की आकृति की अंगूठी पहनना चाहिए |

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