भूमि से जुड़ा हुआ है भाग्य का संबंध, जानें कैसे?

मानव जीवन में आवास का अत्यधिक महत्व है और आवास  निर्माण के लिए भूमि की आवश्यकता होती है. भूमि अलग अलग तरह की होती है, और हर भूमि की अलग अलग तरंगें होती हैं. जिस तरह की भूमि होती है, उसमें रहने वाले व्यक्ति के भाग्य पर वैसा ही असर पड़ता है. सही भूमि का चुनाव करके अगर हम उसका प्रयोग करें तो भाग्य को और भी ज्यादा मजबूत बना पाएंगे.

भूमि किस किस तरह की होती है?

– समतल भूमि, जो हर तरफ से बराबर हो, यह सर्वोत्तम भूमि है

– कूर्मपृष्ठ भूमि, जो बीच में ऊंची और चारों तरफ से नीची हो, यह उत्तम भूमि है

– गजपृष्ठ भूमि, जो नैऋत्य या वायव्य कोण में ऊंची हो, यह भी उत्तम भूमि है

– दैत्य भूमि, जो आग्नेय कोण या उत्तर दिशा में ऊँची हो, यह अधम भूमि है

– नाग भूमि, कहीं लम्बी, कहीं समतल, कहीं ऊँची नीची भूमि हो तो यह नाग भूमि है, यह भी अधम भूमि है

कैसे करें भूमि का परीक्षण?

– भूमि के उत्तर दिशा के कोण में लगभग एक डेढ़ फुट गहरा व चौड़ा गड्ढा खोदें

– उसमे से सारी मिट्टी निकालकर उस निकाली गयी मिट्टी से गड्ढे को पुनः भरें

– यदि गड्ढा भरने पर मिट्टी शेष बचती है अर्थात अधिक निकलती है तो वो भूमि अत्यंत शुभ है

 – यदि मिट्टी शेष नहीं बचती और पूरा गड्ढा भर जाता है तो भूमि मध्यम होगी

– यदि मिट्टी कम पड़ जाती है, गड्ढा नहीं भर पाता तो यह भूमि अधम है

– अधम भूमि पर मकान का निर्माण न करवायें

क्या करें उपाय अगर गलत भूमि पर मकान बन गया है?

– पूरे मकान का शोधन करवाएं

– एक बार घर में श्रीमदभागवद का पाठ जरूर करवाएं

– घर के मुख्य द्वार पर चौखट फिरसे विधि विधान से लगवाएं

– घर में ढेर सारे तुलसी के पौधे लगाएं

– घर में थोड़ी सी भूमि खाली छोड़ दें.

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