बैसाखी का हिन्दू धर्म से सम्बन्ध

बैसाखी अप्रैल में तब मनाया जाता है, जब सूर्य मेष में प्रवेश करता है |

आईये जानते है बैसाखी नाम कैसे पड़ा :-

अधिकांश पर्व-त्यौहार मौसम, मौसमी फसल और उनसे जुडी गतिविधियों से ही सम्बंधित है | भारत में महीनो के नाम नक्षत्रो पर रखे गए है | बैसाखी के समय आकाश में विशाखा नक्षत्र होता है | विशाखा नक्षत्र पूर्णिमा में होने के कारण इस माह को बैसाख कहते है | इस प्रकार बैसाख मास के पहले दिन को बैसाखी कहा गया है | और पर्व के रूप में माना गया है | इस पर्व की धार्मिक और आध्यात्मिक मान्यता भी काफी है | इस दिन लोग देवी देवताओ की पूजा करते है |

बैसाखी को पुरे देश में मनाया जाता है :-

बैसाखी मुख्यतः पंजाब और हरियाणा का त्यौहार है, लेकिन भारत के अन्य कई भागो में जैसे बंगाल, केरल, तमिलनाडु में भी इसको अलग अलग नामो से जाना जाता है |

जैसे असम में बिहू, बंगाल में नबा वर्षा, केरल में पुरम विशु के नाम से लोग इसे मानते है |

आखिर इतने बड़े स्तर पर देश भर में बैसाखी क्यों मनाते है :-

बैसाखी,दरअसल  सिख धर्म की स्थापना और फसल पकने के प्रतीक के रूप में मनाई जाती है | और पकी हुई फसल को काटने की शुरुवात हो जाती है, ऐसे में किसान फसल पकने की खुशी में ये त्यौहार मानते है | १३ अप्रैल १६९९ को दसवे गुरु गोविन्द सिंह जी ने खालसा पंथ की स्थापना की थी | इसी दिन गुरु गोविंद सिंह जी ने गुरुवो की वंशावली को समाप्त कर दिया इसके बाद सिख धर्म के लोगो ने गुरु ग्रन्थ साहिब को अपना मार्ग दर्शक बनाया है | बैसाखी के दिन ही सिख लोगो ने अपना सरनेम सिंह (शेर)को स्वीकार किया दरअसल यह टायटल गुरु गोविन्द सिंह  के नाम से आया है |