आज से पितृ पूजा का पर्व श्राद्ध पक्ष शुरू हो रहा है, जिसमे लोग अपने दिवंगत पूर्वजों की आत्मा की शांति के लिए श्राद्ध या पिंडदान करते हैं। मान्यता है कि अगर पितृ नाराज हो जाएं तो व्यक्ति का
जीवन भी खुशहाल नहीं रहता और उसे कई तरह की समस्याओं का सामना करना पड़ता है, यही नहीं घर में अशांति फैलती है और व्यापार व गृहस्थी में भी हानि झेलनी पड़ती है। ऐसे में अपने पितरों को तृप्त करना और उनकी आत्मा की शांति के लिए पितृ पक्ष में श्राद्ध करना जरूरी माना जाता है। श्राद्ध के जरिए पितरों की तृप्ति के लिए भोजन पहुंचाया जाता है और पिंड दान व तर्पण कर उनकी आत्मा की शांति की कामना की जाती है। जिसे पितृ दोष निवारण पूजा भी कहा जाता हैं।
हिन्दू पंचांग के मुताबिक पितृ पक्ष अश्विन मास के कृष्ण पक्ष में पड़ते हैं। इसकी शुरुआत पूर्णिमा तिथि से होती है, जबकि समाप्ति अमावस्या पर होती है आमतौर पर पितृ पक्ष 16 दिनों का होता है, इस बार पितृ पक्ष 13 सितंबर से शुरू होकर 28 सितंबर को खत्म होगा । इन दिनों में पितरों के लिए शुभ काम किए जाते हैं।
ध्यान रहे की पितृ पक्ष में सभी तिथियों का अलग-अलग महत्व है। आमतौर पर किसी व्यक्ति की मृत्यु जिस तिथि पर होती है, पितृ पक्ष में उसी तिथि पर श्राद्ध कर्म किए जाते हैं। यानी कि अगर परिजन की मृत्यु प्रतिपदा के दिन हुई है तो प्रतिपदा के दिन ही श्राद्ध करना चाहिए।
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