जानें शनि की पीड़ा का अर्थ क्या है, क्यूँ देते हैं शनिदेव पीड़ा?

शनि ग्रहों के न्यायाधीश और दंडाधिकारी हैं. व्यक्ति को उसके शुभ अशुभ कर्मों के अनुसार फल प्रदान करते हैं. शनि देव बिना कारण के पीड़ा नहीं देते. व्यक्ति के गलत कार्यों के फलस्वरूप उसे पीड़ा भोगनी पड़ती है. शनिदेव इस पीड़ा देने के माध्यम मात्र बनते हैं.

शनि जब पीड़ा देते हैं तो इसके प्रभाव क्या होते हैं?

– व्यक्ति को स्नायु तंत्र और लम्बी बीमारी की समस्या हो जाती है

– व्यक्ति के हर कार्यों में विलम्ब और रुकावट आती है

– रोजगार और नौकरी के मामले में कठिनाई आती है

– जीवन में अकेलेपन का सामना करना पड़ता है

शनि की पीड़ा से मुक्ति के लिए लोहे का छल्ला क्यूँ कारगर होता है?

– शनिदेव का आधिपत्य लौह धातु पर है

– इसलिए लोहे का छल्ला शनि देव की शक्तियों को नियंत्रित करने के काम आता है

– परन्तु यह छल्ला सामान्य लोहे का नहीं होता , यह घोड़े की नाल या नाव की कील का बना हुआ होता है

– घोड़े के पैरों की घिसी हुआ नाल या लहरों से टकरायी हुयी नाव की कील एक विशेष चुम्बकीय प्रभाव रखती है

– अतः इसका बना हुआ छल्ला शनि की पीड़ा को काफी हद तक कम कर देता है

– जब भी इसकी अंगूठी बनवाएं इसे आग में न तपाये

शनि कृपा के लिए कैसे लोहे का छल्ला धारण करें?

– घोड़े की नाल या नाव की कील की बनी हुयी अंगूठी शनिवार के अलावा किसी भी दिन लाएं

– इसको शनिवार को सुबह सरसों के तेल में डुबोकर रख दें

– शाम को इसे निकाल कर जल से धोकर शुद्ध कर लें

– अब इसे अपने सामने रखकर “ॐ शं शनैश्चराय नमः” का जाप करें

– इसके बाद इसे मध्यमा अंगुली में धारण कर लें

– शनिदेव की पीड़ा का असर लगभग समाप्त हो जाएगा

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