क्यों पहना जाता है मौली धागा, क्या है इसके पीछे का वैज्ञानिक कारण?

मौली धागा, जिसे हम पूजा के दौरान ब्राह्मण के द्वारा हम अपने कलाई पर बांधते हैं। हमारे धर्म में इस धागे का बहुत महत्त्व है। जो भी मनुष्य पूजा या किसी यज्ञ में बैठता है उसे इस धागे को अपनी दायीं या बाईं कलाई पर बांधना होता है। इस धागे को बांधने से धर्म लाभ के साथ-साथ स्वास्थ्य लाभ भी मिलता है। आज हम जानेंगे की क्यों मौली धागा बांधा जाता है और इसके क्या लाभ है?

हमारे शास्त्र के अनुसार मौली धागा या तो 3 धागे वाले या 5 धागे वाले होते हैं। 3 धागे वाले में लाल, पीला तथा हरा होता है। मान्यता है की तीन धागे वाला धागा बांधने से त्रिदेव अर्थात ब्रह्म देव, विष्णु देव और महेश के साथ त्रिदेवियों की कृपा अर्थात माँ सरस्वती, माँ लक्ष्मी और माँ पार्वती की कृपा बनी रहती है। और पांच धागे वाले कलावे को पंचदेव कलावा कहते है। इसमें लाल, पीला, हरा, नीला, तथा सफेद रंग का धागा होता है।

मौली धागा बांधने की धार्मिक मान्यता:

१) मौली धागा बांधने से त्रिदेवों और त्रिदेवियों की कृपा प्राप्त होती है। इनकी कृपा से मनुष्य को कीर्ति, बल, धन और बुद्धि प्राप्त होती है और समस्त बुरी शक्तियों का नाश होता है। क्योंकि इसकी प्रथा तब से चली आ रही है जब दानवीर राजा बली को अमरता प्रदान करने के लिए श्री हरी के वामन अवतार ने उनकी कलाई पर रक्षा सूत्र बांधा था।

२) मौली का अर्थ है सबसे ऊपर, जिसका अर्थ सिर से भी है। भगवान शिव की सिर पर चन्द्रमा विराजमान है इसीकारण से इन्हें चंद्रमौली कहा जाता है।

वैज्ञानिक कारण:

मौली धागा बांधने के वैज्ञानिक कारण भी है जो ये साबित करते हैं की हमें क्यों ये धागा बांधना चाहिए।

१) मानव संरचना के अनुसार हमारी कलाई नसों के जाल से कवर होता है। अधिकांश नसें इस जगह से ही पास होती है। मौली धागा बांधने से हमारे नसों में स्थित रक्त संचार ठीक रहता है, जो त्रिदोशः अर्थात वात, पित्त और कफ को संतुलित रखता है। इससे हमारे शरीर में इन तीन दोषों से किसी भी तरह की परेशानी नहीं होती है। ये सभी नकारात्मक ऊर्जा को भी ख़त्म करता है।

२) मौली धागा बांधने से गंभीर बीमारियां दूर होती है, जैसे पैरालिसिस, डाइबिटीज, ह्रदय सम्बन्धी रोग इत्यादि। जब हम धागे को अपनी पर बांधते हैं, तब एक्यूप्रेशर के कारण रक्त में किसी तरह की शिथिलता नहीं होती जो हमारे रोग प्रतिरोधक शक्ति को मजबूत और अच्छा बनाये रखती है।

मौली धागा बांधने की विधि:

मन जाता है की कलावा(धागा) को केवल तीन बार ही लपेटना चाहिए। पुरुष व् अविवाहित कन्या को सदैव अपने दाहिने हाथ में कलावा बांधना चाहिए तथा विवाहित स्त्रियों को बाएं हाथ में धागा बांधना चाहिए। धागा बांधते वक्त ध्यान रहें की हमारा हाथ मुट्ठी बंधी हो और दूसरा हाथ हमारे शीश पर हो।

धागा हमेशा किसी ब्राह्मण की हाथों ही बंधाना चाहिए क्योंकि मन्त्रों के द्वारा बांधें जाने वाला धागा ज्यादा असर होता है। लेकिन आज के समय में लोग अपने घर पर ही कलावा को बांध लेते है। इसलिए ऐसे लोगों को घर पर धागा बांधते वक्त इस मंत्र का उच्चारण करना चाहिए।

मंत्र:

येन बद्धो बली राजा दानवेन्द्रो महाबलः।

तेन त्वमनुबध्नामि रक्षे मा चल मा चल। ।


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