माँ बगलामुखी मंदिर, जहाँ पांडवों ने विजय प्राप्ति के लिए की थी साधना

माँ बगलामुखी जिनको सामान्यतः शत्रुओं का नाश करने वाली और उनकी गति, मति, एवं बुद्धि को स्तम्भन करने वाली मानी  जाता है। आइये हम माँ बगलामुखी के बारे में जानते हैं।

माँ बगलामुखी मंदिर:

मध्यप्रदेश के शाजापुर जिले के नलखेड़ा में तीन मुख वाली माँ का मंदिर लखुंदर नदी के किनारे स्थित है। शास्त्रों और इतिहासकारों के अनुसार यह मंदिर महाभारत कल से ही स्थापित है। यहाँ के पुजारी कैलाश नारायण ने बताया की कृष्ण की प्रेरणा से पांचों पांडवों ने महाभारत के युद्ध में विजय के लिए साधना किया था।

 

माँ का अभिषेक:

माँ के पूजा में हल्दी और पिले रंग के पूजा सामग्री का विशेष महत्त्व है। उन्हें पूजा में खड़ी हल्दी और उसका पाउडर चढ़ाया जाता है जो की पुरे विश्व में अकेला मंदिर है।

 

तीन शक्तियों में विराजित माँ:

इस मंदिर में माँ तीन देवियों के रूप में स्थित हैं। शस्त्रों के अनुसार माँ बगलामुखी मध्य में स्थित हैं और इनके दाएं ओर माँ लक्ष्मी तथा बाएं ओर ज्ञान की देवी माँ सरस्वती हैं। माँ के मंदिर में बेलपत्र, सफेद आंकड़े, आंवले एवं निम् और पीपल के वृक्ष (एकसाथ) स्थित है। द्वापर युग से ही यह मंदिर साधु-संतों तथा तांत्रिकों के लिए उत्तम रहा है उनकी साधना के लिए।

 

तंत्र साधना के लिए प्रसिद्ध माँ का मंदिर:

यह मंदिर तांत्रिक क्रियाओं के लिए विशेष संयोग है। क्योंकि इस मंदिर के चारों ओर श्मशान एवं पास में नदी है।  मंदिर के पश्चिम में ग्राम गुदरावन, पूर्व में कब्रिस्तान एवं दक्षिण में कच्चा श्मशान है। शास्त्रों के अनुसार माँ बगलामुखी तंत्र की देवी हैं। तथा यहाँ की मूर्ति स्वयंभू और जागृत है।

 

माँ का स्वरुप:

माँ का स्वरुप में भगवान अर्धनारीश्वर महाशंभों के अलौकिक रूप के दर्शन होते हैं। मणिजडित मुकुट व चंद्र व भाल पे स्थित तीसरा नेत्र इसकी पुष्टि करते हैं। इन्हें महारुद्र के मूल शक्ति के रूप में माना जाता है। शास्त्रों के अनुसार माँ बगला अष्टमी विद्या है।